इंदौर में सोयाबीन में समेकित कीट प्रबंधन पर वेबिनार संपन्न
15 जून 2021, इंदौर । इंदौर में सोयाबीन में समेकित कीट प्रबंधन पर वेबिनार संपन्न – भा.कृ.अनु.प.- भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान द्वारा आयोजित वेबिनार की श्रृंखला के एक भाग केरूप में ‘सोयाबीन में समेकित कीट प्रबंधन’ पर गत दिवस वेबिनार आयोजित किया गया ,जिसमें लगभग 110 प्रतिभागियों की भागीदारी रही , जिनमें प्रगतिशील किसानों के साथ ही कृषि वैज्ञानिकों , कृषि अधिकारियों और भा.कृ.अनु.प. के संस्थानों, अखिल भारतीय समन्वित सोयाबीन अनुसन्धान परियोजना के केंद्रों और मध्य प्रदेश कृषि विभाग में कार्यरत शोधकर्ता शामिल थे। प्रतिभागियों ने तेलंगाना, हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, पंजाब, दिल्ली और उत्तराखंड जैसे देश भर के विभिन्न राज्यों और महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान और अन्य उत्तर राज्यों जैसे प्रमुख सोयाबीन उत्पादक राज्यों का प्रतिनिधित्व किया।
कार्यक्रम के वक्ता डॉ. ए.एन. शर्मा, पूर्व प्रधान वैज्ञानिक (कीटविज्ञान) ने कहा कि किसानों को कीट नियंत्रण के सभी तरीकों रासायनिक नियंत्रण के साथ भौतिक,सांस्कृतिक, यांत्रिक और जैविक नियंत्रण विकल्प पर भरोसा करना चाहिए I जलवायु स्मार्ट कीट प्रबंधन में इन सभी कीट नियंत्रण विकल्पों के साथ अंतिम विकल्प के रूप में रासायनिक नियंत्रण का उपयोग करना चाहिए। उन्होंने फसल के शुरुआती चरणों में रासायनिक कीटनाशकों और खरपतवारनाशियों के कुछ अनुशंसित मिश्रणों के उपयोग की बात कही, जो सोयाबीन को कीटों की शुरुआती पीढ़ियों से बचाती हैं। उन्होंने कीटों के नियंत्रण के लिए विभिन्न उपायों जिसमे फेरोमोन ट्रैप, प्रकाश प्रपंच, बर्ड पर्च, येलो स्टिकी ट्रैप और जैविक नियंत्रण के बारे में चर्चा की।
डॉ. शर्मा ने बताया कि हानिकारक कीटों के प्राकृतिक शत्रु या जैविक कीट नियंत्रण के उपाय, हानिकारक कीटों की आबादी को 40% से 100% तक कम कर सकते हैं। पर्णभक्षी कीटों के लिए ट्रैप क्रॉप (जाल फसल) के लिए सूवा को सोयाबीन के साथ 12:2 अनुपात (सोयाबीन: सुवा) के उपयोग करके इनकी संख्या को कम किया जा सकता है। उन्होंने बबुल, धतूरा और सीताफल आदि की पत्तियों और बीजों का उपयोग करके पर्यावरण के अनुकूल कीटनाशकों को विकसित करने के लिए वनस्पति आधारित कीटनाशकों के विभिन्न स्रोतों और तरीकों के बारे में भी विस्तार से बताया।
डॉ. शर्मा ने बताया कि हानिकारक कीटों के प्राकृतिक शत्रु या जैविक कीट नियंत्रण के उपाय, हानिकारक कीटों की आबादी को 40% से 100% तक कम कर सकते हैं। पर्णभक्षी कीटों के लिए ट्रैप क्रॉप (जाल फसल) के लिए सूवा को सोयाबीन के साथ 12:2 अनुपात (सोयाबीन: सुवा) के उपयोग करके इनकी संख्या को कम किया जा सकता है। उन्होंने बबुल, धतूरा और सीताफल आदि की पत्तियों और बीजों का उपयोग करके पर्यावरण के अनुकूल कीटनाशकों को विकसित करने के लिए वनस्पति आधारित कीटनाशकों के विभिन्न स्रोतों और तरीकों के बारे में भी विस्तार से बताया।
डॉ. शर्मा ने कीटनाशकों के लिए बीज उपचार पद्धति के बारे में जानकारी देते हुए इस बात पर भी बल दिया कि बीजों पर फफूंदनाशी के उपचार के बाद कीटनाशक एफ.आई.आर. (कवकनाशी, कीटनाशक और राइजोबियम) को अलग से लगाया जाना चाहिए।