Uncategorized

देसी कपास से होगा बेहतर उत्पादन

Share
पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में कपास का रकबा बढ़ाने पर जोर

नई दिल्ली। कपास खरीफ में उगाई जाने वाली प्रमुख नकदी फसल है। कपास की खेती से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि भारत सरकार की ओर से अधिसूचित और प्रदेश सरकार की ओर से अनुमोदित 50 कपास किस्मों के प्रमाणित बीज का इस्तेमाल कपास बिजाई के दौरान किया जाए तो कपास की अच्छी पैदावार हासिल की जा सकती है। उत्तरी भारत में हरियाणा, पंजाब और राजस्थान में इस बार भारत सरकार सीआईसीआर (केंद्रीय कपास अनुसंधान केंद्र) देसी कपास की बिजाई के एरिया में और ज्यादा इजाफा करना चाहती है। सीआईसीआर के समन्वयक डॉ. दिलिप मोंगा के मुताबिक पिछले साल उत्तरी भारत की कपास बेल्ट में कपास उत्पादन के कुल 15 लाख हेक्टेयर में से 10 फीसदी एरिया में देसी कपास की बिजाई की गई थी। इस बार देसी कपास की बिजाई के एरिया में कम से कम 25 फीसदी इजाफा करने का टारगेट रखा गया है। इस टारगेट को हासिल करने के लिए सीआईसीआर की ओर से विकसित कराई गई देसी कपास की तीन वैरायटियों की बिजाई को रिकमेंड किया गया है। देसी कपास की एक खासियत यह भी है कि इसमें बीमारी हाइब्रिड कपास या बीटी काटन की तुलना में कम लगती है। सफेद मक्खी के हमले से फसल को बचाने के लिए भी विशेषज्ञ काम कर रहे हैं।
देसी कपास की पहली वैरायटी उन्नत हाइब्रिड सीआईसीआर-2 : इस वैरायटी को सीआईसीआर की ओर से विकसित किया गया है और सेंट्रल वैरायटल रिलीज कमेटी की ओर से उत्तरी भारत की कपास बेल्ट में उत्पादन के लिए अनुमोदित किया गया है।
सीआईसीआर 2 की गुणवत्ता : सीआईसीआर के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. आर. मीणा के मुताबिक सीआईसीआर 2 वैरायटी का पौधा मजबूत होता है जिसकी बढ़ोत्तरी 5 फीट तक होती है और जमीन पर नहीं गिरता है। पैदावार क्षमता भी 14 क्विंटल प्रति एकड़ के हिसाब से आती है।

Share
Advertisements

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *