पशुपालन (Animal Husbandry)

गिर नस्ल की गायों के पालन ने बढ़ाया गौरव

  • (दिलीप दसौंधी, मंडलेश्वर)

19 सितम्बर 2022, गिर नस्ल की गायों के पालन ने बढ़ाया गौरव – हमारे देश में गाय को माता का दर्जा दिया गया है और उसका पूजन भी किया जाता है। ऐसे में यदि गौ पालन का अवसर मिल जाए तो समझो सोने में सुहागा, क्योंकि गाय की सेवा के साथ ही मेवा भी मिलता है। जहां दूध से आय बढ़ती है, वहीं गाय के गोबर से फसल की उत्पादकता भी बढ़ती है। खरगोन जिले के एक ऐसे ही गोपालक श्री हेमेंद्र सोलंकी (52) हैं, जो गिर नस्ल की 80 गायों का पालन करते हैं। दूध और फसलोत्पादन ने उनके गौरव को बढ़ा दिया है।

कला एवं विधि स्नातक श्री हेमेंद्र सोलंकी ने कृषक जगत को बताया कि उनके पास कुल 133 एकड़ ज़मीन है, जिसमें से 30 एकड़ खरगोन में बीटीआई रोड पर और 103  एकड़ कसरावद तहसील के लोहारी के पास ग्राम गुजारी में है। जहां पूर्णत: गौ आधारित खेती की जाती है। रसायनों का प्रयोग बिल्कुल नहीं किया जाता है। फसल की गुणवत्ता और उत्पादकता भी बेहतर रहती है। इस साल खरीफ में ज्वार,कपास, सोयाबीन और तुवर लगाई है। श्री सोलंकी ने जानकारी दी कि बंसी गिर गौशाला, अहमदाबाद के संचालक श्री गोपाल भाई सुसारिया गौ कृपा अमृतम के नाम से जैविक बैक्टीरिया का देश में नि:शुल्क वितरण करते हैं। 

श्री सोलंकी ने बताया कि उनके पास  गिर नस्ल की 80 गायें हैं, जिनमें से फिलहाल 25 गायें दूध दे रही हंै। गिर नस्ल की यह गायें वे गुजरात के भावनगर,अमरेली, जूनागढ़ और राजकोट आदि क्षेत्रों से खरीद कर लाए हैं। इनकी कीमत 60 हज़ार रुपए से लेकर 1 लाख 30 हज़ार रुपए तक है। गिर गायों की विशेषता यह है कि इनकी दूध देने की क्षमता अधिक रहती है,जबकि भैंस के मुकाबले इनके आहार का खर्च कम रहता है। गिर नस्ल की गाय अधिकतम 16 लीटर प्रतिदिन तक दूध देती है। करीब दो क्विंटल दूध का उत्पादन रोजाना होता है।

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