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प्रत्येक राज्य एक जैविक गांव बनाएं: प्रधानमंत्री

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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने राज्यों से कहा कि वे अपने यहां के 50 प्रतिशत किसानों की भागीदारी नई फसल बीमा योजना में तय करें। सिक्किम में नई कृषि नीति पर आयोजित एक सेमीनार को संबोधित करते हुए श्री मोदी ने कहा कि राज्यों को पहले यह कोशिश करनी चाहिए कि एक जिला या एक गांव ऑर्गेनिक हो, क्योंकि यह चुनौती पूर्ण लक्ष्य है। श्री मोदी ने कहा, बड़ा लक्ष्य बनाए बगैर पहले हमें यह कोशिश करना चाहिए कि एक छोटी शुरूआत की जाए।
श्री मोदी ने कहा कि सरकार स्वच्छ भारत अभियान को खेती से जोडऩे पर भी विचार कर रही है, जिसके तहत कंपोस्ट से ऑर्गेनिक खाद बनाने को प्रोत्साहन दिया जाए। केंद्र सरकार की कौशल विकास योजना भी युवाओं को शिक्षित करने में लाभदायक होगी, जिससे वे मिट्टी के स्वास्थ्य के तकनीकी विशेषज्ञ बन सकते हैं। श्री मोदी ने यह भी कहा कि कृषि को तीन हिस्सों में विभाजित किया जा सकता है, पहला परम्परागत खेती, दूसरा पेड़ और तीसरा पशुपालन। नीति आयोग के सदस्य श्री रमेश चंद ने निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाने, जमीन पट्टा नीति में सुधार और आसान बाजार पहुंच की वकालत करते हुए किसानों को अतिरिक्त रूप से कुशल करने के लिए प्रशिक्षण देने पर जोर दिया, जिससे वे कृषि क्षेत्र के बाहर भी रोजगार पा सकें।
उन्होंने कहा कि भारतीय किसानों को 2005 से 2012 तक वैश्विक स्तर पर बढ़ते खाद्य मूल्य से फायदा हुआ, लेकिन पिछले दो साल में स्थिति खराब हुई है।
उन्होंने कहा कि पिछले दो साल से कृषि क्षेत्र काफी गंभीर समस्या का सामना कर रहा है। सरकार कृषि क्षेत्र में 4 प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल करने का प्रयास कर रही है और इसके लिये केंद्रीय कृषि मंत्री श्री राधामोहन सिंह ने मौजूदा विभिन्न योजनाओं में निकट तालमेल से कृषि क्षेत्र में निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा। श्री सिंह ने कहा, कृषि क्षेत्र में ऊंची वृद्धि हासिल करने के लिये सार्वजनिक और निजी निवेश बढ़ाने की जरूरत है। कृषि क्षेत्र में निवेश बढ़ाने के लिये मौजूदा योजनाओं में निकट तालमेल बिठाने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऊंचे निवेश से मूल्य श्रृंखला में शुरूआती और बाद के चरण की सुविधाओं का विकास करने में मदद मिलेगी। इसके अलावा यह उत्पादन, प्रसंस्करण तथा विपणन में भी मदद करेगा। तीन दिन के इस सम्मेलन में राज्यों के कृषि मंत्रियों और अधिकारियों के साथ विस्तृत विचार-विमर्श के बाद उन निवेश गतिविधियों के बारे में सुझाव दिया जाएगा। इसी के अनुरूप केंद्रीय और राज्य स्तर पर योजनाओं को एकीकृत तरीके से डिजाइन किया जाएगा। सम्मेलन में म.प्र. के कृषि मंत्री श्री गौरीशंकर बिसेन, कृषि उत्पादन आयुक्त श्री पी.सी. मीणा एवं प्रमुख सचिव डॉ. राजेश राजौरा ने भी भाग लिया।

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