पशुपालन (Animal Husbandry)

अच्छा बैक्टीरिया, बुरा बैक्टीरिया

अच्छा बैक्टीरिया, बुरा बैक्टीरिया – कुछ बैक्टीरिया बुरे होते हैं जो पौधों, मनुष्यों, पशु-पक्षियों में भांति-भांति की बीमारियां फैलाते हैं और कुछ अच्छे बैक्टीरिया होते हैं जो पौधों, मनुष्यों और पशु-पक्षियों के लिए लाभदायक होते हैं। इन अच्छे बैक्टीरिया को प्रोबायोटिक भी कहते हैं। जैसे अच्छे लोगों को संख्या बढ़ती है तो बुरे लोगों की संख्या कम हो जाती है इसी तरह अच्छे बैक्टीरिया की संख्या बढऩे पर सिस्टम में बुरे बैक्टीरिया की संख्या कम होती जाती हैं।

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वैसे तो जुगाली करने वाले पशुओं के पेट में अंसख्य बैक्टीरिया उपस्थित होते हैं। मगर इसके बावजूद भी उनको प्रोबायोटिक खिलाने से उनके अंदर कुदरती तौर पर मौजूद बैक्टीरिया की गतिविधियां बढ़ जाती हैं और चारे और दाने का पाचन और भी बेहतर होने लगता है जिसका प्रभाव पशुओं की वृद्धि और दुग्ध उत्पादन पर पड़ता है। प्रोबायोटिक खिलाने से वृद्धिशील पशुओं में वृद्धि ज्यादा होती है और दूध देने वाले पशु दूध ज्यादा देते हैं।
इसके अलावा पशुओं का पाचनतंत्र खराब होने पर अगर पशुओं को प्रोबायोटिक खिलाएं जाएं तो वह जल्दी ठीक होते हैं। पशु के गोबर में अनाज के अधपचे दाने निकल रहे हों, पशु का गोबर पतला हो या बहुत अधिक सख्त हो तो प्रोबायोटिक के उपयोग से इसे बहुत शीघ्र ठीक किया जा सकता है।

पशुओं के बीमार होने पर एंटीबायोटिक औषधियों का प्रयोग किया जाता है जिसके कारण हानिकारक बैक्टीरिया के साथ साथ पेट में मौजूद अच्छे बैक्टीरिया भी मारे जाते हैं तो एंटीबायोटिक औषधियों के उपयोग के पश्चात प्रोबायोटिक देना बहुत ही आवश्यक हो जाता है ताकि पाचनतंत्र में अच्छे बैक्टीरिया फिर से पनप सकें। बाजार में आजकल काफी प्रोबायोटिक परिप्रेशन्स मौजूद हैं जिनके तीन चार दिन तक प्रयोग से आशातीत परिणाम प्राप्त किये जा सकते हैं। पाचन से सम्बंधित किसी भी रोग में जितना फायदा दवाई करेंगी उससे कहीं ज्यादा प्रोबायोटिक की श्रेणी में आने वाले फीड सप्लीमेंट करेंगे।

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