राज्य कृषि समाचार (State News)

निर्माणाधीन सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर सिट्रस का भ्रमण किया

11 जुलाई 2025, पांढुर्ना: निर्माणाधीन सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर सिट्रस का भ्रमण किया –  पांढुर्णा जिले के विकासखण्ड सौंसर के शासकीय संजय निकुंज कुडड्म में निर्माणाधीन सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर सिट्रस का  गत दिनों  इजराईली एम्बेसी विशेषज्ञ श्री उरी रूबीस्टेन द्वारा भ्रमण किया गया। भ्रमण के दौरान पांढुर्णा कलेक्टर श्री अजय देव शर्मा, पांढुर्णा पुलिस अधीक्षक श्री सुन्दर सिंह कनेश, संचालनालय उद्यानिकी भोपाल के प्रतिनिधि वरिष्ठ उद्यान विकास अधिकारी श्री ए.के.मिश्रा, संयुक्त संचालक उद्यान जबलपुर संभाग श्री रतन सिंह कटारा, उप संचालक उद्यान जिला छिन्दवाड़ा श्री एम.एल.उईके, अनुविभागीय अधिकारी राजस्व सौंसर, अनुविभागीय अधिकारी पुलिस सौंसर, क्षेत्रीय प्रबंधक एम.पी.एग्रो. श्री कमलेश लाल, जिला प्रबंधक एम.पी. एग्रो. छिन्दवाड़ा श्री अनिल कुमरे एवं विभागीय अमला उपस्थित था।

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निर्माणाधीन सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर सिट्रस के भ्रमण के दौरान इज़राईली एम्बेसी विशेषज्ञ श्री उरी रूबीस्टेन द्वारा सेंटर के संबंध में विभिन्न निर्देश दिए गए , जिसमें सेन्टर पर रोपित होने वाले सभी पौधों का रोपण रिड्जबेड पद्धति से किया  जाए । साथ ही पौधारोपण के पूर्व बेड पर वीडमेट बिछाने के बाद डबल ड्रिप लाईन स्थापित की  जाए । क्षेत्रीय कृषकों जिनके प्रक्षेत्रों पर रिड्ज बेड पद्धति से संतरा/मौसम्बी पौधों का रोपण किया गया है, इसकी जानकारी एकत्रित कर डाटाबेस तैयार किया  जाए । सेंटर प्रारंभ होने के पूर्व सेंटर पर विभिन्न तकनीकी  रूप से दक्ष अमले की पदस्थापना स्थाई रूप से किया जाना अनिवार्य है। जैसे- नर्सरी एक्सपर्ट, फार्म मैनेजर, प्लांट प्रोटेक्शन एक्सपर्ट, अर्चड मैनेजर, वॉटर एक्सपर्ट, तकनिकी प्रशिक्षण विशेषज्ञ व प्रोटेक्टेड फार्मिंग एक्सपर्ट।

इसके अलावा उन्होंने निर्देशित किया कि हॉस्टल बिल्डिंग के समीप रिक्त भूमि का उपयोग डेमो प्लांट के रूप में किया जाए । जिसमें सभी नवीनतम किस्मों के पौधो का रोपण रिड्जबेड पद्धति से किया  जाए । पौधे तैयार करने के लिये लगने वाली रोपण सामग्री के रूप में कोकोपिट एवं पर लाइट का उपयोग किया  जाए  व किसी भी स्तर पर गोबर खाद/वर्मी कम्पोस्ट खाद का प्रयोग न किया  जाए । पौधरोपण के पूर्व पौधा रोपण स्थल की मिट्टी का उपचार अनिवार्य रूप से किया  जाए , ताकि रोपित किये जाने वाले पौधों को मिट्टी जनित रोगों से बचाया जा सके। रोपण से पूर्व प्राप्त होने वाले मातृ पौधों की किस्म की  जांच  एवं पौधों पर किसी भी प्रकार के वायरस/ रोग न हो इस बात की पुष्टि किया जाना अनिवार्य है।

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