इमेजिंग टेक्नोलॉजी: सैटेलाइट और ड्रोन की नजर में आपकी फसल, जानें कैसे बदलेगी खेती
02 अप्रैल 2025, नई दिल्ली: इमेजिंग टेक्नोलॉजी: सैटेलाइट और ड्रोन की नजर में आपकी फसल, जानें कैसे बदलेगी खेती – आजकल खेती में इमेजिंग टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल एक नई क्रांति लेकर आया है। ये तकनीक किसानों को अपनी फसलों की निगरानी करने और संसाधनों को सही ढंग से इस्तेमाल करने के लिए ऐसा डेटा दे रही है, जो पहले कभी नहीं देखा गया। अब खेती सिर्फ मेहनत और अनुभव की बात नहीं रही, बल्कि डेटा के आधार पर स्मार्ट फैसले लेने का खेल बन गई है। किसान और खेती से जुड़े बिजनेस इस टेक्नोलॉजी को हाथों-हाथ ले रहे हैं ताकि फसल ज्यादा हो और खेती टिकाऊ बनी रहे। 2024 में इस टेक्नोलॉजी का ग्लोबल मार्केट 1,183.60 मिलियन अमेरिकी डॉलर का था। 2025 में इसके 1,273.50 मिलियन तक पहुंचने की उम्मीद है और 2032 तक ये 2,627.40 मिलियन तक जा सकता है। यानी हर साल 10.9% की बढ़त—कमाल की बात है न?
खेती में इमेजिंग टेक्नोलॉजी कैसे काम करती है?
मल्टीस्पेक्ट्रल, हाइपरस्पेक्ट्रल और थर्मल इमेजिंग जैसी तकनीकें अब खेती का अहम हिस्सा बन गई हैं। ये किसानों को फसल की सेहत, मिट्टी में नमी, कीड़े-मकोड़ों का हमला और पोषण की कमी जैसी चीजों को बारीकी से समझने में मदद करती हैं। सैटेलाइट से ली गई साफ तस्वीरें, ड्रोन की हाई-टेक इमेजिंग और जमीन पर लगे सेंसरों की बदौलत किसान अब पहले से प्लानिंग कर सकते हैं, जिससे फसल का नुकसान कम हो और पैदावार बढ़े।
- मल्टीस्पेक्ट्रल इमेजिंग: ये अलग-अलग तरंगों में डेटा लेकर पौधों की ताकत बताती है। सूखा पड़ा है, बीमारी लगी है या पोषक तत्व कम हैं—ये सब पहले ही पता चल जाता है।
- हाइपरस्पेक्ट्रल इमेजिंग: ये तो और भी गहरी जानकारी देती है, पौधे की हालत को इतना बारीकी से बताती है कि बीमारी या गंदगी का पता शुरुआत में ही लग जाता है।
- थर्मल इमेजिंग: फसल और मिट्टी का तापमान देखकर बताती है कि पानी की कितनी जरूरत है। इससे न कम पानी लगेगा, न ज्यादा—बिल्कुल सही इस्तेमाल।
इस टेक्नोलॉजी से क्या-क्या फायदे हैं?
इस तकनीक को अपनाने से किसानों को ढेर सारे फायदे मिल रहे हैं:
- फसल पर पूरी नजर: पौधों की ग्रोथ ट्रैक करो और कोई दिक्कत होने से पहले उसे पकड़ लो—फसल स्वस्थ रहेगी, पैदावार बढ़ेगी।
- पानी-खाद का सही इस्तेमाल: मिट्टी और फसल को समझकर पानी, उर्वरक और दवाइयों का यूज करो, बर्बादी कम होगी और खर्चा भी बचेगा।
- बीमारी-कीटों का जल्दी पता: फसल में कोई बीमारी या कीड़े लगें, तो तुरंत पता चल जाता है। सही जगह इलाज करो, नुकसान कम होगा।
- पर्यावरण की सुरक्षा: सटीक डेटा से खेती ऐसी होगी कि पर्यावरण को नुकसान कम हो, टिकाऊ तरीके अपनाना आसान हो जाए।
- ज्यादा पैदावार: जहां फसल कमजोर है, उसे ठीक करो—पैदावार बढ़ेगी और मुनाफा भी।
बाजार कैसे बढ़ रहा है और क्या ट्रेंड चल रहे हैं?
पर्सिस्टेंस मार्केट रिसर्च की मानें तो स्मार्ट खेती में पैसा लगाने और इसके फायदों की समझ बढ़ने से ये बाजार तेजी से बड़ा हो रहा है। खासकर अमेरिका, यूरोप और एशिया-पैसिफिक जैसे बड़े खेती वाले इलाकों में इसकी डिमांड जोरों पर है।
कुछ बड़े ट्रेंड्स जो नजर आ रहे हैं:
- ड्रोन का जलवा: इमेजिंग सेंसर वाले ड्रोन बड़े खेतों की लाइव तस्वीरें दे रहे हैं, वो भी हाई-क्वालिटी में।
- AI और IoT का कमाल: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और इंटरनेट ऑफ थिंग्स के साथ मिलकर ये टेक्नोलॉजी डेटा को समझने और फैसले लेने को आसान बना रही है।
- सरकार का साथ: कई देशों की सरकारें डिजिटल खेती को बढ़ावा दे रही हैं, सब्सिडी और फंडिंग से मदद कर रही हैं।
- हरी खेती की चाह: क्लाइमेट चेंज और संसाधनों को बचाने की चिंता बढ़ी है, तो किसान इको-फ्रेंडली तरीकों के लिए इस टेक्नोलॉजी की ओर देख रहे हैं।
चुनौतियां हैं, लेकिन भविष्य शानदार है
हां, ये टेक्नोलॉजी शानदार है, लेकिन शुरुआती खर्चा ज्यादा है, इसे चलाना थोड़ा मुश्किल है और गरीब इलाकों में पहुंच कम है। फिर भी, क्लाउड एनालिटिक्स, मशीन लर्निंग और सस्ते इमेजिंग सॉल्यूशंस इसे जल्द ही हर किसान तक ले जाएंगे।
आगे का रास्ता बहुत उज्ज्वल है। जैसे-जैसे AI, मशीन लर्निंग और रियल-टाइम इमेजिंग सस्ती और बेहतर होंगी, किसान डेटा के दम पर सही फैसले ले सकेंगे। इससे खेती न सिर्फ मुनाफे वाली होगी, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए टिकाऊ भी बनेगी।
प्रेसिजन एग्रीकल्चर में इमेजिंग टेक्नोलॉजी का बाजार तेजी से फैल रहा है और किसानों को फसल की देखभाल व पैदावार बढ़ाने के लिए जबरदस्त टूल्स दे रहा है। इंडस्ट्री के लोग और बिजनेस इस मौके को भुनाने में जुटे हैं। जैसे-जैसे ये तकनीक AI, IoT और स्मार्ट खेती के साथ जुड़ती जाएगी, वैसे-वैसे दुनियाभर की खेती में दक्षता, टिकाऊपन और कमाई का नया दौर शुरू होगा।
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