राज्य कृषि समाचार (State News)

सोयाबीन अनुसंधान संस्थान में तीन दिवसीय प्रशिक्षक प्रशिक्षण संपन्न

12 फरवरी 2024, इंदौर: सोयाबीन अनुसंधान संस्थान में तीन दिवसीय प्रशिक्षक प्रशिक्षण संपन्न – भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान, द्वारा ‘बदलते हुए जलवायु के परिप्रेक्ष्य में सोयाबीन उत्पादकता बढ़ाने के लिए जलवायु अनुकूल प्रौद्योगिकियों ‘विषय पर तीन दिवसीय प्रशिक्षक प्रशिक्षण आयोजित किया गया। जिसमें ज़ूम एप से ऑनलाइन के अलावा मध्य प्रदेश कृषि विभाग के स्थानीय अधिकारियों सहित 11 राज्यों के 80 से अधिक सोया वैज्ञानिक, कृषि विभाग एवं कृषि विज्ञान केंद्रों के विस्तार कार्यकर्ताओं एवं आदान विक्रेताओं ने भाग लिया।

केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित योजना राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन-अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन के तहत जलवायु संबंधी प्रतिकूलताओं को ध्यान में रखते हुए जमीनी स्तर के कर्मचारियों को जागरूक एवं जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों बाबत शिक्षित करने के उद्देश्य से आयोजित इस प्रशिक्षण में संस्थान के निदेशक डॉ. के.एच.सिंह ने देश में सोयाबीन उत्पादन की प्रमुख बाधाओं पर जैविक कारकों (कीड़ों और बीमारियों) की बढ़ती घटनाओं के साथ-साथ लंबे समय तक सूखा एवं अधिक तापक्रम जैसी स्थिति प्रतिकूल जलवायु परिस्थितियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान सोयाबीन की किस्मों के साथ-साथ प्रतिकूल जलवायु परिस्थितियों में भी सहन करने में सक्षम उत्पादन प्रौद्योगिकियों और तरीकों के विकास में सफल रहा है। उनके अनुसार, ब्रॉड बेड फ़रो/रिज फ़रो जैसी बुआई विधियों को बड़े पैमाने पर प्रकाशित और प्रसारित करने की आवश्यकता है। वहीं भाकृअप -कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, जबलपुर, के निदेशक श्री एसआरके सिंह ने प्रशिक्षणार्थियों से वादा किया कि कृषि विज्ञान केंद्र, बदलते जलवायु परिदृश्य के अंतर्गत विपरीत परिस्थितियों के लिए क्रियाशील उन्नत तकनीक  के प्रसार हेतु भारतीय सोयाबीन अनुसन्धान संस्थान को सहयोग प्रदान करेगा।  

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 प्रारंभ में कोर्स डायरेक्टर डॉ. बी.यू. दूपारे ने इस तीन दिवसीय प्रशिक्षण में शामिल विभिन्न  विषयों एवं  चर्चा सत्र की जानकारी देते हुए बताया कि इस वर्ष संस्थान ने सोयाबीन वैज्ञानिकों की प्रत्यक्ष देखरेख में कृषकों के खेतों पर लगभग 1000 अग्रिम पंक्ति प्रदर्शनों को लगाया गया था,  जिसमें  नवीनतम सोयाबीन किस्में, विपरीत मौसम में उपयोगी सहनशील  तकनीकी  जैसे चौड़ी क्यारी, कुड मेड प्रणाली, जैसी नवीन पद्धतियों को भी शामिल किया जा रहा है।  तीन दिवसीय प्रशिक्षण के दौरान संस्थान के पौध प्रजनक, कीट विज्ञानी, पादप रोग विज्ञानी, बीज प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों ने प्रतिभागियों से विभिन्न तकनीकी  सत्रों में विस्तृत चर्चा की। कार्यक्रम  समन्वयक डॉ. राघवेंद्र, डॉ. राकेश कुमार वर्मा और डॉ. सविता कोल्हे ने राज्य कृषि विश्वविद्यालयों में संचालित अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना के वैज्ञानिक, कृषि विभाग तथा कृषि विज्ञान केन्द्रों से जुड़े विस्तार कर्मचारी  सहित आदान वितरकों को सोयाबीन उत्पादकता में वृद्धि लाने हेतु किये जा रहे सामूहिक प्रयासों में सहयोग देने का आह्वान  किया।

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