राज्य कृषि समाचार (State News)

फसल बीमा की क्या होगी दिशा और दशा

अनिर्णय, असमंजस, अनिश्चितता का घटाटोप

(राजेश दुबे)

7 जून 2021, भोपाल ।  फसल बीमा की क्या होगी दिशा और दशा – केन्द्र सरकार की लोक-लुभावनी प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना अपने लागू होने के 5 वें वर्ष में ही अपनी दिशा से भटकती हुई नजर आ रही है। वर्ष 2016 में प्रारंभ हुई इस योजना के लिए केंद्र सरकार ने स्पष्ट दिशा निर्देश योजना की गाइड लाइन में दिए हैं, जिसमे वर्ष 2020 में कुछ सुधारात्मक परिवर्तन भी किये गए, बावजूद इसके राज्यों द्वारा इसमें राजनैतिक अथवा प्रशासनिक कारणों से फेरबदल किया जाता रहा है। जिसके कारण योजना लागू करने से लेकर उसके समय पर क्रियान्वयन तक में कई तरह की व्यावहारिक कठिनाइयाँ आती हैं और उसका खामियाजा अंतत: किसान को ही भुगतना होता है। किसानों के हित बनाई गई केंद्र की यह महत्वाकांक्षी योजना राज्यों के राजनैतिक हित साधन की योजना बन कर रह गई है। केंद्र और राज्य सरकारों की वेक्सिनेशन से लेकर फसल बीमा तक की सुस्त चाल ग्रामीण भारत और किसानों के लिए ढाई दिन चले अड़ाई कोस साबित हो रही है।

गत वर्ष कोरोना महामारी के बावजूद खरीफ तथा रबी सीजन में किसान ने अपनी मेहनत से भरपूर कृषि उत्पादन कर देश की अर्थव्यवस्था को गति दी। लेकिन फसल खऱाब होने पर किसान को आर्थिक सुरक्षा देने वाली फसल बीमा योजना के प्रति केंद्र एवं राज्यों का रवैया उदासीन ही रहा है। इस वर्ष भी देश के कर्नाटक, हरियाणा जैसे कुछ राज्यों को छोड़ कर अधिकांश राज्यों में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना प्रारंभ नहीं हो पाई है। जबकि केंद्र की गाइड लाइन के अनुसार खरीफ फसल के लिए बीमा की अंतिम तिथि 15 जुलाई है, जिसके समाप्त होने में 40 दिन ही शेष है। वर्तमान स्थिति में तो सरकारों की कछुआ चाल से फसल बीमा योजना की दिशा और दशा अंधकारमय दिख रही है।

म. प्र. में भी विगत एक-दो वर्षों में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का यही हाल हुआ है। खरीफ 2020 में ही लेटलतीफी के चलते मध्य प्रदेश में नए क्लेम रेश्यो माडल 80/110 के आधार पर मात्र एक बीमा कंपनी के सहारे प्रधान मंत्री फसल योजना का क्रियान्वयन हो पाया था। फिर केंद्र से अनुरोध कर अंतिम तारीख बढ़वाई गई। अंतिम तारीख में होने वाले बदलावों के कारण फसल बीमा का प्रीमियम कटने के बाद भी हजारों किसानों की नेशनल पोर्टल पर निश्चित समयावधि में एंट्री नहीं हो पाई। ऐसे कई किसान बीमा क्लेम से वंचित भी रह गए।

इस वर्ष भी अभी तक फसल बीमा की प्रक्रिया पर अनिश्चितता का माहोल बना हुआ है, शासन स्तर पर अभी तक कोई निर्णय नहीं हो पाया है। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना टास्क फ़ोर्स समिति की बैठक में कहा है कि विभिन्न राज्यों के माडल का अध्ययन कर प्रदेश के लिए सर्वश्रेष्ठ योजना बनाई जाये। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि फसल बीमा ऐच्छिक होने से सभी किसानों को लाभ नहीं मिल पा रहा है। प्रदेश के केवल 40 प्रतिशत किसान ही योजना का लाभ ले रहे हैं। इसी तरह केवल 50 प्रतिशत (लगभग 70 लाख हे.) फसल क्षेत्र ही कवर हो पा रहा है। बैठक में तामिलनाडू, पश्चिम बंगाल, गुजरात तथा महाराष्ट्र के फसल बीमा योजना के माडल प्रस्तुत किये गए।

हालाँकि सूत्र बताते है कि इस वर्ष योजना को उसके मूल माडल के आधार पर ही लागू करने का विचार भी चल रहा है। निर्णय में देरी के कारण अभी तक फसल बीमा कंपनियों के चयन की प्रक्रिया भी आरम्भ नहीं हो पाई है, फसल बीमा कंपनियों के चयन में देरी से बीमा की प्रतिस्पर्धी दरें नहीं मिल पाती, जिसका नुकसान राज्य सरकार को उठाना पड़ता है और योजना के क्रियान्वयन में देरी का नुकसान राज्य के किसानों को उठाना पड़ता है।

योजना का क्रियान्वयन देर से प्रारंभ होने से कम समयावधि होने के कारण योजना का व्यापक प्रचार प्रसार भी नहीं हो पाता और विशेषकर अऋणी किसान योजना का लाभ लेने से वंचित रह जाता है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के लिए बीमा कंपनियों के चयन से लेकर क्लेम बांटने तक में अव्यवस्था ने किसानों के बीच इस योजना की नकारात्मक छवि ही गढ़ी है। प्यास लगने पर कुआं खोदने की आदत से मजबूर शासन की लेटलतीफी के कारण फसल बीमा योजना किसानों के लिए बोझ ही साबित होती जा रही है।

 

Advertisements

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *