पंचमहाभूत एवं अग्निहोत्र से निकले खेती के समाधान
8 फरवरी 2023, भोपाल । पंचमहाभूत एवं अग्निहोत्र से निकले खेती के समाधान – ‘जब समस्या बढ़े तो समाधान मूल की ओर लौटने पर ही मिलता है।’ कृषक महेंद्र पिता श्री जसमत सिंह राजपूत, ग्राम पंचायत – मानकुंड, तहसील – हाटपिपल्या, जिला-देवास ने इसी विचार से जैविक खेती का रुख लिया। उनके अनुसार, खेतों में रसायनिक खाद के सतत बढ़ते उपयोग से उत्पादन में वृद्धि तो होती लेकिन लागत भी बढ़ रही थी और खेत की उर्वराशक्ति लगातार कम हो रही थी। इसलिए मैं अपनी साढ़े तीन एकड़ की जमीन में जैविक खेती करने को प्रेरित हुआ।
पहले साल जैविक खाद और वेस्ट डी-कंपोजर का उपयोग खेत में किया। जिससे उपज सामान्य रही। बाद में कृषि विभाग के संपर्क में आया और जैविक खेती से संबंधित जानकारियां प्राप्त की। जिससे उत्पादन वृद्धि हेतु मुझे बीजोपचार से लेकर पोषक तत्वों की आपूर्ति एवं कीट व्याधियों के नियंत्रण के लिए समय-समय पर अनेक जैविक विकल्पों का सुझाव मिला। अब मैं मामूली सी लागत में ही गाय के गोबर, गौमूत्र तथा घर में उपलब्ध गुड़, छाछ, बेसन, अनाज, फलों को विभिन्न तरीकों से इस्तेमाल कर बीजामृत, जीवामृत, घनजीवामृत, गोवर्धन सजीव खाद, जैव रसायन, पंचगव्य बनाकर हानिकारक रसायनों से मुक्त खेती कर रहा हूं।
श्री महेंद्र कहते हैं कि हाल ही में गेहूं में हुए इल्ली के प्रकोप की रोकथाम के लिए उन्होंने स्वनिर्मित मिट्टी द्रव्य रसायन का उपयोग किया जिसके अच्छे परिणाम देखने को मिले एवं फसल की गुणवत्ता भी तुलनात्मक रूप से काफी बेहतर है। पिछले सीजन में सोयाबीन का भी 8-9 क्विंटल/एकड़ उत्पादन रहा और फसल का भाव भी अच्छा मिला। वे बताते हंै कि एक देसी गाय का गोबर 7 एकड़ में खेती के लिए पर्याप्त है और उनके पास 2 देसी गाय भी हैं। उन्होंने जैविक खेती में अग्निहोत्र का भी प्रावधान बताया। जिसमें सूर्योदय व सायंकाल में कुछ विशेष मंत्रों के साथ हवन करते हंै। इससे निकलने वाली ऊर्जा 8 एकड़ तक प्रभावी है। उन्होंने हवन से निकलने वाली अग्निहोत्र भस्म का भी खेतों के लिए विशेष महत्व बताया है।
- मो.: 6263543840
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