गोबर से शीघ्र खाद बनाने की विधियां
14 अक्टूबर 2022, भोपाल: गोबर से शीघ्र खाद बनाने की विधियां – गोबर से शीघ्र खाद बनाने की विधियां:
अमृत पानी विधि:
फसलें: खरीफ में सोयाबीन, ज्वार, धान, मक्का, मूंगफली, कपास, मूंग, उड़द आदि। रबी में चना, मटर, गेहूं, गन्ना आदि।
बोवनी के पूर्व खेत में बड़ के पेड़ के नीचे की 15-20 किग्रा. मिट्टी (भभूत) एक एकड़ में छिड़क कर बिखेरें। अमृत पानी निम्नानुसार तैयार कर बीज संस्कार भी करें और खेत में छिड़कें। देशी गाय के 10 किलोग्राम ताजे गोबर में देशी गाय के ही दूध से बना नोनिया घी 250 ग्राम अच्छी तरह फेटें. तत्पश्चात उसमें 500 ग्राम शहद मिलाकर फेटें।
बीज संस्कार: इस मिश्रण में से 500 ग्राम मिश्रण लेकर बड़ के पेड़ के नीचे 500 ग्राम मिट्टी अच्छी तरह मिला लें। अब इस एक कि.ग्रा. मिश्रण को पतला कर, बोए जाने वाले बीज पर छिड़काव अच्छी तरह उपचारित करें, जिससे बीज पर मिश्रण की हल्की सी परत चढ़ जाए। उसे छाया मेें सुखाकर बोनी करें। जिन बीजों के कवच (ऊपरी परत) नरम या हल्की होती है जैसे सोयाबीन, मूंगफली दाना, मूंग, सन आदि पर यह मिश्रण बहुत हल्के से छिड़कें और बीज तत्काल बोएं। जिन फसलों (उदा. धान, टमाटर, मिर्ची आदि) के रोपा तैयार कर फिर खेत में लगाते रहें, उन रोपों की जड़ें अमृत पानी में डुबाकर रोपें।
बीज उपचार के बाद बचा हुआ 10 किलोग्राम राबड़ा 200 लीटर पानी में घोल कर एक एकड़ खेत में छिड़कें। रबी के मौसम में भभूत (बड़ के नीचे की मिट्टी) खेत तैयार करते समय भुरक कर अच्छी तरह मिला दें और अमृत पानी या तो बोवनी के पूर्व सिंचाई के साथ या बोवनी के बाद की प्रथम सिंचाई के साथ दें।
किसी प्रकार का रसायनिक उर्वरक, कीटनाशक या खरपतवार नाशक का उपयोग नहीं करें। फसल सुरक्षा के लिये संलग्न कार्यक्रम अनुसार कार्रवाई करें। खरपतवार नियंत्रण के लिये हाथ की निंदाई, खरपतवार उखाड़कर वहीं खेत में बिछा दें व एक या दो बार कुल्पा या डोरा चलाएं और कतारों के बीच पलवार बिछाएं।
कतारों के बीच पुराना खराब हुआ बगदा खेत के आसपास उगने वाली झाडिय़ों की पत्तियां, सागवान, लैंटेना (जर्मनी), पलाश, कडुआ नीम, आयपोमिया (बेशरम), आंकड़ा, ग्लिरीसीडिया की पत्तियां बिछाएं। यह पलवार खरपतवार नियंत्रण करेगी और नमी संधारण भी करेगी। अधिक वर्षा से फसल सुरक्षा होगी। खेत में बढऩे वाले गिंडोलों/केचुओं के लिये खाना बनकर खेत में ही गलकर जीवांश बढ़ाएंगी।
जीवामृत खाद विधि: जीवामृत खाद बनाने के लिये आवश्यक वस्तुएं हैं:
- गोबर 60 किलोग्राम द्य गोमूत्र 10 लीटर
- किसी भी दाल का आटा 2 किलोग्राम द्य गुड़ 2 किलोग्राम
- दही 2 किलोग्राम
इन सब वस्तुओं को मिलाकर दो दिन तक रखें। दो दिन के बाद इस मिश्रण को 200 लीटर पानी में मिलाकर एक एकड़ में डालें। खेत में करोड़ों सूक्ष्म जीवाणुओं की वृद्धि होगी तथा खेत में ह्यूमस की वृद्धि होगी। फलदार वृक्षों की छतरी के आसपास 1 फीट चौड़ी तथा 1 फीट गहरी खाद खोदकर उसे कचरे से भरकर जीवामृत से गीला करें। इससे फलवृक्षों की सफेद रोएंदार जड़ों में वृद्धि होकर पर्याप्त मात्रा में फल लगेंगे। अमृत संजीवनी में रसायनिक उर्वरक मिलाना पड़ता है, जबकि इस विधि में हम उन्हें टाल सकते हैं।
मटका खाद विधि: 15 किलोग्राम देशी गाय का ताजा गोबर, 15 लीटर ताजा गौमूत्र तथा 14 लीटर पानी मिट्टी के घड़े में घोल लें। उसमें आधा किलोग्राम गुड़ भी मिला दें। इस घोल के मिट्टी के बर्तन को ऊपर से कपड़ा या टाट मिट्टी से पैक कर दें। 4-6 दिन बाद इस घोल में 200 लीटर पानी मिलाकर एक एकड़ खेत में समान रूप से छिड़क दें। यह छिड़काव बोनी के 15 दिन बाद करें। पुन: सात दिन बाद दोहराएं।
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