फसल की खेती (Crop Cultivation)

गोबर गैस / बायोगैस संयंत्र – ऊर्जा का खजाना

14 अक्टूबर 2022, भोपाल: गोबर गैस / बायो गैस संयंत्र – ऊर्जा का खजाना – गोबर गैस / बायोगैस संयंत्र – ऊर्जा का खजाना

खाद का कारखाना

प्राकृतिक रूप से प्राणियों के मृत शरीर एवं वनस्पति विघटित होकर सेन्द्रीय खाद के रूप में मिट्टी में मिल जाते हैं। विघटन की यह प्रक्रिया सूक्ष्म जीवाणुओं, बैक्टीरिया, फफूंद (फंगस) आदि के द्वारा की जाती है। इस विघटन की प्रक्रिया में गैस का निर्माण भी होता है। इसी गैस को बायोगैस कहते हैं। यह विघटन वायु रहित एवं वायु सहित दोनों अवस्थाओं में होता है।

Advertisement
Advertisement

वायु रहित अवस्था में सेन्द्रीय पदार्थों से जो गैस पैदा होती है, उसमें 50 से 55 प्रतिशत तक मिथेन गैस होती है। 30 से 45 प्रतिशत कार्बन डाइआक्साइड गैस तथा अल्प मात्रा में नाइट्रोजन, हाइड्रोजलन सल्फाइड, ऑक्सीजनल आदि गैस होती हैं। भारत में प्रथम बार सन् 1900 में माटुंगा, मुम्बई स्थित लेप्रसी असायलम द्वारा एक संयंत्र स्थापित कर मल से बायोगैस की उत्पत्ति की। बाद में गोबर पर आधारित गोबर गैस संयंत्र बनाने की तकनीकें विकसित की गई। इनमें दो संयंत्र अधिक लोकप्रिय हुए-

  1. फ्लोटिंगड्रम मॉडल या के.वी.आई.सी. माडल।
  2. दीनबन्धु माडल या फिक्स होम मॉडल

इन दोनों संयंत्रों में यह अंतर है कि के.वी. आई.सी. संयंत्र में गैस लोहे के ड्रम में एकत्रित होती है, जबकि दीनबन्धु मॉडल में गैस संयंत्र के गुम्बदनुमा गैस होल्डर में एकत्रित होती है।

Advertisement8
Advertisement

गोबर गैस संयंत्र से प्राप्त मिथेन गैस गन्ध रहित नीले रंग की ज्वाला से प्रज्जवलित होकर पर्याप्त ऊर्जा देती है, जिससे कि रसोई घर धुंआ रहित होकर सामान्य समय से आधे समय में भोजन पकाया जा सकता है। भोजन पकाने के अतिरिक्त गैस से निम्न कार्य भी लिए जा सकते हैं।

Advertisement8
Advertisement

रात में प्रकाश के लिये। डीजल इंजन चलाने के लिये गैस का प्रयोग करके 80 से 85 प्रतिशत डीजल की बचत की जा सकती है। डीजल इंजन से पानी के पम्पसेट, कुट्टी मशीन,आटा (पीसने की) चक्की आदि में भी चलाए जा सकते हैं। बिजली उत्पादन के लिये। उन सब कार्यों में जहां ऊर्जा की आवश्यकता होती है, जैसे वेल्डिंग आदि।

बायोगैस संयंत्र की कार्य पद्धति:

सबसे पहले एक हौज में बराबर मात्रा में गोबर तथा पानी लेकर उसका घोल बनाया जाता है। यह घोल पाइप के द्वारा गैस बनाने वाले भाग में जाता है।

यहां हवा रहित वातावरण में गोबर का विघटन होकर उसमें गैस पैदा होती है, जो कि के.वी.आई. सी. मॉडल में लोहे के ड्रम में या दीनबन्धु मॉडल में गुम्बद में एकत्रित हो जाती है। वहां से यह गैस संयंत्र से बाहर आया हुआ मिश्रण उत्तम खाद होता है।

गोबर गैस की सामान्य जानकारी निम्नानुसार है:

एक घन मीटर गोबर गैस से प्राप्त ऊर्जा = 0.62 लीटर कैरोसिन

3.47 किलो जलाऊ लकड़ी

Advertisement8
Advertisement

12.29 किलो कंडे

1.45 किलो लकड़ी का कोयला

1.60 किलो साफ्ट कोक

0.43 किलो रसोई गैस

0.41 लीटर फरनेस ऑइल

4.41 किलोवाट घंटा विद्युत

महत्वपूर्ण खबर: कृषि मंडियों में सोयाबीन की कम आवक से दाम बढ़े

(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़,  टेलीग्राम )

Advertisements
Advertisement5
Advertisement