State News (राज्य कृषि समाचार)

किसान परिवारों के युवा देंगे गांव में रोजगार

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किसानों के बच्चे दें 5 युवाओं को रोजगार, कृषि विश्वविद्यालय में एग्रीकल्चरल इनक्यूबेशन एंड एंटरप्रनयोरशिप सेंटर का लोकार्पण

16 फरवरी 2022, ग्वालियर ।  किसान परिवारों के युवा देंगे गांव में रोजगार किसानों को आसान और सस्ती तकनीक मिलेगी तो वे अपनी फसल एवं उपज का न केवल खाद्य प्रसंस्करण कर सकेंगे बल्कि उसके जरिए अपनी आमदनी में भी आसानी से इजाफा कर सकेंगे। हम चाहते हैं कि किसानों के बच्चे नौकरी मांगने वाले नहीं बल्कि नौकरी वाले बनें एवं नाबार्ड के सहयोग से शुरु किए जा रहे इनक्यूबेशन सेंटर की स्थापना का हमारा लक्ष्य यही है कि हर किसान परिवार का युवा कम से कम 5 लोगों को रोजगार दे। राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय अंतर्गत कृषि महाविद्यालय में सेंटर फॉर एग्रीबिजनेस इनक्यूबेशन एंड एंटरप्रनयोरशिप का शुभारंभ करते हुए यह बात केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कही।

उन्होंने कहा कि कृषि हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। कोरोना जैसी महामारी के बीच कृषि क्षेत्र ने ही भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाए रखा। नाबार्ड ने ग्वालियर चंबल अंचल में कृषि क्षेत्र में रोजगार एवं खाद्य प्रसंस्करण को बढ़ावा देने के लिए इनक्यूबेशन सेंटर की स्थापना में मदद कर महत्वपूर्ण कार्य किया है। इससे युवाओं को सस्ती एवं सुलभ तकनीक एवं विशेषज्ञों की मदद के जरिए उद्यमिता इकाई लगाने में मदद मिलेगी एवं वे खाद्य प्रसंस्करण के जरिए आमदनी बढ़ा सकेंगे।

मप्र के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री कमल पटेल ने ऑनलाइन संबोधन में कहा कि जो काम देश में 60 सालों में नहीं हुआ वो मोदी सरकार ने कुछ वर्षों में कर दिखाया है। आज किसानों के लिए किए जा रहे कार्यों से बिचौलिए खत्म हो रहे हैं एवं किसानों की आमदनी दुगुनी हो रही है। कार्यक्रम में उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण मंत्री भारत सिंह कुशवाह ने कहा कि भारत सरकार एवं राज्य सरकार खाद्य प्रसंस्करण को बढ़ावा देने के लिए इनक्यूबेशन सेंटर जैसे उपाय निरंतर कर रही हैं। ग्वालियर में बागबानी बोर्ड का कार्यालय लाना इसी दिशा मेें सार्थक कदम रहा। मप्र एक ऐसा प्रदेश है जहां खाद्य प्रसंस्करण में अपार संभावनाएं हैं। यहां एक जिला एक उत्पाद जैसे नवाचार के जरिए वातावरण बनाया जा रहा है। 35 लाख की प्रसंस्करण यूनिट लगाने पर 10 लाख की सब्सिडी दी जा रही है। अगर ये इकाइयां हमारे ग्रामीण युवा एवं किसान लगाएंगे तो प्रति इकाई 5 से 7 लोगों को रोजगार मिलेगा जिससे बेरोजगारी दूर होने के साथ ही किसानों की आमदनी दुगुनी हो सकेगी। नाबार्ड के चेयरमैन जी.आर. चिन्ताला ने कहा कि बिना पूंजी के न केवल कृषि प्रसंस्करण इकाइयां शुरु करने में परेशानी आती है साथ ही प्रारंभ होते ही कई स्टार्टअप बंद हो जाते हैं। नाबार्ड इस तरह की समस्याओं के निराकरण के लिए इनक्यूबेशन सेंटर के जरिए उद्यमियों के लिए ऋण देने में अपनी भूमिका निभाता है। उन्होंने कहा कि उद्यमिता को बढ़ावा देना हमारा लक्ष्य है एवं इसके लिए इनक्यूबेशन सेंटर के माध्यम से हम निरंतर कार्य कर रहे हैं। हमने कृषि क्षेत्र में अधिक क्रेडिट दी है जिसके सार्थक परिणाम आए हैं। इस साल साढ़े 18 लाख करोड़ की क्रेडिट दी है। कार्यक्रम के प्रारंभ में कुलपति प्रो. एस.के. राव ने कृषि विश्वविद्यालय की विभिन्न गतिविधियों की जानकारी दी एवं भविष्य के लक्ष्य बताए। अंत में आभार नोडल अधिकारी डॉ. सुधीर भदौरिया ने व्यक्त किया। इस अवसर पर प्रमंडल सदस्य श्री अतुल शर्मा, निदेशक शिक्षण डॉ. एस.पी.एस. तोमर, निदेशक विस्तार सेवाएं डॉ. वाय.पी. सिंह, अधिष्ठाता कृषि संकाय डॉ. डी.एच. रनाडे, अधिष्ठाता कृषि महाविद्यालय डॉ. एस.एस. तोमर, कुलसचिव अनिल सक्सेना सहित शिक्षकगण, वैज्ञानिकगण, छात्रगण एवं किसान मौजूद थे।

कृषि विश्वविद्यालय के साथ एमओयू साइन, वेबसाइट शुरु

लोकार्पण कार्यक्रम में कुलपति प्रो. राव ने विभिन्न संस्थानों के साथ एमओयू साइन किए व एक दूसरे के साथ कार्य करते हुए साझा लक्ष्यों के लिए कार्य करने का संकल्प लिया। इसमें कृषि व्यवसाय केन्द्र इको फैक्टरी फाउंडेशन के साथ कृषि उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिये एमओयू साइन किया गया। इस अवसर पर कृषि व्यवसाय केन्द्र की वेबसाइट, ब्रोचर, न्यूज लेटर, स्टार्ट अप कॉम्प्लिआंस कैलेंडर, चम्बल एग्रो किसान उत्पादक कंपनी की सफलता की कहानी और डॉ. सुधीर सिंह भदौरिया द्वारा कृषि उद्यमिता विकास पर लिखित दो पुस्तकें विमोचित की गईं।

नाबार्ड चेयरमैन ने किया कृषि विश्वविद्यालय का भ्रमण

नाबार्ड चेयरमैन श्री जी.आर. चिन्ताला ने रविवार सुबह राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय के बोर्ड रुम में कुलपति प्रो. एस.के. राव के नेतृत्व में अधिकारियों की बैठक ली एवं कृषि विश्वविद्यालय के विकास एवं विभिन्न गतिविधियों के बारे में जानकारी प्राप्त की। श्री चिन्ताला ने विश्वविद्यालय की लायब्रेरी एवं बायोटेक्नोलॉजी विभाग पहुंचकर वहां की उपलब्धियों एवं विकास कार्यों के बारें में जानकारी प्राप्त की। 

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