फसल की खेती (Crop Cultivation)

बेहतर लॉन कैसे बनाएं

26 दिसम्बर 2022, नई दिल्ली: बेहतर लॉन कैसे बनाएं – लॉन बनाने और गाजर तथा टमाटर के रखरखाव के सम्बंध में गत दिनों भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा संस्थान के वैज्ञानिकों ने किसानों को विस्तृत जानकारी दी।

डॉ. बबीता सिंह पुष्प विज्ञान और भुदृश्य निर्माम संभाग ने बताया कि लॉन काफी उपयोगी होता है। यह घर, मल्टी बिल्डिंग, स्कूल, अस्पताल के पास बनाया जा सकता है। लॉन से जमीनी पानी को बढ़ावा मिलता है तथा मिट्टी का कटाव रोकने, तापमान में कमी लाने एवं मिट्टी सुधारक व ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करता है।

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लॉन के सम्बंध में डॉ. बबीता सिंह ने बताया कि गर्मी और ठंड में अलग-अगल घास की किस्मों से लॉन तैयार करना चाहिए। गर्मी के लिए बरमूडा घास की किस्म तथा ठंड के लिए ब्लू ग्रास, बेंट ग्रास एवं राई ग्रास किस्म उपयोगी होती है, क्योंकि इसका फैलाव तेजी से होता है। बरमूडा ग्रास की सेलेक्शन-1 किस्म अधिक प्रचलित है।

डॉ. बबीता ने बताया कि लॉन बीज द्वारा डिब्लिंग द्वारा तथा टर्फिंग विधि द्वारा शीघ्र तैयार किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि 25 किलोग्राम बीज द्वारा एक हेक्टेयर का लॉन तैयार किया जा सकता है। इसमें रेत और मिट्टी मिलाई जाती है तथा 4 से 5 माह में लॉन तैयार हो जाता है। इसके अलावा डिब्लिंग विधि से लॉन तैयार करने में 10 से 15 सेन्टीमीटर बीच की दूरी होनी चाहिए। इसमें 2 से 3 गांठ वाले पौधे लगाये जाते हैं। इस विधि से लॉन 5 से 7 हफ्ते में कटाई लायक तैयार हो जाता है। यह सस्ती विधि है। उन्होंने बताया कि टर्फिंग विधि से लॉन सबसे जल्दी तैयार होता है, क्योंकि इसमें 30 से 40 सेन्टीमीटर की वर्गाकार चटाईनुमा परतें होती है वह शीघ्र पूरे क्षेत्र को कवर कर लेती हैं। इस विधि से एक माह में लॉन तैयार हो जाता है।

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डॉ. बबीता सिंह ने बताया कि लॉन खुली धूप एवं दक्षिण-पूर्वी दिशा में बनाना चाहिए। उन्होंने बताया कि लॉन लगाने के बाद रोलर से समतल कर हल्की सिंचाई करनी चाहिए।

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डिबलिंग विधि

डॉ. बबीता ने बताया कि गर्मी में 30 से 40 सेन्टीमीटर खुदाई के बाद प्रत्येक 50 मीटर में भूमि का झुकाव 2 से 3 सेन्टीमीटर होना चाहिए, जिससे पौधे को पर्याप्त नमी और हवा मिलती रहे। उन्होंने बताया कि लॉन लगाने के लिए फरवरी-मार्च तथा जुलाई-अगस्त का समय उपयुक्त होता है।

डॉ. बबीता ने बताया कि लॉन को हरा-भरा और बेहतर बनाये रखने के लिए गर्मियों में 2 से 3 दिन के अंतराल में ठंड में लगभग एक सप्ताह के अंतराल में सिंचाई करना चाहिए। साथ ही 2:1:1 के अनुपात में कैल्शियम, अमोनियम नाइट्रेट, सुपरफास्फेट एवं पोटैशियम सल्फेट का मिक्चर बनाकर छिड़काव करना चाहिए।

