किसानों तक नई तकनीक पहुंचाने की चुनौती : श्री सिंह
ग्वालियर। केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री राधा मोहन सिंह ने कहा है कि अगर भारत का भाग्य गांव से बदलने वाला है, किसान से बदलने वाला है। श्री सिंह ने कहा कि सबसे बड़ी चुनौती यह है कि हम किसानों को आधुनिक, टेक्नालॉजी युक्त कैसे बनायें, जो आधुनिक अविष्कार हो रहे है उन्हें खेत तक कैसे पहुँचायें। केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने कहा कि देश में पहली कृषि क्रांति पश्चिमी छोर से अधिकतम पानी के भरोसे हुई अब दूसरी कृषि क्रांति की जरूरत है जो भारत के पूर्वी इलाकों से होगी। श्री राधा मोहन सिंह ने ये बात गत दिनों राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय, ग्वालियर में भारतीय मृदा विज्ञान संस्था के 81वें वार्षिक सम्मेलन में कही। तीन दिनों के इस सम्मेलन में देश भर के मृदा वैज्ञानिकों ने हिस्सा लिया। कृषि मंत्री ने कहा कि भारतीय कृषि के आधारभूत प्राकृतिक संसाधन जैसे भूमि, जल की उपलब्धता और गुणवत्ता में हो रही कमी के साथ-साथ घटती जैव-विविधता और अप्रत्याशित जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरुप मृदा उत्पादन कारकों की प्रति इकाई लागत में वृद्धि और कृषकों के आर्थिक लाभ में कमी आ रही है। खेती की लागत में कमी तथा कृषि उत्पादन बढ़ाने व उनकी क्षमता वृद्धि करने के लिए जमीन के समुचित समतलीकरण, जल के समुचित उपयोग उर्वरकों की उचित मात्रा, समय पर बुआई, कीट व्याधियों के समुचित प्रबंधन द्वारा आधुनिक अचूक विधि का प्रयोग किया जाना चाहिये। केन्द्रीय कृषि मंत्री ने कृषि विज्ञान केन्द्र, मुरैना में समेकित मधुमक्खी पालन विकास केन्द्र का शिलान्यास किया। इस मौके पर श्री सिंह ने कहा कि मधुमक्खी पालन कृषि मजदूरों सहित किसानों और अन्य लोगों के लिए एक बढिय़ा समवर्गी व्यवसाय है और यह किसानों की आय बढ़ाने में काफी उपयोगी है। श्री राधा मोहन सिंह ने इसके पहले राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय, ग्वालियर के अंतर्गत आंचलिक कृषि अनुसंधान केन्द्र मुरैना में आयोजित किसान मेला सह प्रदर्शनी एवं मधुमक्खी पालन जागरुकता कार्यक्रम का भी उद्घाटन किया। श्री राधा मोहन सिंह ने इस मौके पर कृषि तकनीकी सूचना केन्द्र का भी शिलान्यास किया।