किसानों से कहा-गर्मी बहुत है इसलिए ध्यान रखे फसल का
26 मार्च 2025, भोपाल: किसानों से कहा-गर्मी बहुत है इसलिए ध्यान रखे फसल का – भारतीय मौसम विभाग ने आगामी दो तीन दिनों में भीषण गर्मी पड़ने की संभावना जताई है वहीं कृषि वैज्ञानिकों ने भी किसानों से यह कहा है कि वे फसल का ध्यान रखे ताकि नुकसान होने से बचा जा सके.
इधर यदि बिहार की बात करें तो यहां हाल ही में हुई बारिश के बाद बिहार में अब तापमान में बढ़ोतरी देखी जा रही है. मौसम विज्ञान केंद्र, पटना के अनुसार, अगले कुछ दिनों तक आसमान साफ रहेगा, जिससे दिन के तापमान में तीव्र वृद्धि हो सकती है. मौसम विभाग ने किसानों और आम जनता को गर्मी से बचाव के उपाय करने की सलाह दी है. पश्चिमी विक्षोभ कमजोर पड़ चुका है और पश्चिमी और पछुआ हवाओं का प्रभाव बना हुआ है. ये हवाएं समुद्र तल से 3.1 किमी से 7.6 किमी की ऊंचाई तक फैली हुई हैं. हालांकि, भूमध्यरेखीय हिंद महासागर और दक्षिण-पूर्व बंगाल की खाड़ी में चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र सक्रिय है, लेकिन इसका प्रभाव बिहार के मौसम पर नहीं पड़ेगा. कृषि विज्ञान केंद्र के पूर्वी चंपारण के हेड डॉ. आर.पी. सिंह ने बताया कि बिहार में धान और गेहूं की फसल चक्र पद्धति अपनाई जाती है. धान की कटाई में देरी होने के कारण गेहूं की बुवाई भी कई बार देर से होती है. यदि तापमान सामान्य से अधिक बढ़ता है, तो देर से बोई गई गेहूं की फसल पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है. गेहूं के परागण के वक्त अधिकतम तापमान 30 सेंटीग्रेड से अधिक नहीं होना चाहिए.
अधिक तापमान से दाने सही तरीके से नहीं बनते, जिससे उत्पादन में कमी आती है. गेहूं के दाने बनने की अवस्था (ग्रहण अवस्था) में उच्च तापमान से उपज की क्वालिटी खराब हो सकती है. बढ़ते तापमान के कारण मिट्टी में नमी तेजी से समाप्त होती है, जिससे सिंचाई की आवश्यकता बढ़ जाती है. डॉ. आर.पी. सिंह के अनुसार बढ़ता तापमान गेहूं और जौ की फसल के लिए एक गंभीर खतरा हो सकता है क्योंकि गेहूं के दाने सिकुड़ जाते हैं और बालियों की संख्या कम हो जाती है. उत्पादन में गिरावट आती है. गर्मी के तनाव से पराग और पुंकेसर निष्क्रिय हो जाते हैं, जिससे परागण प्रभावित होता है. भ्रूण का विकास रुक जाता है, जिससे दानों की संख्या घट जाती है. दानों का भराव प्रभावित होता है और उनका वजन कम हो जाता है.
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