ग्रीष्मकालीन मूंग फसल में पीला मोजेक रोग से बचाव के लिए कृषि वैज्ञानिक की सलाह
15 मई 2025, नई दिल्ली: ग्रीष्मकालीन मूंग फसल में पीला मोजेक रोग से बचाव के लिए कृषि वैज्ञानिक की सलाह – कृषि विज्ञान केन्द्र के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ. मुकेश बंकोलिया ने ग्रीष्मकालीन मूंग की फसल उगाने वाले किसानों को पीला मोजेक रोग से सतर्क रहने की सलाह दी है। उन्होंने बताया कि यह रोग एक विषाणुजनित रोग है, जो मुख्यतः सफेद मक्खी (व्हाइटफ्लाई) के माध्यम से एक पौधे से दूसरे पौधे में फैलता है।
डॉ. बंकोलिया ने बताया कि रोग की प्रारंभिक अवस्था में ही पीला मोजेक से ग्रसित पौधों को खेत से उखाड़कर नष्ट कर देना चाहिए, जिससे संक्रमण फैलने से रोका जा सके। साथ ही, उन्होंने खेत में पीले चिपचिपे प्रपंच (येलो स्टिकी ट्रैप) लगाने की सिफारिश की है, जिससे सफेद मक्खी को आकर्षित कर नियंत्रित किया जा सकता है।
उन्होंने किसानों को सुझाव दिया कि आगामी सीजन में मूंग की रोग-प्रतिरोधी किस्मों का चयन करें, ताकि फसल को पीला मोजेक जैसे वायरस रोगों से बचाया जा सके।
रोग के वाहक कीट सफेद मक्खी के प्रभावी नियंत्रण के लिए डॉ. बंकोलिया ने दो कीटनाशकों की सिफारिश की है:
- थायोमेथोक्जाम 25 डब्ल्यूजी की 40 ग्राम मात्रा प्रति एकड़
- या इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल की 50 मिली मात्रा प्रति एकड़
इन दवाओं का घोल बनाकर सुबह या शाम के समय छिड़काव करना चाहिए। छिड़काव हेतु प्रति एकड़ 100 से 125 लीटर पानी का उपयोग पावर पंप से करने की सलाह दी गई है।
कृषि वैज्ञानिक ने किसानों से आग्रह किया है कि समय पर रोकथाम संबंधी उपाय अपनाकर वे अपनी मूंग फसल को पीला मोजेक रोग से सुरक्षित रखें और उत्पादन में हानि से बचें।
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