मध्य प्रदेश में सब्जियों की कीमतों में उछाल: बारिश ने बढ़ाई किसानों की मुश्किलें
01 जुलाई 2025, भोपाल: मध्य प्रदेश में सब्जियों की कीमतों में उछाल: बारिश ने बढ़ाई किसानों की मुश्किलें – मध्य प्रदेश में मानसून की बारिश ने जहां खेतों को हरा-भरा कर दिया है, वहीं सब्जी मंडियों में हाहाकार मचा है। लगातार बारिश के कारण सब्जियों की आवक में कमी आई है, जिससे टमाटर, खीरा और अन्य सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं। किसानों को जहां फसल खराब होने और परिवहन की बढ़ती लागत का बोझ उठाना पड़ रहा है, वहीं गृहणियां बढ़ते दामों से परेशान हैं। टमाटर, जो कुछ हफ्ते पहले 10 रुपये किलो था, अब 40 रुपये किलो के पार पहुंच चुका है।
बारिश ने रोकी सब्जियों की आवक
लक्ष्मीगंज थोक मंडी के सब्जी कारोबारी गोपाल सिंह कुशवाहा बताते हैं कि बारिश ने स्थानीय सब्जी उत्पादन को बुरी तरह प्रभावित किया है। पहले ग्वालियर के आसपास के खेतों से टमाटर की भरपूर आपूर्ति होती थी, लेकिन अब बेंगलुरु से मंगवाना पड़ रहा है। एक कैरेट (20 किलो) टमाटर की कीमत 350 रुपये से बढ़कर 800 रुपये हो गई है। इसके अलावा, बेंगलुरु से माल मंगवाने का भाड़ा 200 रुपये प्रति कैरेट अलग से देना पड़ रहा है। बारिश के कारण सड़कों की खराब स्थिति और परिवहन में देरी ने भी लागत बढ़ा दी है।
किसानों का कहना है कि बारिश ने उनकी फसलों को नुकसान पहुंचाया है। खेतों में पानी भरने से टमाटर, खीरा, और हरी सब्जियों की फसल खराब हो रही है। जो फसल बच भी रही है, उसे मंडी तक पहुंचाने में लागत बढ़ रही है। गोपाल सिंह ने बताया, “आने वाले दिनों में अगर बारिश का सिलसिला जारी रहा, तो सब्जियों की आवक और कम होगी, जिससे कीमतें और बढ़ सकती हैं।”
सब्जियों के नए दाम
छत्री मंडी में सब्जियों के ताजा दाम इस प्रकार हैं (सभी दाम प्रति किलो):
- टमाटर: 40 रुपये
- खीरा: 60 रुपये
- तोरई: 50 रुपये
- फूलगोभी: 40 रुपये
- पत्तागोभी: 25 रुपये
- शिमला मिर्च: 80 रुपये
- कैरी: 50 रुपये
- टिंडा: 60 रुपये
- भिंडी: 40 रुपये
- लौकी: 30 रुपये
- कद्दू: 30 रुपये
- बैंगन: 30 रुपये
- प्याज: 25 रुपये
- आलू: 20 रुपये
- हरा धनिया: 120 रुपये
- हरी मिर्च: 40 रुपये
- अदरक: 80 रुपये
- नीबू: 80 रुपये
किसानों की दोहरी मार
किसानों के लिए यह स्थिति दोहरी मार जैसी है। एक तरफ बारिश ने उनकी फसलों को नुकसान पहुंचाया, तो दूसरी तरफ मंडी तक फसल पहुंचाने की लागत बढ़ गई है। स्थानीय किसान रमेश यादव ने बताया, “हमारी फसल तो पहले ही बारिश में खराब हो गई। जो बची है, उसे मंडी तक ले जाने के लिए ट्रांसपोर्ट का खर्चा इतना है कि लागत भी नहीं निकल रही।”
किसानों का कहना है कि सरकार को बारिश के मौसम में सब्जी उत्पादन और परिवहन के लिए बेहतर सुविधाएं उपलब्ध करानी चाहिए। सड़कों की मरम्मत, सस्ता परिवहन, और फसल बीमा जैसी योजनाओं को और प्रभावी करने की जरूरत है।
गृहणियों का बजट बिगड़ा
सब्जियों के बढ़ते दामों का असर सीधे रसोई पर पड़ रहा है। लोहामंडी की निवासी मोनिका जैन ने कहा, “पहले से ही महंगाई ने कमर तोड़ रखी है। अब सब्जियां भी महंगी हो गईं तो किचन का खर्चा संभालना मुश्किल हो रहा है।” वहीं, मध्यमवर्गीय परिवारों की शालिनी शर्मा ने बताया, “हम हर महीने एक बजट बनाकर चलते हैं। सब्जियों के दाम बढ़ने से पूरा बजट गड़बड़ा गया है। सरकार को दाम नियंत्रित करने के लिए कुछ करना चाहिए।”
क्या है समाधान?
किसानों और कारोबारियों का मानना है कि सब्जियों की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए सरकार को तुरंत कदम उठाने चाहिए। स्थानीय स्तर पर सब्जी उत्पादन को बढ़ावा देने, बारिश से फसलों को बचाने के लिए बेहतर तकनीक, और परिवहन लागत को कम करने की दिशा में काम करना जरूरी है। इसके साथ ही, मंडियों में आपूर्ति बढ़ाने के लिए दूसरे राज्यों से सब्जी मंगवाने की प्रक्रिया को और आसान करना होगा।
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