राज्य कृषि समाचार (State News)पशुपालन (Animal Husbandry)

पशु खरीदते समय अच्छे दुधारू पशुओं की नस्ल एवं शारीरिक वनावट के आधार पर पहचान

डाॅ.पी.पी. सिंह1, डाॅ. रूपेश जैन2, डाॅ. जे.सी. गुप्ता1, डाॅ. शीतल शर्मा,3 एवं श्रीमती रीना शर्मा1, 1 रा.वि.सिं.कृ.वि.वि.-कृषि विज्ञान केन्द्र, मुरैना (म.प्र.), 2 रा.वि.सिं.कृ.वि.वि.-कृषि विज्ञान केन्द्र, दतिया (म.प्र.), 3 पशुधन उत्पादन एवं प्रबंधन विभाग आई.व्ही. आर. आई., इज्जत नगर बरेली (उ.प्र.)

08 दिसंबर 2025, भोपाल: पशु खरीदते समय अच्छे दुधारू पशुओं की नस्ल एवं शारीरिक वनावट के आधार पर पहचान –
डेयरी व्यवसाय में अच्छे पशु की पहचान सर्वाधिक महत्वपूर्ण कारक है। वैसे तो पशुओं का चुनाव करने में पशुओं के रिकार्ड काफी महत्वपूर्ण व उपयोगी होते हैं। जिनमे पशु की जन्मतिथि, प्रथम ब्याॅत के समय उम्र तथा दूध उत्पादन से सम्बंधित आॅकडे दर्ज रहते है साथ ही पशु के स्वास्थ्य से संबंधित आॅकडे भी पशुओं के रिकार्ड में दर्ज किये जाते है। परंतु भारत जैसे देश में संगठित डेयरी फार्मो के अलावा अन्यत्र पशुपालकों द्वारा उक्त रिकार्ड नहीं रखे जाते है। परिणाम स्वरूप पशुपालाकों को नये पशु खरीदते समय पशु के वाहरी लक्षणों तथा क्रय किये जाने वाले पशु की नस्ल के लक्षणों को देखकर ही खरीदारी की जाती है। दुधारू पशुओं की खरीद समान जलवायु वाले स्थानों से ही करनी चाहिए। जिससे कि पशु को नये स्थान पर आने पर जलवायु संबंधी चुनौतियों का सामना न करना पडे।

Advertisement
Advertisement

किसी पशु को पशु मेले या पशु हाट से खरीदना वास्तव में एक कला होती है। यद्यपि पशुपालकों को उन्नत नस्ल के पशु स्वयं अपनी देखरेख में तैयार करने चाहिए क्योंकि पशुपालक के पास अपनी नर व मादा पशु का पूरा रिकार्ड रहता है तथापि आर्थिक कारणों से अधिकांश पशुपालक स्वयं नये पशु तैयार नहीं करते तथा अन्य जगह से नये ब्याॅत वाले पशु खरीदकर लाते हैं
पशुओं को पशु हाट से खरीदते समय निम्नलिखित सावधानियाॅ को अपनाना चाहिए।

  1. पशुओं को पशु नस्ल के लक्षणों तथा दुग्ध उत्पादन क्षमता के आधार पर खरीदना चाहिए।
  2. यदि किसी व्यवसायिक डेयरी फार्म से पशु क्रय किया जाना है तो उस पशु की हिस्ट्रीशीट की जानकारी देखने के बाद ही पशु की खरीदारी की जानी चाहिए।
  3. सामान्यतः पशु को प्रथम ब्याॅत या द्वितीय ब्याॅत के एक माह बाद दुग्ध उत्पादन देखकर ही खरीदना चाहिए।
  4. पशु को तीन बार दुग्ध दोहन कराने तथा तीनों का औसत दुग्ध उत्पादन पशु के दुग्ध उत्पादन क्षमता का एक वास्तविक आॅकडा प्रदान करता है।
  5. ऐसे पशुओं को खरीदना चाहिए जो स्वभाव से शान्त तथा किसी भी व्यक्ति से दूध दोहन करने पर शान्त रहे।
  6. सामान्तः पशुओं को नवम्बर व दिसम्बर माह में क्रय करना चाहिए।
  7. पशुओं को किसी भरोसेमंद फार्म या व्यवसायी से खरीदना चाहिए।
  8. उच्च दुग्ध उत्पादन क्षमता वाले, स्वस्थ तथा हाल ही में व्याॅत हुये पशुओं को यदि उपलब्ध हो तो पशु चिकित्सक के मार्गदर्शन में खरीदना चाहिए।

वाहय शारीरिक लक्षणों के आधार पर अच्छे पशुओं की पहचान

वाहय शरीरिक लक्षणो तथा विभिन्न अंगो को देखकर पशु का चुनाव करना चाहिए। वैज्ञानिकों द्वारा विभिन्न शारीरिक बनावट तथा अंगों को निश्चित अंक देकर पशु चयन को करने की सलाह दी गई है। विभिन्न शारीरिक मापदंड तथा उनको दिये गये अधिकतम अंक निम्नानुसार है।

Advertisement8
Advertisement
  1. शारीरिक गठन (अधिकतम अंक 15)

पशु का शारीरिक गठन वास्तव में पूरे पशु की शारीरिक स्थिति को दर्शाता है पशु के शारीरिक गठन को दूर से ही पहचाना जा सकता है। शारीरिक गठन में सबसे महत्वपूर्ण भाग पुठ्ठा गाय का कद तथा नस्ल के लक्षण क्रमशः होते है गाय के पुठ्ठे सामान्यतः लंबे चैडे तथा समान लेवल के होने चाहिए क्योंकि पुठ्ठे गाय के अयन को शारीरिक ढाॅचे से जोडते हैं जिसके कारण अयन लंबा चैडा एवं समान लेवल पर रहता है।
पशु की कद उसकी ऊॅचाई एवं पैरो की लंबाई से नापा जाता है कद ऊॅचा होने पर अयन की ऊॅचाई बढ जाती है जिससे गाय बडी हो जाती है अधिक मात्रा में आहार लेती है तथा परिणाम स्वरूप अधिक दुग्ध उत्पादन करती है।

Advertisement8
Advertisement

2.गाय के दूध उत्पादन लक्षण (20 अंक)

गाय के दुधारू लक्षणो में गाय का आकार आगे की ओर चैडा तथा पीछे की ओर संकरा होता है शरीर की त्वचा मुलायम व चमकदार होती है। दुधारू लक्षणों में महत्व के अनुसार कोणीय विन्यास, पसलियाॅ ;त्पइेद्ध, जाॅघ ;ज्ीपहीद्ध, कंधे ;ॅपजीमतेद्ध, गर्दन व जवडे का निचला हिस्सा क्रमशः होते है। अच्छे पशुओं में गर्दन लम्बी, कंधे नुकीले तथा उन पर चर्बी नहीं होती है। पशु की जाॅघ पतली, घुमादार व अतिरिक्त वसा रहित होनी चाहिए। पशु की त्वचा पतली, ढीली तथा लचीली होनी चाहिए।

3. दैहिक क्षमता (10 अंक)

दैहिक क्षमता को सामान्यतः पशु के द्वारा अधिक भोजन ग्रहण करने के साथ जोडकर देखा जाता है क्योंकि अधिक भोजन ग्रहण करने पर अधिक दूध उत्पादन करने की संभावना होती है। दैहिक क्षमता को पशु शरीर की लम्बाई एवं गहराई के अनुपात में देखा जाता है। सामान्य भाषा में पशु के पेट की लम्बाई, चैडाई व गहराई को प्रदर्शित करने के लिए दैहिक क्षमता का प्रयोग किया जाता है। अच्छे पशु छाती के भाग में चैडे, पसलियाॅ पीछे की ओर मुडी और गहरी होती है।
पशु की दैहिक क्षमता

