राज्य कृषि समाचार (State News)

इन नई किस्मों से हरियाणा के किसान सेब, आड़ू और बेर की खेती कर सकेंगे

रिपोर्ट: जग मोहन ठाकन

27 जनवरी 2025, चंडीगढ़: इन नई किस्मों से हरियाणा के किसान सेब, आड़ू और बेर की खेती कर सकेंगे – हरियाणा के दक्षिणी क्षेत्रों में पारंपरिक फसलें जैसे गेहूं, सरसों और बाजरा उगाने वाले किसान अब सेब, नाशपाती, आड़ू और आलूबुखारा की लो-चिलिंग किस्मों की खेती करेंगे। इस पहल से न केवल किसानों की आय बढ़ेगी, बल्कि एसजीटी यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक, शोधकर्ता और छात्र इस क्षेत्र के लिए नई किस्में और कृषि-तकनीक विकसित करने में भी योगदान देंगे।

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एसजीटी यूनिवर्सिटी, गुरुग्रा ने 25 जनवरी 2025 को कालीवास में अपने एग्रीकल्चर रिसर्च एंड डेमोंस्ट्रेशन फार्म पर इन फलों की खेती का शुभारंभ किया। यह एक ऐतिहासिक कदम है क्योंकि पारंपरिक रूप से यह क्षेत्र इन फलों की खेती के लिए उपयुक्त नहीं माना जाता था। यूनिवर्सिटी ने विशेष किस्मों और उन्नत कृषि-तकनीकों का विकास करके यह संभव बनाया है।

इस परियोजना का उद्देश्य पारंपरिक फसलों से आगे बढ़कर कृषि में विविधता लाना है। इसके तहत किसानों को उच्च मूल्य वाले फलों की खेती में प्रशिक्षित किया जाएगा और तकनीकी सहायता प्रदान की जाएगी। एसजीटी यूनिवर्सिटी की डीन, कृषि विज्ञान संकाय, डॉ. पूजा पंत ने कहा कि इस परियोजना से न केवल वैज्ञानिकों और छात्रों को क्षेत्र विशेष के लिए नई किस्में और तकनीक विकसित करने का अवसर मिलेगा, बल्कि किसानों के साथ ज्ञान साझा करने में भी मदद मिलेगी।

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गुरुग्राम क्षेत्र में अब तक गेहूं, सरसों और बाजरा जैसी पारंपरिक फसलें उगाई जाती रही हैं। लेकिन आधुनिक समय में कृषि विविधता के तहत एसजीटी यूनिवर्सिटी ने सेब, नाशपाती, आड़ू और आलूबुखारा जैसे उच्च मूल्य वाले फलों की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए गहन शोध के बाद यह कदम उठाया है। इन फलों की खेती में सफलता के लिए लो-चिलिंग किस्मों का चयन बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस क्षेत्र की जलवायु सामान्यत: इनके अनुकूल नहीं है।

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परियोजना की सफलता के लिए किसानों को प्रशिक्षण और तकनीकी सहायता प्रदान की जाएगी। इसके साथ ही, बदलते जलवायु में मृदा की गुणवत्ता का आकलन, बाजार की मांग के अनुसार उच्च मूल्य वाली फसलों की खेती और कृषि संबंधी चुनौतियों का समाधान किया जाएगा। यदि यह परियोजना सफल होती है, तो यह न केवल किसानों की आय में वृद्धि करेगी, बल्कि क्षेत्रीय कृषि को भी विविध बनाएगी और गुरुग्राम की अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगी।

इस परियोजना का उद्घाटनभारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली के पूर्व अध्यक्ष और प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. एस.एस. सिंधु और राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान, लखनऊ के पूर्व प्रमुख डॉ. आर.के. रॉय ने किया।

इस अवसर पर एसजीटी यूनिवर्सिटी के प्रो-वाइस चांसलर डॉ. हरदीप सिंह, फार्म इंचार्ज और जेनेटिक्स विभाग के प्रमुख डॉ. अनुपम सिंह, कृषि विज्ञान संकाय के वरिष्ठ सदस्य, शिक्षक और छात्र भी उपस्थित रहे।

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