फसल की खेती (Crop Cultivation)

पुराने बगीचों को नया बनाने की तकनीक

लेखक: अंजली द्विवेदी, परास्नातक छात्रा (उद्यानिकी), सीबीएसएमएसएस, झींझक, सीएसजेएमयू,, कानपुर, उत्तर प्रदेश, डॉ. प्रदीप कुमार द्विवेदी, वैज्ञानिक (पौध संरक्षण), कृषि विज्ञान केन्द्र, रायसेन

29 जुलाई 2024, भोपाल: पुराने बगीचों को नया बनाने की तकनीक –

वृक्षों का चुनाव: ऐसे वृक्षों को शीर्ष कार्य के लिए चुनना चाहिए, जिनमें

  • फलने की क्षमता कम हो गयी हो,
  • फल देशी या निम्न गुणों वाले फलते हों,
  • शाखाओं में खराबी आ गई हो या प्ररोह तंत्र क्षतिग्रस्त हो गया हो। अधिक पुराने वृक्षों में शीर्ष कार्य कम सफल होता हैं। ऐसे वृक्ष, जिनका मूलतंत्र या जड़ें क्षतिग्रस्त हो गयी हों शीर्ष कार्य के लिये उपयुक्त नहीं होते हैं।

सांकुरडाली के लिए वृक्षों का चुनाव: सांकुरडाली का चुनाव करते समय निम्न बातें ध्यान में रखें। ऐसे वृक्षों से सांकुरडाली चुनें, जो

  • उन्नतशील किस्मों के हों। द्य अधिक फल दे रहे हों। द्य पूर्ण स्वस्थ हों। द्य शीर्ष शाखाएं वर्तमान वृद्धि वाली हों। सांकुरडाली के चुनाव के बाद उसकी पत्तियां उपरोपण के 10-20 दिन पूर्व काट दें, इस क्रिया को सांकुरडाली का उपचार कहते हैं।

वृक्ष को उपरोपण के लिए तैयार करना: वृक्ष को 1 से 1.5 मी. की ऊंचाई पर भूमि से काट दें। वृक्ष के काटने का कार्य तब करें, जब वृक्ष सषुुप्तावस्था में हो। जून या जुलाई का समय उचित है। वृक्ष को तैयार करने की दूसरी विधि भी है, जो इस प्रकार है। वृक्ष के मुख्य तने को न काटकर वृक्ष की मोटी शाखाओं को काटा जाता है। मुख्य तने से निकली हुई तीन या चार शाखाओं को उपरोपण के लिए चुनें। अन्य शाखाओं को तो मूलत: काट दें तथा उपरोपित शाखाओं को 1 या 1.5 मी. लम्बाई छोड़कर काट दें। इन शाखाओं पर उपरोपण किया जाता है। पहली विधि से दूसरी विधि आम में अपनाई जाती है तथा यह अनेक कारणों से श्रेष्ठ है, जैसे- वृक्षों के प्ररोह तंत्र का कम ह्यस होना आदि।

शीर्ष उपरोपण

सांकुरडाली को उचित रूप में तैयार कर शीर्ष-उपरोपण की विधि पूरी की जाती है। उपरोपण के पश्चात् उपरोपण मोम लगाया जाता है, जिसके तैयार करने की विधि इस प्रकार है विरोजा या रोजिन 3 भाग, मोम-2 तथा अलसी का तेल-2 भाग लेकर धीमी आंच में पिघलाकर मिला लें। इसे पिघली हुई अवस्था में ही लगाया जाता है, किन्तु यह ध्यान रखें कि यह अधिक गर्म न हो I

कलिकायन

जब वृक्ष के मुख्य तने को काट दिया जाता है तो उसमें अनेक शाखाएं निकलती हैं। जब ये शाखाएं परिपक्व हो जाएं या पेन्सिल की मोटाई की हो जाएं तो उनमें ढाल कलिकायन किया जाना चाहिए। आम में ये शाखाएं तेजी से बढ़ती है।

उचित देखभाल

उपरोपित शाखा की वृद्धि तेजी से ऊपर की ओर होती है इसलिए तेज हवाओं से टूटने से बचाने के लिये लकड़ी या बांस का सहारा देना आवश्यक है। बांस को मुख्य तने से बांधकर इन शाखाओं को सहारा दिया जाता है। तेज धूप से भी रक्षा आवश्यक है। अत: उपरोपित स्थान के ऊपर घास की छाया कर दें। कभी-कभी तना छेदक कीट का भी प्रकोप हो जाता है। अत: इसके नियंत्रण के लिए उचित कीटनाशक दवाओं प्रोफेनोफॉस 50 ई.सी. 1 मिली/ लीटर या क्लोरपाइरीफॉस 20 ई.सी. 1.5 मिली/ लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। पानी बरसने के कारण कभी-कभी तने का कटा हुआ भाग सडऩे लगता है।

पुर्नजीविकरण में उपयोग होने वाले यंत्र
ट्री पूनर

  • वृक्षों को काटने के लिए उपयोग में आने वाले इस उपकरण की मदद से 3 सेमी मोटी तथा 16 फिट ऊंची टहनियों अथवा शाखाओं को काटा जा सकता है।
  • पतली शाखाओं को हुक में फंसा कर तथा मोटी शाखाओं को इसमें लगी हुई आरी के द्वारा काटा जा सकता है।

मूलिंग क्लीपर

  • 4.5 सेमी तक मोटी शाखाओं को काटने हेतु उपयोगी। द्य लंबा हत्था होने से काम करने में आसानी होती है। द्य इसमें ब्लेड को सुविधानुसार लगाया जा सकता है। द्य अधिक खुलने वाली ब्लेड होने के कारण फल तोडऩे में कम थकान होती है।

प्रूनिंग आरी

  • टहनियों को सरलतापूर्वक काटा जा सकता है। द्य सिकेटियर एवं कैंची से न कटने वाली शाखाओं को भी आसानी से काटा जा सकता है।

सिकेटियर

  • पतली टहनियों को काटने में होता है।
  • फल एवं फल पौध प्रर्वधन हेतु कटिंग तैयार करने में उपयोगी होता है।

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