महिलाएं बना रहीं डेयरी सेक्टर में नई पहचान: एनडीएस की अनोखी पहल
04 अप्रैल 2025, नई दिल्ली: महिलाएं बना रहीं डेयरी सेक्टर में नई पहचान: एनडीएस की अनोखी पहल – डेयरी सेक्टर में एक नया बदलाव देखने को मिल रहा है, जहां महिलाएं अब सिर्फ दूध निकालने या मवेशी संभालने तक सीमित नहीं हैं, बल्कि बड़े-बड़े डेयरी उद्यमों की कमान संभाल रही हैं। नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (एनडीडीबी) की सहायक कंपनी एनडीडीबी डेयरी सर्विसेज (एनडीएस) इस बदलाव की सबसे बड़ी वजह बन रही है। ये कंपनी न सिर्फ महिलाओं को सशक्त बना रही है, बल्कि उन्हें बिजनेस की दुनिया में लीडरशिप की भूमिका भी दे रही है।
एनडीएस की शुरुआत 2009 में हुई थी और तब से ये डेयरी सेक्टर में महिलाओं की ताकत को बढ़ाने का काम कर रही है। आज इसके 22 दूध उत्पादक संगठनों (एमपीओ) में से 17 पूरी तरह महिलाओं के हाथ में हैं। इन संगठनों के बोर्ड में महिलाएं ही फैसले लेती हैं और रणनीति बनाती हैं। खास बात ये है कि 22 में से 18 एमपीओ की कमान भी महिलाओं के पास है। ये आंकड़े बताते हैं कि डेयरी सेक्टर में महिलाएं अब पीछे नहीं, बल्कि सबसे आगे खड़ी हैं।
एनडीडीबी और एनडीएस के चेयरमैन डॉ. मीनेश शाह इस बदलाव को लेकर बेहद उत्साहित हैं। उन्होंने कहा, “एनडीएस के इन संगठनों ने ये साबित कर दिया है कि महिलाएं डेयरी सेक्टर में सफलता की नई कहानी लिख सकती हैं। ये सामूहिक मेहनत का नतीजा है, जिसने ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बनाया है।” उन्होंने ये भी बताया कि इन संगठनों की वजह से 1.22 लाख से ज्यादा ग्रामीण महिलाएं ‘लखपति दीदी’ बन चुकी हैं। इतना ही नहीं, कई महिला लीडर्स ने अमेरिका और फ्रांस जैसे देशों में वर्ल्ड डेयरी समिट में भारत का नाम रोशन किया है।
डॉ. शाह का मानना है कि अब वक्त आ गया है कि महिलाएं डेयरी के रोज़मर्रा के कामकाज की जिम्मेदारी भी संभालें। इसी कड़ी में राजस्थान के अलवर में सखी महिला दुग्ध उत्पादक संस्था ने एक मिसाल कायम की है। यहां श्रीमती रचना देवधर गोयल ने बतौर सीईओ कमान संभाली है, जो अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है।
सखी एमपीओ की चेयरपर्सन पिंकी शर्मा कहती हैं, “हमारा संगठन महिलाओं को मजबूत करने की नींव पर बना है। हमें गर्व है कि डेयरी के ज़रिए हज़ारों महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं। हमारा मकसद है कि और ज़्यादा महिलाएं आगे आएं और अपने लिए बेहतर भविष्य बनाएं।”
सखी महिला दुग्ध उत्पादक संस्था की शुरुआत 19 मार्च 2016 को टाटा ट्रस्ट और एनडीएस के सहयोग से हुई थी। आज ये संगठन राजस्थान, हरियाणा और पंजाब के 13 जिलों में फैल चुका है। 3,000 गांवों की 90,000 से ज्यादा महिला किसान इसके साथ जुड़ी हैं और हर दिन 5.5 लाख लीटर दूध इकट्ठा करती हैं। वित्त वर्ष 2024-25 में इस संगठन का टर्नओवर 700 करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है। ये आंकड़े साफ बताते हैं कि ग्रामीण महिलाएं अब डेयरी सेक्टर की रीढ़ बन रही हैं।
एनडीएस का मिशन है कि भारतीय महिलाएं डेयरी सेक्टर का चेहरा बनें और देश में समावेशी विकास को बढ़ावा दें। ये कहानी सिर्फ दूध की नहीं, बल्कि महिलाओं की मेहनत, हिम्मत और सफलता की है।
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