राजस्थान में आदिवासी मछुआरों को आर्थिक संबल दे रहा शून्य राजस्व आजीविका मॉडल
6218 मछुआरे प्राप्त कर रहे नियमित रोजगार एवं आमदनी
15 जनवरी 2023, जयपुर । राजस्थान में आदिवासी मछुआरों को आर्थिक संबल दे रहा शून्य राजस्व आजीविका मॉडल – राजस्थान मरू भूमि के रूप में जाना जाता रहा है, परन्तु यहाँ के जलाशयों, नदी-तालाबों, पोखरों की जल सम्पदा ने किसानों के लिए मत्स्य पालन के अवसर भी उपलब्ध करवाए हैं। राज्य सरकार की जन कल्याणकारी नीतियों और किसानों को संबंल देने के निरंतर प्रयासों और नवाचारों का ही परिणाम है कि प्रदेश में मत्स्य उद्योग फला-फूला है। इस क्षेत्र में न केवल रोजगार के नए अवसर उपलब्ध हुए हैं, बल्कि मछुआरों की आय में भी इजाफा हुआ है।
राज्य सरकार ने मत्स्य पालन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए आदिवासी क्षेत्रों में आय एवं रोजगार के संसाधन विकसित करने की पहल की है। इस क्रम में राज्य सरकार द्वारा मत्स्य पालन में नित नए नवाचारों को प्रोत्साहन देते के लिए राज्य के जनजाति उपयोजना क्षेत्र के अंतर्गत उदयपुर के जयसमंद बाँध, डूंगरपुर के कडाना बैक वाटर एवं बांसवाड़ा के माही बजाज सागर में आजीविका मॉडल के तहत आदिवासी मछुआरा समितियों द्वारा मछली पालन कर आय के साधन विकसित किये जा रहे हैं।
क्या है शून्य राजस्व आजीविका मॉडल
शून्य राजस्व आजीविका मॉडल के तहत विभाग द्वारा उदयपुर के जयसमंद बाँध, डूंगरपुर के कडाना बैक वाटर एवं बांसवाड़ा के माही बजाज सागर में जलाशयों से किसी प्रकार का राजस्व प्राप्त नहीं किया जाकर आदिवासी मछुआरों के लिए आजीविका सृजन का कार्य मुख्य रूप से किया जा रहा है। साथ ही आदिवासी मछुआरों को मछली की प्रजाति एवं आकार के अनुसार मछली पकडऩे का भुगतान विभाग द्वारा करवाया जा रहा है। विभाग द्वारा मत्स्य विकास हेतु 60 लाख आंगुलिक मत्स्य बीज का संचयन भी करवाया गया है। इसके अतिरिक्त जयसमंद बांध पर आधुनिक मत्स्य लेंडिंग सेंटर का निर्माण भी करवाया गया है।
आजीविका मॉडल से 6218 सदस्यों को मिल रहा नियमित रोजगार
मत्स्य उत्पादक सहकारी समिति गामड़ी, हीरावत, पाटन, पानी कोटड़ा, मेथूड़ी, देवड़ा तालाब एवं तोरण माहुड़ी (जयसमंद बांध, उदयपुर) मतस्य उत्पादक समिति कोटड़ा, सेलोता, सालेड़ा एवं वंडा डोकर (कडाना बेक वाटर बांध, डूंगरपुर) एवं मतस्य उत्पादक सहकारी समिति देवगढ़, बस्सीपाड़ा, महुखोरा एवं खजुरी (माही बजाज सागर बाँध, बांसवाड़ा) सहित कुल 57 आदिवासी मतस्य उत्पादक सहकारी समितियों के 6218 सदस्य आजीविका मॉडल के माध्यम से नियमित रोजगार एवं आमदनी प्राप्त कर रहे हैं।