फसल की खेती (Crop Cultivation)

कद्दू वर्गीय सब्जियों की खेती: अधिक उपज के लिए ये सुझाव अपनाएं

13 अगस्त 2024, भोपाल: कद्दू वर्गीय सब्जियों की खेती: अधिक उपज के लिए ये सुझाव अपनाएं – खरीफ का मौसम कद्दू वर्गीय सब्जियों जैसे करेला, खीरा, तोरी, लौकी आदि की खेती के लिए सबसे उपयुक्त होता है। ये सब्जियां न सिर्फ हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभदायक हैं बल्कि किसानों की आय का भी अच्छा स्रोत हैं। खरीफ के मौसम में इनकी खेती करने के लिए कुछ खास बातों का ध्यान रखना जरूरी है।

यह सुझाव भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई), पूसा संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. हर्षवर्धन चौधरी के द्वारा जारी किया गया है।

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मिट्टी का चुनाव: कद्दू वर्गीय सब्जियों के लिए बलुई-दोमट मिट्टी सबसे अच्छी होती है। ऐसी जगह चुनें जहां पानी जमा न हो। थोड़ी ऊंची जगह वाली भूमि ज्यादा उपयुक्त होती है।

फसल चक्र: एक ही खेत में लगातार कद्दू वर्गीय सब्जियां लगाने से फसल को उकठा रोग(Fusarium Wilt) लग सकता है। इसलिए फसल चक्र का पालन करना बहुत जरूरी है।

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खाद और उर्वरक: कद्दू वर्गीय फसलों के लिए अंतिम जुताई से कम से कम 25 से 30 दिन पहले खेत में 20-25 टन गोबर की खाद डालें। इसके अलावा, 80 किलो नाइट्रोजन, 60 किलो फास्फोरस और 60 किलो पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से उर्वरक भी डालें। फास्फोरस और पोटाश को अंतिम जुताई के समय डालें और नाइट्रोजन की एक तिहाई मात्रा को भी अंतिम जुताई के समय डालें।

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नाली बनाना: करीब 40-45 सेंटीमीटर चौड़ी और 30-35 सेंटीमीटर गहरी नालियां बनाएं। खीरा और करेले के लिए नालियों के बीच की दूरी डेढ़ मीटर और लौकी, तोरई या कद्दू के लिए दो से ढाई मीटर रखें।

बीज और किस्में: पूसा संस्थान की कई अच्छी किस्में उपलब्ध हैं।

  • लौकी: पूसा नवीन, पूसा समृद्धि, पूसा हाइब्रिड 3, पूसा संतुष्टि, पूसा संदेश
  •  करेला: पूसा विशेष, पूसा दोमासी, पूसा औषधी, पूसा पूर्वी
  • खीरा: पूसा बरखा
  • तोरई: पूसा नूतन, पूसा स्नेहा
  • कद्दू: पूसा विश्वास, पूसा हाइब्रिड 1, पूसा पसंद
  • पेठा: पूसा उज्जवल, पूसा उर्मि, पूसा श्रेयाली, पूसा सब्जी पेठा 1

खरपतवार नियंत्रण: खरपतवार से फसल को बचाने के लिए पेंडीमिथलीन दवा का इस्तेमाल करें। 3 मिलीलीटर दवा को एक लीटर पानी में मिलाकर नालियों में छिड़काव करें।

पंडाल बनाना: कद्दू वर्गीय सब्जियों के लिए बोवर सिस्टम का उपयोग करें इसमें एक प्राकृतिक या मानव निर्मित ढांचा जो लोकि, अंगूर इत्यादि पौधों की बैल को सहारा देता है उसे बोवर कहा जाता है। इसमें लकड़ी का पंडाल बनाना फायदेमंद होता है।

कीट और रोग नियंत्रण: इस मौसम में तापमान अधिक होने और नमी के कारण किसान भाईयों को फसलों में डाउनी मिल्ड्यू(downy mildew) जैसी बीमारी की समस्या का सामना करना पड़ता है। इसलिए फसल की नियमित जांच करते रहें और पत्तियों पर भूरा धब्बा दिखते ही सतर्क हो जाएं। इसके उपचार के लिए “डाईथेन एम 45” दवा का 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में छिड़काव करें। जिन किसानों ने अभी तक बुवाई नहीं की है, वे खेत के चारों ओर येलो स्टिकी ट्रैप्स लगाएं, जिससे सफेद मक्खियों को नियंत्रित किया जा सकेगा। इसके अलावा, सफेद मक्खी के नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड या स्पाइनोसेड का 10 लीटर पानी में 3-4 मिलीलीटर का घोल बनाकर छिड़काव करें। फसल में फलन के दौरान फेरोमोन ट्रैप (Methyl eugenol) का उपयोग कर फल मक्खियों से भी बचाव किया जा सकता है।

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इन सुझाव को अपनाकर किसान कद्दू वर्गीय सब्जियों की अच्छी पैदावार ले सकते हैं और अपनी आय बढ़ा सकते हैं।

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