राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय से डॉ. तिवारी आस्ट्रेलिया जाएंगी
15 जुलाई 2022, ग्वालियर: राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय से डॉ. तिवारी आस्ट्रेलिया जाएंगी – राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय जैव प्रौद्योगिकी विभाग की वैज्ञानिक डॉ. सुषमा तिवारी जीनोम एडिटिंग में 3 महीने के प्रशिक्षण के लिए मरडोच विश्वविद्यालय, आस्ट्रेलिया जा रही हैं। वे वहां जीनोम एडिटिंग में प्रशिक्षण प्राप्त करेंगी। यह प्रशिक्षण छ।भ्म्च्.प्क्च् प्रोजेक्ट के सहयोग से किया जा रहा है। मरडोच विश्वविद्यालय में विश्वस्तरीय अनुसंधान केंद्र है जहाँ जैव प्रौद्योगिकी में जीन एडिटिंग पर डॉ. राजीव कुमार वारसने के निर्देशन में अच्छा काम हो रहा है। डॉ. तिवारी 29 जुलाई को आस्ट्रेलिया के लिए रवाना होंगी।
डॉ. सुषमा तिवारी ने बताया कि कृषि क्षेत्र में जीनोम एडीटिंग तकनीक उन पौधों को पैदा कर सकती है जो न केवल उच्च पैदावार देने में सक्षम होंगे बल्कि यह सूखे और कीटों से बचाव के लिए फसलों में विभिन्न परिवर्तन कर सकते हैं ताकि आने वाले वर्षों में चरम मौसमी बदलावों में भी फसलों को हानि से बचाया जा सके। भारतीय वैज्ञानिक जीन एडिटिंग की सहायता से विटामिन ए से भरपूर केला और चावल, दाल, टमाटर, बाजरा की उन्नत किस्में पैदा कर सकते हैं। जीनोम बदलकर स्वास्थ्य एवं पोषण के लिए अनुकूल फसलों की किस्मों को तैयार किया जा सकेगा।
जीनोम एडीटिंग से बदल सकते हैं फसलों का डीएनए
डॉ सुषमा तिवारी ने बताया कि जीनोम एडिटिंग (जीन एडिटिंग) प्रौद्योगिकियों का एक समूह है जिसकी सहायता से वैज्ञानिक जीव व फसल के डीएनए को बदल सकते हैं। ये प्रौद्योगिकियां जीनोम में विशेष स्थानों पर फसलों की आनुवंशिक सामग्री को जोडने, हटाने या बदलने में सहायक होती हैं। इस बदलाव से फसल के गुण अवगुण बदले जा सकते हैं। उन्हें उत्पादन एवं मौसम के अनुकूल गुणों से युक्त बनाया जा रहा है। अमेरिका, जापान, आस्ट्रेलिया, चीन और ब्राजील के वैज्ञानिक इसका जलवायु की चुनौतियों अनुसार फसलों के गुणधर्म विकसित करने में उपयोग कर रहे हैं। वि.वि. के कुलपति प्रो. राव ने डॉ. तिवारी को इस उपलब्धि के लिए बधाई देते हुए आशा व्यक्त की है कि इनके प्रशिक्षण से विश्वविद्यालय की शोध गतिविधियों की गुणवत्ता बढेगी।
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