Uncategorized

मध्यप्रदेश में दलहन का वर्तमान परिदृश्य

Share

दलहन के उत्पादन एवं खपत में हमारा देश पूरे विश्व में सर्वोपरि है। हमारा देश प्रतिवर्ष लगभग 23 मिलियन टन दलहन का उपभोग करता है, लेकिन विगत कुछ वर्षों से दाल का उत्पादन 18-19 मिलियन टन तक ही सीमित है। हम उत्पादन और उपभोग के बीच की कमी को पूरा करने के लिए दाल का आयात कनाडा, म्यामार और कुछ अफ्रीकी देशों से करते हैं। वर्ष 2013-14 की तुलना में वर्ष 2014-15 में दाल के उत्पादन में लगभग 12 प्रतिशत की कमी आयी है। जिसके फलस्वरूप दाल के मूल्य में 100 प्रतिशत से भी अधिक की वृद्धि देखी गई।
मध्यप्रदेश दलहन के अंतर्गत रकबा एवं उत्पादन में देश में अव्वल है। वर्ष 2014-15 में दलहन का रकबा एवं उत्पादन क्रमश: 55.11 लाख हेक्टेयर एवं 48.28 लाख टन दर्ज की गई। दूसरे शब्दों में, देश के दलहन के अंतर्गत रकबा में म.प्र. की हिस्सेदारी 24 प्रतिशत है और उत्पादन में लगभग 28 प्रतिशत का योगदान है। दाल देश के बहुसंख्यक लोगों के लिये प्रोटीन का मुख्य स्त्रोत है। 100 ग्राम दाल में लगभग 32 ग्राम प्रोटीन पाया जाता है। इसके साथ-साथ दाल अनेकों एमीनों एसिड का भंडार भी है, जो कि हमारे शरीर द्वारा नहीं बन पाता। अब हम मध्यप्रदेश में दलहन के वर्तमान परिदृश्य को देखें।
मध्यप्रदेश ने वर्ष 2014-15 में अरहर के उत्पादन में सराहनीय वृद्धि की है। वर्ष 2014-15 में वर्ष 2013-14 की तुलना में अरहर के रकबा में लगभग 12.28 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। वर्ष 2014-15 अरहर के उत्पादन में भी वर्ष 2013-14 की तुलना में 54 प्रतिशत की असाधारण वृद्धि देखी गई और इस तरह 5.11 लाख टन अरहर का उत्पादन हुआ। उत्पादकता में भी 31 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई और वर्ष 2014-15 में अरहर की उत्पादकता 9.81 क्विंटल प्रति हेक्टेयर आंकी गई।
राज्य में अरहर का उत्पादन तो सराहनीय रहा परंतु चना का उत्पादन एवं उत्पादकता के साथ रकबा में भी कमी देखी गई। वर्ष 2013-14 में चना का रकबा 31.60 लाख हेक्टेयर था और इसमें वर्ष 2014-15 में 10 प्रतिशत की कमी आयी। वर्ष 2013-14 की तुलना में वर्ष 2014-15 में चने के उत्पादन एवं उत्पादकता में क्रमश: 10 प्रतिशत एवं 0.5 प्रतिशत की कमी आंकी गई। वर्ष 2014-15 में चने का उत्पादन 10.30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से लगभग 29.64 लाख टन हुआ।
चना के उत्पादन में तो कमी आयी लेकिन वर्ष 2014-15 में उड़द के उत्पादन एवं उत्पादकता में आश्चर्यजनक वृद्धि देखी गई। इसके साथ-साथ उड़द के अंतर्गत रकबा में भी वर्ष 2014-15 में वर्ष 2013-14 की तुलना में 47.32 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। वर्ष 2014-15 में वर्ष 2013-14 की तुलना में उत्पादन में लगभग 96 प्रतिशत की वृद्धि आंकी गई और वर्ष 2014-15 में उड़द का उत्पादन 4.28 लाख टन हुआ। जबकि वर्ष 2013-14 में उड़द का उत्पादन 2.18 लाख टन हुआ था। उड़द के उत्पादकता में भी लगभग 33 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई। वर्ष 2013-14 में 3.79 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से उड़द का उत्पादन हुआ, जबकि  वर्ष 2014-15 उड़द की उत्पादकता 4.96 क्विंटल प्रति हेक्टेयर आंकी गई।
विगत कुछ वर्षों में दलहन का उत्पादन स्थिर होने के बहुत से कारण हैं। इनमें मुख्य कारण है कि बहुत से क्षेत्रों में दलहन की खेती वर्षा पर निर्भर करती है। फसल के मुख्य विकास के समय वर्षा में अनियमितता के कारण दलहन के उत्पादन पर अत्यधिक प्रभाव पड़ता है। फसल में दाना भरने के समय तापमान में वृद्धि भी उत्पादन को प्रभावित करता है। कीट एवं अन्य रोगों से दलहन की उत्पादकता में कमी एवं कृषक मजदूरों की समस्या भी प्रमुख बाधाएं हैं, जिसके कारण किसान दलहनी फसलों पर ज्यादा ध्यान नहीं दे पाते हैं।
आंकड़ा स्त्रोत : आर्थिक एवं सांख्यिकी निदेशालय, भारत सरकार

Share
Advertisements

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *