पीला रतुआ को हराकर किसानों को मालामाल करेगी गेहूं की किस्म डी.बी.डब्ल्यू 316, जानिए इसकी खासियत
17 अक्टूबर 2025, नई दिल्ली: पीला रतुआ को हराकर किसानों को मालामाल करेगी गेहूं की किस्म डी.बी.डब्ल्यू 316, जानिए इसकी खासियत – उत्तर-पूर्वी मैदानी इलाकों के किसानों के लिए अब एक बड़ी खुशखबरी है। ICAR-IIWBR द्वारा विकसित की गई नई गेहूं की किस्म डी.बी.डब्ल्यू 316 (करण प्रेमा) इस क्षेत्र के लिए खास तौर पर तैयार की गई है, जो पीला रतुआ, भूरा रतुआ, काला रतुआ और ब्लास्ट जैसे प्रमुख रोगों से लड़ने की बेहतरीन क्षमता रखती है। इस किस्म की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह सिंचित पछेती बुवाई के लिए उपयुक्त है और देर से बुवाई पर भी अपनी उपज लगभग बनाए रखती है। किसानों के लिए इसका उच्च उत्पादन क्षमता इसे आर्थिक रूप से बेहद लाभकारी बनाती है।
डी.बी.डब्ल्यू 316 किस्म की उपज क्षमता 68 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक दर्ज की गई है, जो इसे अन्य पारंपरिक किस्मों से काफी बेहतर बनाती है। इसके दाने हल्के गेहुंआ रंग के होते हैं, जिनमें 13.2% प्रोटीन और 38.2 पीपीएम जिंक पाया जाता है, जिससे पोषण गुणवत्ता भी उच्च होती है। यह किस्म सूखा और ऊष्मा तनाव सहने में भी सक्षम है, जो किसानों को अनिश्चित मौसम में भी भरोसेमंद उत्पादन की गारंटी देती है। इसके अलावा, इसका ब्रेड गुणवत्ता स्कोर 7.7/10 है, जो इसे गेहूं आधारित उत्पादों के लिए उपयुक्त बनाता है।
रोग प्रतिरोधकता और किसानों के लिए फायदे
डी.बी.डब्ल्यू 316 गेहूं की खास पहचान इसकी मजबूत रोग प्रतिरोधकता है। यह किस्म पीला रतुआ, भूरा रतुआ, काला रतुआ, ब्लास्ट रोग, पर्ण झुलसा, चूर्ण लसिता और करनाल बंट जैसी बीमारियों के खिलाफ प्रभावी सुरक्षा प्रदान करती है। इससे किसानों को कम रोग नियंत्रण खर्च करना पड़ता है और उनकी फसलें अधिक सुरक्षित रहती हैं। इसके अलावा, देर से बुवाई पर भी इस किस्म की उपज में केवल 27.5% की कमी आती है, जबकि अन्य किस्मों में यह कमी 31% से 38% तक होती है। यही वजह है कि डी.बी.डब्ल्यू 316 गेहूं को उत्तर-पूर्वी भारत के सिंचित मैदानी इलाकों में किसानों के लिए एक भरोसेमंद और लाभकारी विकल्प माना जा रहा है।
कृषि विशेषज्ञ भी डी.बी.डब्ल्यू 316 की खेती की सलाह देते हैं क्योंकि यह किसानों की आय बढ़ाने के साथ-साथ पोषण मूल्य को भी सुधारता है। इस किस्म को अपनाकर किसान बेहतर उत्पादन, रोग नियंत्रण और मौसमीय चुनौतियों से बचाव सुनिश्चित कर सकते हैं। कुल मिलाकर, डी.बी.डब्ल्यू 316 न केवल किसानों की फसल को रोगों से सुरक्षित रखती है, बल्कि उनकी आर्थिक स्थिति को भी मजबूत बनाती है।
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