राज्य कृषि समाचार (State News)पशुपालन (Animal Husbandry)

स्थानांतरित मधुमक्खी पालन

लेखक: डॉ. विवेक सिंह तोमर, दीपिका नेमा, वीरबल कुशवाह स्कूल ऑफ़ एग्रीकल्चर, श्री सत्य साईं यूनिवर्सिटी ऑफ़ टेक्नोलॉजी एंड मेडिकल साइंसेज़, सीहोर (म.प्र.) एंव डॉ. राजेश वर्मा  सेवानिवृत अधिष्ठाता कृषि कीट वैज्ञानिक, कृषि महाविद्यालय, सीहोर

14 मई 2025, भोपाल: स्थानांतरित मधुमक्खी पालन – भारतवर्ष व सम्पूर्ण विश्व में आज मधुमक्खी पालन एक स्थापित व्यवसाय का रूप ले चूका है कृषि के साथ अतिरिक्त आय का एक महत्वपूर्ण साधन के रूप में मधुमक्खी पालन को अपनाया जा सकता है मधुमक्खी पालन प्राय: दो प्रकार से किया जाता है I

स्थाई मोनालय: वहा स्थापित किये जाते है जहाँ वर्ष भर मोंन पुष्प पाए जाते है I चुकी यह  स्थाई रूप से एक ही जगह स्थापित कर दिए जाते है इसलिए इसे स्थाई मधुमक्खी पालन कहते है इस प्रकार के मधुमक्खी पालन में प्रति इकाई स्थाई मौनशाला से वर्ष भर में लगभग 15-20 किलोग्राम शहद प्राप्त होता है जबकि अस्थाई मौनशाला या स्थान्तरित मधुमक्खी पालन में प्रति इकाई 40-50 कि.ग्रा शहद प्रतिवर्ष प्राप्त किया जा सकता है I

प्रस्तुत लेख में हम स्थान्तरित मधुमक्खी पालन के बारे में विस्तृत चर्चा करेंगे I

मौनशालाओ या मौनगृहों के स्थानान्तरण के समय निम्नलिखित सावधानियो को ध्यान में रखना आवश्यक है l

