ब्रूसेलोसिस रोग- गोजातीय गर्भपात
लेखक – डॉ. स. दि. औदार्य (सहायक प्राध्यापक), डॉ. अं. कि. निरंजन (सहायक प्राध्यापक), डॉ. नी. श्रीवास्तव (सह. प्राध्यापक), पशुचिकित्सा सूक्ष्म-जीव विज्ञान विभाग, पशुचिकित्सा विज्ञान एवं पशुपालन महाविद्यालय, नानाजी देशमुख पशुचिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय, कुठुलिया, रीवा
02 जुलाई 2024, भोपाल: ब्रूसेलोसिस रोग- गोजातीय गर्भपात – गर्भपात करने वाली गाय से, पशुओं की बड़ी संख्या संक्रमित हो सकती है खासकर जब जानवर घर के अंदर निकट संपर्क में हों। अतिसंवेदनशील गर्भवती गायों के झुंड में गर्भपात तूफान (एक ही समय अधिक संख्या में गर्भवती गायों के झुंड में गर्भपात का हो जाना) का सामना करना पड़ सकता है। गर्भपात आमतौर पर गर्भ के पांचवें महीने के बाद होता है, अलग-अलग गर्भधारण पूरा हो जाता है। प्रसव के दौरान गर्भपात के बाद लगभग 2 से 4 सप्ताह तक गर्भाशय स्राव में बड़ी संख्या में बू्रसेला जीवाणु उत्सर्जित होते हैं, हालांकि संक्रमित बछड़े सामान्य दिखाई देते हैं। गायों के विपरीत बछड़ों में संक्रमण सीमित अवधि का होता है। गायों में स्तन ग्रंथियों और संबंधित लसीका ग्रंथियाँ (लिम्फ नोड्स) का संक्रमण कई वर्षों तक बना रहता है। बू्रसेला जीवाणु कई वर्षों तक दूध में रुक-रुक कर उत्सर्जित हो सकता है। सांडों में बू्रसेला जीवाणु लक्षित संरचनाओं में वीर्य पुटिका, कुप्पी (एम्पुला), अंडकोष और अधिवृषण (एपिडीडिमाइड) शामिल है। उष्णकटिबंधीय देशों में, अंगों के जोड़ों से जुड़े हाइग्रोमा अक्सर तब देखे जाते हैं जब रोग झुंड में स्थानिक मात्रा में होता है। प्रभावित झुंडों में, बू्रसेलोसिस के परिणामस्वरूप प्रजनन क्षमता में कमी, दूध उत्पादन में कमी, अतिसंवेदनशील प्रतिस्थापन जानवरों में गर्भपात और बैलों में वृषण अध:पतन हो सकता है।
बू्रसेलोसिस निदान आसानी से नजदीकी पशु सुविधा केंद्र में प्रयोगशाला में किया जाता है। निदान के लिए पशुओं का दूध भी उपयोग में लाया जाता है। बू्रसेलोसिस रोग के रोकथाम हेतु टिका उपलब्ध है जो की पशु के जीवनकाल में केवल एक बार मादा बछियों को दिया जाता है। टीकाकरण बू्रसेलोसिस के रोकथाम और नियंत्रण का एक प्रभावी तरीका है। पशुपालकों को अपने- अपने पशुओं में बू्रसेलोसिस का टिका अवश्य लगवाना चाहिए।
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