Crop Cultivation (फसल की खेती)

Crop Cultivation includes package of practices (Kheti ki Jankari) and innovations in farming practices (Beej Upchar, Kharpatwar niyantaran, rogon aur sankraman se suraksha)

Cereal crops (अनाज की फसल) – Gehu, Dhan, Makka, Jau, Bajra, Jowar, Ragi, Kodo, Kutki.

Oil seeds (तिलहन) – Soybean, Canola, Sarso, Surajmukhi, Moongfali.

Pulses (दलहन फसल) – Moong, Arhar, Tur, Chana, Masoor, Urad.

Fibre crops (रेशे वाली फसलें) – Kapas (Cotton), Jute. Tuber crops (कंद की फसलें) – Aalu, shakarkand, shaljam, Arbi.

Spice crops (मसाला फसलें) – ilichai, laung, haldi, adrak, lehsun, jeera, Kela, ganna (Sugarcane), Mirch, dhaniya.

Cash crops (नकदी फसलें) – Chai, Coffee, Tambaku. 

Vegetable crops (सब्जियों की फसलें) – Pyaz, tamatar, baingan, lauki, gilki, kaddu, bhindi, palak, methi, gobhi.

Fruit crops (फल) – Angoor, Aam, sab, kela, Santara, Anar, amrood ki kheti ki jankari.

Crop Cultivation (फसल की खेती)

धान बीज उत्पादक कम्पनियों की संकर एवं उन्नत किस्में

धान बीज संकर एवं उन्नत किस्में कंपनी किस्म महिको एमपीएच-501, सुरुचि नाथ बायोजीन कबीर-508,लोकनाथ-505, 510,नाथ पोहा, गोरखनाथ-509, मेनका, पदमिनी मानसेंटो आरएच-257, 664 जेके. एग्री जेनेटिक्स जेकेआरएच-401,10, 1220 गंगा कावेरी वरदान, गरिमा, पार्वती, दुर्गा, गंगोत्री, मंदिरा कावेरी सीड्स केपीएच 9090, एके

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मिर्च में सिंचाई कैसे करें

जलवायु :  मिर्च की खेती के लिये आद्र्र उष्ण जलवायु उपयुक्त होती है. फल परिपक्वता अवस्था में शुष्क जलवायु आवश्यक होती है. ग्रीष्म ऋतु में अधिक तापमान से फल व फूल झड़ते है. रात्रि तापमान 16-21डिग्री सेल्सियम फल बनने के

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चना प्रक्षेत्र दिवस का आयोजन

उज्जैन। भारत सरकार की एन. एफ. एस. एम. योजना अन्तर्गत चना फसल में देसी चने की प्रजातियों को बढ़ावा देने के दृष्टिकोण से एवं चने की फसल में उत्सुक रोग से बचाव हेतु डॉ अशोक कुमार दीक्षित, वरिष्ट वैज्ञानिक एवं

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जायद मौसम में उड़द की खेती

दलहनी फसल होने के कारण इसकी जड़ों में बनने वाली गांठों में उपस्थित जीवाणु वायुमण्डलीय नत्रजन को भूमि में स्थिर करके भूमि को उपजाऊ बनाती है। इस प्रकार यह फसल भूमि की उर्वराशक्ति को बनाये रखने में  भी सहायक है।

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मत्स्य जीवाणु जनित रोग एवं उनका उपचार

मत्स्य पालन करते समय मछलियों को होने वाले रोगों की ओर ध्यान देना आवश्यक होता है। मछलियाँ भी अन्य प्राणियों के समान प्रतिकूल वातावारण में रोगग्रस्त हो जाती है। रोग फैलते ही संचित मछलियों के स्वभाव में प्रत्यक्ष रुप से

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जायद की तिल लगायें

जायद की तिल के लिए भूमि का चुनाव – जायद की तिल के लिए दोमट, हल्की चिकनी एवं कछारी भूमि तिल की खेती हेतु उपयुक्त होती है। खेत की तैयारी– अच्छी जुताई कर भुरभुरी मिट्टी वाला समतल खरपतवार रहित खेत

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Crop Cultivation (फसल की खेती)Horticulture (उद्यानिकी)Farming Solution (समस्या – समाधान)

केला के प्रमुख रोग एवं निदान

चित्ती रोग या सिगाटोक रोग यह रोग सर्कोस्पोरा म्यूसी नामक फफूंद से उत्पन्न होता है । इस रोग ने सन् 1913 में फिजी द्वीप के सिगाटोका के मैदानी भाग में व्यापकता से प्रकोप कर केले की फसल को बुरी तरह

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दलहन बेचारी बड़ी परोपकारी

वनस्पति जगत के महत्वपूर्ण कुल लेग्यूमिनेसी के अन्तर्गत वर्गीकृत खाद्य लेग्यूम या फलीदार फसलें जिनके सूखे दानों को उपयोग किया जाता है, दलहनी फसलें कहलाती हैं। इनकी फलियों में एक से 12 तक पैदा होने वाले दानों को सब्जी, सूप,

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कम पानी एवं शीघ्र पकने वाली फसलों का बीज उत्पादन लें

भोपाल। सहकारिता मंत्री श्री गोपाल भार्गव ने कम वर्षा में पैदा होने वाली फसलों के लिये प्रमाणित बीज उत्पादन प्राथमिकता से किये जाने के निर्देश दिये हैं। म.प्र.राज्य सहकारी बीज उत्पादक एवं विपणन संघ के संचालक मंडल की बैठक में

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रबी प्याज की उन्नत खेती

भूमि का चुनाव प्याज को विभिन्न प्रकार की मृदाओं में उगाया जा सकता है, लेकिन अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए दोमट या बुलई दोमट मिटटी, जिसमें जीवंाश्म पदार्थ की प्रचुर मात्रा व जल निकास की उत्तम व्यवस्था हो साथ

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