  • स्थल चयन: मधुमक्खी पालक को स्थल के बारे में सम्पूर्ण जानकारी होना आवश्यक है जैसे स्थल मार्ग, स्थल पर उपलब्ध मौन पुष्प, पुष्पन अवधि, रुकने के दिन, एक के बाद एक फूल आसानी से उपलब्ध हो आदि सभी रुपरेखा का सम्पूर्ण ज्ञान होना चाहिए I
  • मोसम: वैसे तो ठंड का मोसम स्थानातरण के लिए सर्वाधिक उपयुक्त होता है इसलिए यह काम सुबह के समय कराना चाहिएI परतु यदि ग्रीष्म ऋतु में  यह कार्य करना पड़े तो रात्रि का समय उपयुक्त रहता है l बी हाइव के अन्दर पानी बिल्कुल नहीं जाना चाहिए Iप्रत्येक मोसम में तीन बातो का ध्यान रखना अत्यावश्यक है वायु संचार, ठंडक और मौनगृहों के अन्दर पर्याप्त स्थानI
  • दूरी :एक स्थान से दुसरे स्थान पर स्थानातरण में यदि 10-12 घंटे का समय लगता है तो एक ही रात में स्थानात्रित किया जा सकता हैI परन्तु यदि इससे अधिक समय लगता है तो दिन के समय किसी ऐसे स्थान पर रुकना चाहिए  जहाँ मौन पुष्प उपलब्ध हो I दिन में विश्राम के समय मौनगृहों के प्रवेश द्वार खोल देना चाहिएI संध्या समय पुनः बंद कर रात्रि में आगे का सफ़र करना चाहिए I
  • मौनगृहों की संख्या: मौनगृहों की संख्या जितनी अधिक होगी स्थानान्तरण लागत उतनी ही कम आवेगी I जहाँ तक संभव हो पूरा ट्रक भरकर ही मौनगृहों का स्थानान्तरण किया जाना चाहिए I मौनगृहों को एक के ऊपर एक रखते समय जाली पर किनारे तिरझे लकड़ी के गुटके लगा देना चाहिए जिससे दो वंशो के बीच समुचित अंतर रहे I
  • वंशो का विभाजन : स्थानान्तरण के दोरान तापमान में काफी अधिक वृधि होती है जिससे मौनवंश में मधुमक्खी के झुण्ड फेलना शुरू कर देते है पर्याप्त स्थान न होने से मधुमक्खी स्थानान्तरण जाली व प्रवेश द्वार की जाली एवं अन्य वायु संचार वाले स्थान पर बैठ जाती है I मौनगृहों का तापमान बढने पर मोम छत्ते पिघलने लगते है एवं उनमे एकत्रित शहद बहने लगता है जिससे मधुमक्खी चिपकर दम घुटने से मर जाती है इसलिए शक्तिशाली वंशो को  विभाजित कर देना चाहिए और उन पर पहचान चिन्ह लगा देना चाहिएI
  • स्थानान्तरण पूर्व तैयारी: स्थानान्तरण पूर्व छत्तों से शहद निकाल लेना चाहिए नहीं तोछत्तों के टूटने व शहद में मक्खिया फसने की संभावना बनी रहती है I स्थानान्तरण जाली लगाने से पहले, मौन गृहों में यदि चोखट की संख्या कम हो तो खाली चोखट पर मोम शीट लगाकर जाली को कील से ठोक दे I संध्या समय में सभी मौनो को मोंनग्रहो में आ जाने के बाद प्रवेश द्वार को जाली से बंद कर दे लम्बी दूरी के स्थानान्तरण के लिए मौनगृहों में केंडी या शक्कर की ख़ुराक कम पानी में दे सकते है I
  • स्थानान्तरण के लिए वाहन: मौनगृहों का स्थानातरण यदि ट्रक द्वारा किया जाना है तो ट्रक में मौनगृहों का प्रवेश द्वार पीछे की और रखकर लोड करे क्योकि ट्रक में लोड की गई वस्तु में गति आगे एवं पीछे की ओर होती है जबकि ट्रेक्टर ट्राली में यह दाये से बाये की ओर होतीं है इसलिए ट्रेक्टर-ट्राली मौनगृहों का प्रवेश द्वार दाये या बाये ओर रखकर लोड करेI ऐसा  करने से गाड़ी चलते समय छत्तो की गति से मधुमक्खी आपस में लड़कर नहीं मरेंगी Iमौनगृहों को लोडिंग-अनलोडिंग करते समय गाड़ी का इंजन चालू रखना चाहिए जिससे मधुमक्खिया मौनगृहो में ही बनी रहती है I अनलोडिंग शाम या रात के समय ही करनी चाहिए I
  • मौनगृहों का स्थापना: उस समय करना चाहिये जब फसल में भरपूर मात्रा में पुष्पन हो रहा है I परागकणों के स्फुटन मौनगृहों का स्थापन किया जाता है मधुमक्खिया तुरंत परागकण व पराग एकत्रित करना शुरू कर देती है I मोनोगृहों को छोटे-छोटे समूहों में पूरे क्षेत्र में या जहाँ-जहाँ पुष्पन हो फेला कर रखना चाहिए जिससे स्थानीय मधुमक्खिया अच्छा काम कर सकती है और हम लाभ अधिक प्राप्त कर सकते हैI

स्थांनातरित मधुमक्खी पालन में समस्याऐ

  1. किसानो को भ्रम रहता है कि मधुमक्खी के फूलो से रस चूसने से उपज कम प्राप्त होगीI
  2. तिलहनी फ़सलो के क्षेत्र में आ रही लगातार कमी
  3. कीटनाशको के अत्यधिक उपयोग से मधुमक्खियो पर विपरीत प्रभाव
  4. स्थानातरित मधुमक्खी पालन में रोग फेलने की सभावनाऐ अधिक रहती है
  5. क्षेत्र की सीमा बाधाये

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