1. पैर और टाॅगें (15 अंक)– शरीर के इन भागों का मूल्यांकन कठिन होता है। शरीर के ये भाग पशु के विभिन्न क्रियाकलापों पर सीधा प्रभाव डालते है। इन भागों के मूल्यांकन में महत्व के आधार पर टाॅगे पिछले पैर (पीछे एवं पाश्र्व से देखने पर) घुटने तथा खुर होते है। आदर्श पशु में टाॅगों की खुर छोटे तथा ऐडी गहरी होती है। पिछले पैर चैडे, सीधे तथा टखने के साथ सामान्यतः जुडे होते हैं। आदर्श पैर पशु के चलने पर सीधे दिखाई पडते हैं।

Advertisement8
Advertisement

    2. अयन (40 अंक)– पशु शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग अयन होता है। दुधारू पशुओं का मुख्य कार्य दुग्ध उत्पादन होता है। अतः दुग्ध स्त्रवण भाग (अयन) पर सर्वाधिक ध्यान देना चाहिए। कई वर्षाे तक अधिक उत्पादन के तनाव को सहन करने के लिए अयन शरीर से मजबूती से जुडा, अच्छे आकार का एवं संतुलित होना चाहिए।
    अयन का अगला भाग मध्यम लम्बाई का, मजबूती से शरीर के ढाॅचे से जुडा हुआ होना चाहिए। यह अयन के पिछले हिस्से से एक समान चैडाई पर संतुलित होना चाहिए। अयन का अगला हिस्सा पशु के चलने पर बहुत थोडा हलना चाहिए।

      अयन का पिछला हिस्सा ऊॅचा, चैडा, चिकना तथा गहरा होना चाहिए। पिछले अयन के दोनों अर्धभाग समान आकार तथा चैडाई के (ऊपर से नीचे तक) होने चाहिये। अयन में जुडे सभी थन समान आकार के लगभग 1.5 इंच से 2.5 इंच लम्बे होने चाहिए। सभी थन एक समान दूरी पर अयन के चारो कोनों पर जुडे रहने चाहिए। सभी थन अयन के दूध से खाली होने पर अंदर की ओर हल्के से मुडे रहने चाहिए तथा अयन दूध से भरने पर नीचे की ओर सीधे होने चाहिए। अयन की त्वचा मुलायम, ढीली एवं नर्म होनी चाहिए। अयन में दूध की शिरा बडी एवं मोटी होना अच्छे दुग्ध उत्पादन का प्रतीक होती है। अयन का मूल्याॅकन करते समय पशु की उम्र व ब्याॅत का भी ध्यान रखना चाहिए क्योंकि पशु की उम्र बढने पर अयन लंबा तथा गहरा हो जाता है।

      पशुपालक किसानों को पशु चयन करते समय कई पशुओं का शारीरिक लक्षणों के आधार पर (अंको की सहायता से) तुलनात्मक मूल्याॅकन करना चाहिए। इस तुलनात्मक मूल्याॅकन में सर्वाधिक अंक प्राप्त करने वाले पशु की खरीदी करना चाहिए। पशुपालक किसान यदि पशु की शारीरिक लक्षणों के आधार पर नवीन पशुओं की खरीद करते है तो निश्चित रूप से अच्छी गुणवत्ता के पशु खरीद पायेंगे एवं अपनी आर्थिक आमदनी को अधिक दुग्ध उत्पादन द्वारा बढा पायेंगे।

      आपने उपरोक्त समाचार कृषक जगत वेबसाइट पर पढ़ा: हमसे जुड़ें
      > नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़व्हाट्सएप्प
      > कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें
      > कृषक जगत ई-पेपर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें: E-Paper
      > कृषक जगत की अंग्रेजी वेबसाइट पर जाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें: Global Agriculture

      Advertisements
      Advertisement5
      Advertisement