Crop Cultivation (फसल की खेती)

आम के उकठा रोग के लिए समेकित प्रबंधन कार्यक्रम

Share

18 फरवरी 2023, भोपाल: आम के उकठा रोग के लिए समेकित प्रबंधन कार्यक्रम – उत्तरप्रदेश में आम का उकठा रोग एक गंभीर समस्या बन गया चुका हैं। रोग ग्रस्त पेड़ों के कमजोर पड़ने और उकठने से रू. 1,50,000/ प्रति हेक्टेयर प्रति वर्ष तक की क्षति संभव हैं। किसानों की आय को बढ़ाने के लिए इस रोग से आम की फसल को बचाने की जल्द से जल्द आवश्यकता हैं। 

1.    गहरी जुताई से जड़ों को क्षति से बचाने के लिए आम के बागों में कम से कम और उथली जुताई करना चाहिए । नये बागों में पेड़ों के छत्र से बाहर ही अन्तः फसले उगाई जानी चाहिए। 

2.    संक्रमण प्रभावित और उनके आस-पास के पेड़ों के जड़ क्षेत्र की मृदा में पेड़ की उम्र के अनुसार 50-150 ग्राम थायोफेनेट मिथाइल 70 डब्लूपी का घोल डालकर सिंचाई करना चाहिए। 

3.    संकर्मित टहनियों को काटने के उपरांत कटे भाग पर कॉपर सल्फेट या आक्सीक्लोराइड 50 ग्राम प्रति ली. पानी के घोल से पुताई की जानी चाहिए।

4.    प्रभावित पेड़ों पर कार्बेन्डाजिम 50 डब्लूपी या प्रोपीकोनाजोल 25 ईसी के 0.1 प्रतिशत घोल का छिड़काव करें। 

5.    बाग में स्कोलीटिड बीटिल की उपस्थिति होने पर क्लोरपाइरीफॉस 20 ईसी के 0.2 से 0.3 प्रतिशत के घोल का 15 दिनों के अन्तर पर छिड़काव करके नियन्त्रण किया जाना चाहिए। 

6.    सिंचाई हेतु पेड़ों की कतारो के मध्य नाली बनाकर हर पेड़ की थाला बनाकर अलग-अलग सिंचाई करना चाहिए। 

7.    बागों में संस्तुत मात्रा में खाद एंव उर्वरकों की आपूर्ति और सिंचाई करनी चाहिए । 

महत्वपूर्ण खबर: प्रधानमंत्री फसल बीमा पॉलिसी का वितरण

(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़,  टेलीग्राम )

Share
Advertisements

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *