पशुपालन (Animal Husbandry)

पशुपालन (Animal Husbandry), मुर्गीपालन, मत्स्य पालन और मवेशी पालन से संबंधित समाचार और जानकारी। नवीनतम नीतियां, रुझान, प्रौद्योगिकी और किसान प्रथाएं। पशुओं का रखाव और पशुपालन (Animal Husbandry), पशुओं का टीकाकरण, इलाज, पशुओं को गर्मी से कैसे बचाए, पशुओं का दूध उत्पादन के लिए आहार। गए और बैलो का रखाव, गए और बैलो का का टीकाकरण, इलाज, गए और बैलो को गर्मी से कैसे बचाए, गए का दूध उत्पादन के लिए आहार। गए और बैलो (पशुओं ) को पैर और मुंह की बीमारी से कैसे बचाए। बकरी पालन, मुर्गी पालन, मछली पालन, गधा पालन, गए पालन, धान के खेत मैं मछली पालन, पिंजरे मैं मछली पालन, घरेलू पशुओं मे टीकाकरण, पशुओं को ठंड से बचाव के लिए सलाह। गए और बैलो (पशुओं ) के लिए चारा, हरा चारा, गीला चारा, बरसीम। पशुओं का दूध और उसकी गुणवत्ता कैसे बढ़ाएं? दूध उत्पादन के लिये सुझाव, जानिए खिलारी गाय की विशेषतांए, उत्पत्ति व उपयोग, गाए की देसी नस्ले। होलस्टीन फ्राइज़ियन की जानकारी, दूध उत्पादन, चारे की ज़रूरत। गीर, रेड सिंघी, साहीवाल, हल्लीकर, अमृतमहल, खिल्लारी, कंगायम, बरगुर, पुलिकुलम, आलमबदी, थारपारकर, हरिआना, कांकरेज, ओंगोले, कृष्णा वैली, दीयोनि, जर्सी, होलेस्टियन फ़्रेसिअन, ब्राउन स्विस, रेड डेन, आयरशायर, जर्सी क्रॉस, मुर्राह, सुरति, जाफराबादी, भदावरी, नीली रवि, मेहसाना, नागपुरी, तोडा एवं अन्य गाए, भैंस और पशुओं की नस्ल के बारे मैं जानकारी।

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मत्स्य पालन

अधिक आय देने वाला सहायक व्यवसाय मछलीपालन सभी प्रकार के छोटे-बड़े मौसमी तथा बारहमासी तालाबों में किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त ऐसे तालाब जिनमें अन्य जलीय वानस्पतिक फसलें जैसे- सिंघाड़ा, कमलगट्टा, मुरार (ढ़से ) आदि ली जाती है, वे

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जलीय कृषि प्रणाली में – पानी का पुनर्चक्रण

आरएएस में मछली पालन के लाभ आरएएस के लिये मछली की उपयोगी प्रजातियां : वर्तमान में आरएएस का उपयोग मागुर (कैटफिश), धारीदार बास, तिलापिया, क्रॉफिश, चौनल कैटफिश, इंद्रधनुष ट्राउट, झींगा, ब्लू केकड़े, सीप, मसल्स और जलीय जीवों को पालने के लिए

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गोल्ड फिश की देखभाल कैसे करें

गोल्ड फिश एक मीठे पानी की मछली है यह बहुत लोकप्रिय मछली है साधारणतया कठोर परिस्थिति में तथा 4 से 32 डिग्री सेंटीग्रेड तापक्रम की व्यापक सीमा में रहने में योग्य है इस मछली का जीवनकाल अपेक्षाकृत अधिक होता है

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पशुओं में मुख्य चयापचयी एवं अल्पता रोग

कैल्शियम अल्पता (मिल्क फीवर / दुग्ध ज्वर) यह रोग पशु के शरीर में कैल्शियम तत्व की कमी से उत्पन्न होता है तथा सामान्य रूप से मांसपेशियों की कमजोरी, मानसिक अवसाद एवं दूध उत्पादन की कमी के रूप में परिलक्षित होता

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राज्य कृषि समाचार (State News)पशुपालन (Animal Husbandry)

भारत में जापानीज इन्सेफेलाईटिस के पशुओं और मनुष्यों में प्रभाव एवं रोकथाम

भारत में जापानी मस्तिष्क रोग का प्रकोप सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश में पाया गया है। 1978 से अब तक इस राज्य में 6000 नवजात शिशुओं की मृत्यु हो चुकी है। इस प्रदेश में सबसे बड़ा महामारी का प्रकोप जुलाई 2005

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ठंडा रखें भैंसों का घर

आवास प्रबंधन भैंसों का बाड़ा ऊंचाई पर स्थित होने के अलावा रोशनीदार हवादार, ठंडा तथा सूखा होना चाहिए. बाड़ा खुला होना चाहिए और चारों कोनों में ईट क्रॉकीट या लोहा या अन्य चीजों के खंबे होने चाहिए. उन पर लकड़ी,

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अपनी ही गिर गाय की फिर सुध लेंं

भारत विश्व में सबसे अधिक दूध उत्पादन वाला देश लगातार बना हुआ है। वर्ष 2006-07 में देश में 1026 लाख टन दूध का उत्पादन हुआ था, जो वर्ष 2015-16 में बढ़कर 1555 लाख टन तक पहुंच गया। पिछले दस वर्षों

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नवजात बछड़ों की मुख्य बीमारियाँ व रोकथाम

नवजात बछड़ों का बीमारियों से बचाव करना बहुत आवश्यक है क्योंकि छोटी उम्र के बच्चों में कई बीमारियाँ उनकी मृत्यु का कारण बनकर पशुपालक को आर्थिक हानि पहुँचाती है। नवजात बछड़ों की प्रमुख बीमारियां निम्नलिखित है : काफ अतिसार: छोटे

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पशुओं में मुंहपका खुरपका रोग के लक्षण तथा बचाव

पशुओं में मुंहपका – खुरपका रोग विभक्त खुर वाले पशुओं का अत्यन्त संक्रामक एवं घातक विषाणुजनित रोग है। यह गाय, भैंस, भेंड़, बकरी, सुअर आदि पालतू पशुओं एवं हिरन आदि जंगली पशुओं को होता है। कारण – यह रोग पशुओं

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बाड़े का चारा कैसा हो

भारतीय गौवंश के इस निम्न उत्पादन क्षमता का प्रमुख कारण हैं निम्न आनुवांशिक क्षमता तथा दूसरा महत्वपूर्ण कारण हैं निम्न मात्रा में निम्न स्तर। निम्न गुणवत्ता का चारा मिलना। अत: अगर पशुपालक भाई निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें तो निश्चित

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