फसल की खेती (Crop Cultivation)

स्मार्ट कृषि में इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT): भविष्य की खेती का नया चेहरा

06 जुलाई 2024, भोपाल: स्मार्ट कृषि में इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT): भविष्य की खेती का नया चेहरा – खेती-बाड़ी का क्षेत्र सदियों से मानव जीवन का आधार रहा है। परंतु बदलते समय के साथ, कृषि भी तकनीकी बदलावों से अछूती नहीं रही है। इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी)  ने कृषि के क्षेत्र में एक क्रांति ला दी है।

इंटरनेट ऑफ थिंग्स, एक ऐसा नेटवर्क है जिसमें विभिन्न उपकरण और सेंसर इंटरनेट के माध्यम से जुड़े होते हैं, जो डेटा को इकट्ठा कर वास्तविक समय में साझा करते हैं। स्मार्ट कृषि का मतलब उन तकनीकों से है जो खेती को अधिक कुशल और प्रभावी बनाने के लिए उपयोग की जाती हैं। इसमें सेंसर, ड्रोन, रोबोटिक्स, और अन्य आईओटी उपकरण शामिल हैं। 

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आईओटी सेंसरों के माध्यम से, किसान वास्तविक समय में मिट्टी की नमी, तापमान, और फसल की सेहत का डेटा प्राप्त कर सकते हैं। यह डेटा एआई एल्गोरिदम द्वारा विश्लेषित किया जाता है, जो किसानों को सटीक सलाह देता है कि कब और कितना पानी देना है, किस प्रकार के उर्वरकों का उपयोग करना है, और किस समय पर फसल कटाई करनी है। ड्रोन और स्वचालित मशीनें खेतों की निगरानी करती हैं, बीमारियों और कीटों का जल्दी पता लगाती हैं, और आवश्यकतानुसार कीटनाशकों का छिड़काव करती हैं। इस तरह, आईओटी और एआई न केवल उत्पादकता और पैदावार में वृद्धि करते हैं, बल्कि संसाधनों का कुशल प्रबंधन भी सुनिश्चित करते हैं, जिससे कृषि अधिक टिकाऊ और लाभदायक बनती है।  

भारत में आईओटी और आर्टिफिशियल इंटेलिजन्स का कृषि में प्रयोग

भारत में कृषि में आईओटी का बाजार तेजी से बढ़ रहा है और 2031 तक 84.5 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।

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कृषि मंत्रालय की एक प्रेस रिलीज़ के अनुसार, सरकार ने कृषि में आईओटी और आर्टिफिशियल इंटेलिजन्स के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न गतिविधियाँ शुरू की हैं। इन गतिविधियों में प्रिसीजन फार्मिंग, कृषि ड्रोन और हॉपिंग सिस्टम, पशुधन निगरानी, जलवायु स्थिति की निगरानी, स्मार्ट ग्रीनहाउस, आर्टिफिशियल इंटेलिजन्स और आईओटी आधारित कंप्यूटर इमेजिंग शामिल हैं।  

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भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) रोपड़, बॉम्बे और खड़गपुर में स्थापित तीन तकनीकी नवाचार केंद्र इन तकनीकों पर काम कर रहे हैं। इसके अलावा, डिजिटल इंडिया पहल के तहत, विभिन्न राज्यों में इंटरनेट ऑफ थिंग्स के केंद्र स्थापित किए गए हैं। राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना में, राज्य सरकारों को डिजिटल कृषि परियोजनाओं के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है। इस योजना के तहत, नवाचार और कृषि-उद्यमिता विकास को बढ़ावा देने के लिए पांच ज्ञान साझेदार और 24 कृषि व्यवसाय इनक्यूबेटर नियुक्त किए गए हैं।

कृषि में आईओटी का भविष्य उज्ज्वल है। आने वाले समय में, और भी उन्नत तकनीकों का विकास होगा जो किसानों की मेहनत को कम करेगी और कृषि को और अधिक उत्पादक और पर्यावरण के अनुकूल बनाएगी। किसानों के लिए आईओटी का उपयोग एक महत्वपूर्ण उपकरण बन जाएगा जिससे वे अपनी खेती को और भी बेहतर बना सकेंगे। 

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