सोयाबीन की विशिष्ट किस्में विषय पर वेबिनार आयोजित
भाकृअनुप-भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान, इंदौर द्वारा की जा रही वेबिनारों की श्रृंखला में
5 जून 2021, इंदौर । सोयाबीन की विशिष्ट किस्में विषय पर वेबिनार आयोजित – संस्थान ने गत दिनों ‘किसान सोया उद्योग एवं उपभोक्ताओं की आवश्यकता पूर्ति हेतु सोयाबीन की विशिष्ट किस्में ‘विषय पर एक वेबिनार आयोजित किया, जिसमें लगभग 92 प्रतिभागियों की भागीदारी थी lजिसमें प्रगतिशील किसान, उपभोक्ता, संभावित उद्यमी, सोयाबीन आधारित उद्योग एवं सोयाबीन उत्पादक राज्यों जैसे महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश,राजस्थान और अन्य उत्तरी राज्यों ने प्रतिनिधित्व किया।
विशिष्ट वक्ता इंदौर संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक, पादप जैव रसायनडॉ विनीत कुमार थे। उन्होंने कहा कि सोया-खाद्य पदार्थों के रूप में वर्तमान में सोयाबीन का उपयोग केवल 6-7% है, क्योंकि सोया उद्योग से निकलने वाली प्रोटीन से भरपूर अधिकांश सोयाबीन की खली (डी-ऑयल केक) का देश से निर्यात किया जा रहा है । आपने गुणवत्ता वाले सोया-प्रोटीन के स्रोत और सोयाबीन के महत्व पर प्रकाश डाला।
संस्थान की अन्य वैज्ञानिक डॉ अनीता रानी के साथ मिलकर डॉ विनीत कुमार ने एक दशक पूर्व अपने शोध कार्यक्रमों की शुरुआत की थी , जिसके माध्यम से सोया खाद्य पदार्थ और खाद्य-तेल उद्योगों के लिए उपयुक्त सोयाबीन किस्मों के विकास पर ध्यान केंद्रित किया। उनके अनुसार, पहले सोयाबीन को खाने के उपयोग में लेने से पहले इसमें मौजूद अपौष्टिक “कुनिट्ज़ ट्रिप्सिन इनहिबिटर” (केटीआई )को निष्क्रिय करने के लिए उपभोक्ताओं को 15-20 मिनट के लिए हीट ट्रीटमेंट देना पड़ता है, जिसमें बहुत समय, ऊर्जा और लागत शामिल होती है। 10-१५ वर्षों के समर्पित शोध के बाद, भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान द्वारा इन वैज्ञानिकों ने सोयाबीन की कुछविशिष्ट किस्मों को इजाद किया है , जिन्हें भोजन में उपयोग लेने के लिए अब प्रसंस्करण करने या उबालने कीआवश्यकता नहीं होगी तथा सीधे भोजन एवं चारे के रूप में उपयोग के साथ- साथ तेल उद्योग के लिए उपयुक्त है ।
इन नवीनतम विशिष्ट सोयाबीन की किस्मों में शामिल हैं- मध्य भारत के लिए अनुशंसित, भारत की पहलीकुनिट्ज़ ट्रिप्सिन मुक्त सोयाबीन किस्म NRC 127 , दक्षिणी भारत के लिए अनुशंसित KTI मुक्त अन्य किस्मMACSNRC 1677; दक्षिणी और पूर्वी राज्यों के लिए अनुशंसित NRC 132, भारत की प्रथम कुनिट्ज़ट्रिप्सिन इन्हिबिटर एवं लाय्पोक्सीजिनेज-2 मुक्त सोयाबीन किस्म NRC 142 तथा मध्य क्षेत्र व दक्षिणी क्षेत्र के किसानों के लिए बेहतर शैल्फ जीवन और ऑक्सीडेटिव स्थिरता के लिए भारत की पहली उच्च ओलिक एसिडकिस्म NRC 147 की सिफारिश हाल ही में अधिसूचित के लिए की गई है।
डॉ विनीत कुमार ने सोयाबीन की इन विशिष्ट किस्मों की अन्य विशेषताओं जैसे उत्पादन क्षमता, परिपक्वताअवधि और विभिन्न जैविक समस्याओं के प्रतिरोध / सहनशीलता की जानकारी देते हुए बताया कि हाल ही में जारी सोयाबीन किस्म एनआरसी 142 की परिपक्वता अवधि लगभग 95दिनों की है और लगभग 28 क्विंटल/ हेक्टेयर की उपज क्षमता के साथ-साथ विशेष रूप से पीले मोज़ेक वायरस और चारकोल रॉट के खिलाफ रोगोंके लिए कई प्रतिरोध हैं। इसी तरह, सोयाबीन की एक अन्य विशिष्ट किस्म एनआरसी 147 है, जिसमें ओलिकएसिड है, जिसके कारण इस किस्म से बना खाद्य तेल अधिक दिनों तक गुणवत्तापूर्ण बनाये ररखा जा सकता है ,
देश के दक्षिणी क्षेत्र में इसकी उत्पादन क्षमता 2-3 टन / हेक्टेयर है और यह लगभग 96 दिनों में परिपक्व होती है।साथ ही, उन्होंने एक सब्जी के रूप में उपयोगी सोयाबीन किस्म एनआरसी 188 के बारे में भी बताया जोउत्पादकों और उपभोक्ताओं दोनों के लिए एक बहुत ही लाभदायक उद्यम का वादा करता है. इसी प्रकारउनके द्वारा विकसित अन्य प्रजनन लाइन एनआरसी 194 जो कि केटीआई मुक्त होने के साथ -साथ इसमें 41प्रतिशत प्रोटीन भी है। इन किस्मों को संस्थान के प्रौद्योगिकी हस्तांतरण प्रकोष्ठ के माध्यम से प्राप्त की जा सकती है। इस अवसर पर प्रश्न-उत्तर सत्र को शामिल करते हुए एक वैज्ञानिक बातचीत भी आयोजित की गई l अंत में ,इस वेबिनार के समन्वयक डॉ. पूनम कुचलन द्वारा प्रस्तावित धन्यवाद प्रस्तावकेसाथ वेबिनार का का समापन हुआ।