फसल की खेती (Crop Cultivation)

सोयाबीन के फूल आने के दौरान कीटों का हमला: तुरंत करें ये उपाय और बचाएं फसल

08 अगस्त 2024, भोपाल: सोयाबीन के फूल आने के दौरान कीटों का हमला: तुरंत करें ये उपाय और बचाएं फसल – सोयाबीन की फसल अधिकतर क्षेत्रों में वर्तमान में फूल आने के प्रारंभिक चरण में है और पिछले दो सप्ताह से लगातार बारिश/फुहारों का सामना कर रही है। इस समय के दौरान सोयाबीन में मुख्य कीटों और बीमारियों को प्रारंभिक चरण में देखा गया है। मौजूदा मौसम की स्थिति को देखते हुए, सोयाबीन किसानों को संभावित कीटों एवं रोगों के नियंत्रण हेतु भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान ने सलाह जारी की है।

फूलों पर केटरपिलर का आक्रमण: फुल आने की अवस्था में पत्ती खाने वाली इल्लियों को फूलों को भी खाते हुए देखा गया हैं, अतः फसल की सुरक्षा हेतु उपयुक्त अनुशंसित कीटनाशक का छिड़काव करें।

जिन क्षेत्रों में पत्ती खाने वाले कीटों के साथ-साथ सफेद मक्खी और तना छेदक कीटों का एक साथ प्रकोप हो, वहां फसल पर थियामेथोक्सम + लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन (125 मिली/हेक्टेयर) या बीटासिफ्लुथ्रिन + इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली/हेक्टेयर) या एसिटामिप्रिड 25% + बिफेन्थ्रिन 25% डब्ल्यूजी (250 ग्राम/हेक्टेयर) या क्लोरेंट्रानिलिप्रोएल 09.30% + लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 04.60% जेडसी (200 मिली/हेक्टेयर) जैसे पूर्व मिश्रित फार्मूलों में से किसी एक का छिड़काव करने की सलाह दी जाती है।

कॉटन ग्रे वीविल का आक्रमण: मध्यप्रदेश के कुछ क्षेत्रों में “कॉटन ग्रे वीविल”, एवं “टस्क मोथ” नामक कीटों का भी प्रकोप देखा जा रहा है। अधिक प्रकोप पाए जाने पर नियंत्रण हेतु किसानों को क्विनालफोस 25% ईसी (1 लीटर/हेक्टेयर) या प्रोफेनोफोस 50 ईसी (1 लीटर/हेक्टेयर) या आइसोसायक्लोसरम 9.2 WW.DC (10% W/V) DC (600 मिली/हे.) या इन्डोक्साकार्ब 15.8% ईसी (333 मिली/हेक्टेयर) या इन्डोक्साकार्ब 15.8% ईसी (333 मिली/हेक्टेयर) का छिड़काव करने की सलाह दी जाती है। तना मक्खी के नियंत्रण के लिए भी इन्ही रसायनों का उपयोग करें।

रस चूसने वाले कीड़े का आक्रमण: सोयाबीन में रस चूसने वाले “जेवेल बग” नामक कीड़े का प्रकोप देखा जा रहा हैं। अधिक प्रकोप होने पर इसके नियंत्रण हेतु सलाह हैं कि पूर्वमिश्रित कीटनाशक थायोमेथोक्साम 12.6% + लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 9.5% जेडसी (125 मिली/हेक्टेयर) या बीटासायफ्लुथ्रिन + इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली/हेक्टेयर) या आइसोसायक्लोसरम 9.2 WW.DC (10% W/V) DC (600 मिली/हे.)  का छिड़काव करने की सलाह दी जाती है।

स्लग और घोंघे का आक्रमण: महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षों घोंघे(snails-slugs/गोगलगाय) का प्रकोप देखा जा रहा हैं। किसानों को नियमित रूप से फसल की निगरानी करने और आवश्यकतानुसार कीटनाशकों का छिड़काव करने की सलाह दी जाती है। इसके नियंत्रण लिए गुड के साथ मेटालडिहाइड 2.5% सूखे पेलेट का द्रावन बनाए तथा जूट के बोरे को इस द्रावन में भिगोकर अपने खेत में रात को रखे एवं अगले दिन निरिक्षण करें।  साथ ही सुरक्षात्मक रूप से अपने खेत के चारों ओर चुने की लकीर डालकर घोंघे को आने से रोके। समस्या अधिक होने पर सोयाबीन के लिए अनुशंसित कीटनाशक जैसे मैलाथियान 50.00% ई.सी. (1500 मि.ली./हेक्टेयर) या इंडोक्साकार्ब 15.80% ई.सी. (333 मि.ली./हेक्टेयर) या क्विनॉल्फॉस 25 का फसल एवं जमींन पर छिड़काव  करें।

सफेद गुबरैले का संक्रमण: महाराष्ट्र के बुलढाना जिले के कुछ क्षेत्र जहाँ पर कई दिनों से बारिश नहीं होने से सुखी भूमी में सफ़ेद सुंडी  का प्रकोप देखा जा रहा हैं। अतः सलाह है की इसके नियंत्रण हेतु खेत मे लाइट ट्रैप लगाए एवं व्हाइट ग्रब के वयस्कों को एकत्र होने पर नष्ट करें। साथ ही फसल पर बीटासायफ्लुथ्रिन + इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली/हेक्टेयर) का सोयाबीन की फसल में पौधों के बीच में छिड़काव करें।

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