कटाई

कटाई के सम्बंध में डॉ. बबीता ने बताया कि गर्मियों में लॉन की नीचे से कटाई नहीं करनी चाहिए। केवल 2 से 3 इंच तक कटाई अच्छी होती है। उन्होंने बताया कि अधिक नीचे से कटाई करने पर लॉन सूखने का खतरा होता है। मृदाजनित कवक रोग रोकने के लिए बोरडेक्स मिक्चर जिसमें चार भाग कॉपर सल्फेट, चार भाग चूना एवं 50 लीटर पानी में घोल बनाकर 15-15 दिनों के अंतराल पर स्प्रे करना चाहिए।

डॉ. बबीता ने बताया कि लॉन सूखा होने पर चूहा एवं दीमक की समस्या आ सकती है। चूहे की समस्या रोकने के लिए जिंक फास्फाईड एवं एल्युमीनियम फास्फाईड का धुँआ करना चाहिए। साथ ही दीमक की समस्या के लिए क्लोरोपायरीफॉस दवा 1.5 से 2 एम.एल. प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर 15-15 दिन में छिड़काव कर सकते है।

उन्होंने बताया कि अप्रैल-मई में यंत्रों से लॉन की 7 से 10 सेन्टीमीटर गहराई तक गुड़ाई की जा सकती है। इससे मिट्टी का अम्लीय एवं क्षारीय गुण का पता चलता है। जब मिट्टी अम्लीय हो जाती है तो इसमें लायमिंग की जाती है। इसके लिए बुझा चूना 250 ग्राम प्रति वर्ग मीटर की दर से डालना चाहिए तथा मिट्टी क्षारीय होने पर सल्फरिंग की जाती है। इसमें सल्फर का उपयोग किया जा सकता है।

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गाजर और टमाटर फसल का रखरखाव कैसे करें

गाजर-टमाटर सब्जी फसल के रखरखाव के सम्बंघ में डॉ. आर.के. यादव सब्जी विज्ञान संभाग ने बताया कि वर्तमान में 40 से 45 दिन की गाजर फसल हो गई है। बीज की अधिकता के कारण खेत में जहाँ पौधे अधिक एवं घने हो गए हो वहाँ पतली जड़ वाले पौधों को निकाल दें जिससे पौधों की सघनता कम हो जाएगी और पौधों को पर्याप्त मात्रा में हवा-पानी मिलेगा। इसके पश्चात नत्रजन की मात्रा डालें तथा मिट्टी चढ़ाना चाहिए, जिससे खरपतवार नष्ट हो जाती है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में गाजर की नेमटीस और पूसा नयनज्योति किस्में किसानों द्वारा लगाई जा रही है।

डॉ. यादव ने बताया कि टमाटर में अर्लीब्लाईट रोग होता है जिसमें पौधे की पत्तियों में छल्ले बन जाते है। इसकी रोकथाम के लिए डाइथेन एम-45, 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए। साथ ही उन्होंने बताया कि टमाटर पौधे के पत्तों में लेट ब्लाईट रोग आता है, जिसमें धब्बे बन जाते है। इसकी रोकथाम के लिए रिडोमिल दवा की 1 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना उचित होता है।

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पपीते में मिली बग

पपीता में मिलीबग की रोकथाम के लिए कार्बोसल्फान की 300 एम.एल. की मात्रा 200 लीटर पानी में मिलाकर 1 एकड़ में छिड़काव करें।

गेहूं की जड़ों में दीमक

गेहूँ की जड़ों में दीमक एवं गलन का प्रकोप की रोकथाम के लिए क्लोरोपायरीफॉस 3 लीटर मात्रा 50 किलोग्राम मिट्टी में 1 हेक्टेयर में छिड़काव कर हल्की सिंचाई करें।

टमाटर

टमाटर में टोमैटो लीफ कर्ल रोग से बचाव के लिए रोगग्रस्त पौधों को खेत से हटाएं तथा इमिडाक्लोप्रिड की 80 एम.एल. मात्रा को 200 लीटर पानी में घोल बनाकर 1 एकड़ में छिड़काव करें।

लहसुन

लहसुन की पत्तियाँ मुडऩे को माईट्स प्रकोप कहते हैं। इसका प्रकोप रोकने के लिए डाईकोफॉल की 500 एम.एल. मात्रा 200 लीटर पानी में घोल बनाकर 1 एकड़ में छिड़काव करे।

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