राज्य कृषि समाचार (State News)

क्या है हैप्पी सीडर तकनीक? जिससे किसान बचा रहे लाखों

10 अप्रैल 2025, भोपाल: क्या है हैप्पी सीडर तकनीक? जिससे किसान बचा रहे लाखों – मध्यप्रदेश में नरवाई प्रबंधन को लेकर किसानों के बीच जागरूकता बढ़ाने की कोशिशें तेज हो रही हैं। बुधवार को किसान कल्याण और कृषि विकास मंत्री एदल सिंह कंषाना ने नरवाई जलाने के नुकसान और इसके प्रबंधन के लिए हैप्पी सीडर जैसी आधुनिक तकनीक पर जोर दिया। उनका कहना है कि यह तकनीक न केवल मिट्टी की उर्वरता को बचाती है, बल्कि खेती को और टिकाऊ बनाने में भी मदद करती है।

नरवाई जलाने की पुरानी प्रथा से खेतों की मिट्टी की सेहत पर बुरा असर पड़ता है। यह मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों को नष्ट करती है और पर्यावरण को भी प्रदूषित करती है। इसे रोकने के लिए कृषि विभाग किसानों को जागरूक करने में जुटा है। मंत्री कंषाना के अनुसार, “नरवाई जलाने से खेतों की उर्वरा शक्ति को नुकसान पहुंचता है। इसके बजाय हैप्पी सीडर जैसे यंत्रों का उपयोग कर फसल काटने के बाद सीधे बोनी की जा सकती है।”

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हैप्पी सीडर क्या है और कैसे काम करता है?

हैप्पी सीडर एक ऐसी मशीन है, जो फसल कटाई के बाद बचे अवशेषों (नरवाई) को प्रबंधित करते हुए उसी खेत में अगली फसल की बोनी कर देती है। यह तकनीक मिट्टी में नरवाई को मिलाने या उसे मल्च के रूप में उपयोग करने में मदद करती है। इससे मिट्टी की नमी बनी रहती है, खरपतवार कम होते हैं और मिट्टी का कटाव रुकता है। नरवाई धीरे-धीरे विघटित होकर मिट्टी में पोषक तत्व जोड़ती है, जिससे उसकी उर्वरता बढ़ती है।

कंषाना ने बताया, “नरवाई मिट्टी में कार्बनिक पदार्थ जोड़ती है, जिससे मिट्टी की संरचना, जल धारण क्षमता और उर्वरता में सुधार होता है। यह मिट्टी की सतह को ढंककर वाष्पीकरण को कम करती है, जिससे नमी बनी रहती है।”

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नरवाई का सही प्रबंधन खेती को कई तरह से फायदा पहुंचाता है। यह मिट्टी को खरपतवारों से बचाने में मदद करता है और गर्मियों में मूंग जैसी फसलों की बोनी के लिए अनुकूल माहौल बनाता है। नरवाई को खेत में छोड़ने या हल्की जुताई के साथ मिट्टी में मिलाने से कार्बनिक पदार्थ की मात्रा बढ़ती है। यह शून्य जुताई (Zero Tillage) जैसी टिकाऊ खेती पद्धतियों को बढ़ावा देता है।

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हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि अधिक जुताई से मिट्टी की सेहत को नुकसान पहुंच सकता है। इसलिए किसानों को सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा, अगर नरवाई में कीट या बीमारी का खतरा हो, तो उसे खेत में छोड़ने से पहले उपचार करना जरूरी है।

मूंग की खेती में नरवाई की भूमिका

ग्रीष्मकालीन मूंग की बोनी में नरवाई प्रबंधन अहम भूमिका निभाता है। अगर नरवाई ज्यादा हो, तो उसे काटकर खेत में फैलाया जा सकता है। यह नमी को बनाए रखने और खरपतवारों को दबाने में मदद करता है। मेड़ और कुंड विधि से बोनी करने वाले किसान नरवाई को मेड़ों पर बिछाकर खरपतवार नियंत्रण और नमी संरक्षण कर सकते हैं।

इसके अलावा, नरवाई को अन्य जैविक कचरे के साथ मिलाकर खाद भी बनाई जा सकती है, जो मूंग की फसल के लिए जैविक उर्वरक का काम करती है।

हैप्पी सीडर की कीमत और अनुदान

हैप्पी सीडर की अनुमानित कीमत 2.60 लाख से 2.85 लाख रुपये के बीच है। इसे खरीदने के लिए किसान ई-कृषि यंत्र अनुदान पोर्टल पर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं। कृषि अभियांत्रिकी विभाग इस पर 1.05 लाख रुपये का अनुदान भी देता है।

हालांकि हैप्पी सीडर और नरवाई प्रबंधन के फायदे कई हैं, लेकिन छोटे और सीमांत किसानों के लिए इसकी लागत और तकनीकी जानकारी एक चुनौती हो सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि अनुदान के बावजूद मशीन की कीमत और रखरखाव का खर्च कई किसानों के लिए भारी पड़ सकता है। साथ ही, नरवाई प्रबंधन की तकनीकों को अपनाने के लिए किसानों को और प्रशिक्षण की जरूरत है।

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