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फसल की खेती (Crop Cultivation)

जीवामृत, घन जीवामृत और बीजामृत जैविक खाद कैसे बनाएं

25 नवम्बर 2023, भोपाल: जीवामृत, घन जीवामृत और बीजामृत जैविक खाद कैसे बनाएं – जैविक खाद एक ऐसी खाद होती है जिसको साधारण किसान अपने घर या फार्म पर आसानी से तैयार कर सकते हैं तथा इसका फसलों पर प्रभाव बहुत ही स्थाई होता है इसके प्रयोग से न केवल उत्पादन अधिक प्राप्त हो जाता है बल्कि इसका भूमि पर भी कोई हानिकारक प्रभाव नहीं पड़ता है यह भूमि की उर्वराशक्ति को बढ़ाता है तथा यह बहुत ही सस्ती खाद होती है इसके साथ-साथ पशुओं जैसे गाय व भैंस के मल-मूत्र आदि के विघटन से विभिन्न प्रकार के जैविक खाद जैसे जीवामृत व घन जीवामृत आदि तैयार किए जाते हैं तथा साथ ही साथ बीजामृत जैसे बीजोपचार से बीजों का शोधन भी किया जाता है यह बहुत ही सस्ती व आधुनिक समय की एक बहुत ही महत्वपूर्ण जैविक खादों में से एक है।

आजकल कृषि में रसायनिक खादों व कीटनाशकों का बहुतायत में प्रयोग किया जा रहा है जिससे फसल उत्पादन तो एक हद तक प्राप्त हो जाता है परंतु इसके साथ-साथ भूमि की उर्वराशक्ति क्षीण हो जाती है तथा साथ ही साथ कृषि उपज के उपभोग से मानव स्वास्थ्य पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। कृषि उपज की गुणवत्ता, रसायनिक उर्वरकों व कीटनाशकों के प्रयोग से न केवल दिन पर दिन कम होती जा रही है वरन मनुष्य पर इसका हानिकारक प्रभाव जैसे बहुत ही भयंकर बीमारियां आदि उत्पन्न हो रही हंै।

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बनाने की विधि

जीवामृत

जीवामृत बनाने के लिए पशुओं विशेषकर गाय के गोबर व मूत्र को बेसन, गुड़, मिट्टी व निर्धारित मात्रा में पानी मिलाकर तैयार करते हैं तथा इसको 48 से लेकर 72 घंटे तक छाया में विघटित होने के लिए रखा जाता है इसके बाद यह तैयार हो जाती है तथा अब इसको खेत में प्रयोग कर सकते हैं इसके प्रयोग से खेत में लाभदायक केंचुए ऊपर आ जाते हैं जो भूमि की उर्वराशक्ति बढ़ाते हैं।

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घन जीवामृत

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यह विधि भी बिल्कुल जीवामृत बनाने की तरह ही है इसमें जब जीवामृत तैयार हो जाता है तब इसे गाय के गोबर के साथ मिलाकर 48 से लेकर 72 घंटे तक छाया में विघटित होने के लिए रखा जाता है इसके बाद यह खेत में प्रयोग करने के लिए तैयार हो जाता है।

जीवामृत और घन जीवामृत दोनों को ही खेत में बुवाई से पहले मिट्टी में अच्छी तरह से मिला दिया जाता है। इसके बाद खेत में लाभदायक केंचुए जो मिट्टी के अंदर रहते हैं वह मिट्टी के ऊपर आ जाते हैं जिससे मिट्टी भुरभुरी हो जाती है और इससे मिट्टी की उर्वराशक्ति में काफी हद तक सुधार होता है। इसके साथ-साथ उत्पादन व फसल उपज की गुणवत्ता भी इनके प्रयोग से काफी अच्छी हो जाती है। इनका प्रयोग हम सब्जियों में लहसुन, प्याज, हल्दी, बैंगन, टमाटर, मिर्च, पत्तागोभी, फूलगोभी, शलजम, मूली, चुकंदर तथा गाजर वहीं फलों में स्ट्रॉबेरी तथा ब्लूबेरी व फूलों में गेंदा तथा रजनीगंधा आदि में खेत की तैयारी के समय प्रयोग कर सकते हैं।

बीजामृत

बीजामृत के लिए गाय के गोबर के साथ गोमूत्र, चूना, बरगद या पीपल के नीचे की मिट्टी में उपयुक्त मात्रा में पानी मिलाकर तैयार किया जाता है। बीजामृत की 25 लीटर मात्रा से 1 क्विंटल तक बीज का शोधन किया जा सकता है इसके प्रयोग से बीज जनित रोग उत्पन्न नहीं होते हैं तथा अन्य रोग के लगने की भी संभावना काफी हद तक कम हो जाती है आज के समय में यह एक अच्छा बीज उपचार के रूप में साबित हुआ है। तथा इसके बनाने में खर्च भी बिल्कुल नहीं आता है।

निष्कर्ष : अत: किसान भाइयों के लिए यह सभी जीवामृत, घन जीवामृत व बीजामृत बहुत ही लाभदायक सिद्ध हो रहा है जहां एक तरफ मिट्टी की उर्वराशक्ति में सुधार तथा फसल उपज की गुणवत्ता के साथ-साथ बीज उपचार करना बहुत आसानी से हो जाता है तथा इनके बनाने में खर्च बिल्कुल नहीं आता है। किसानों को जैविक खेती की तरफ ध्यान देने की बहुत आवश्यकता है तथा यही आधुनिक समय की मांग भी है।

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