बीते वर्ष में उतार चढ़ाव लेकिन इस नये वर्ष में किसानों को बंधी उम्मीद
06 जनवरी 2025, भोपाल: बीते वर्ष में उतार चढ़ाव लेकिन इस नये वर्ष में किसानों को बंधी उम्मीद – देश के किसानों के लिए बीता वर्ष 2024 भले ही उतार चढ़ाव वाला रहा हो लेकिन इस नये वर्ष 2025 में अच्छी खेती और आर्थिक मजबूती होने की उम्मीदें जरूर किसानों को बंधी हुई है।
2024 में किसानों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ा। मौसम की प्रतिकूलता के कारण खेती से पैदावार कब हुई।किसानों को सबसे अधिक परेशानी इस बात की हुई की फसलों के दाम सही नहीं मिले। यही कारण रहा कि यह वर्ष किसान आंदोलनों वाला रहा। सबसे बड़ी बात यह है कि इस वर्ष पंजाब, हरियाणा के पश्चात मध्य प्रदेश में भी बड़े स्तर पर किसान आंदोलन हुए। दूसरी ओर 2024 में सरकार ने किसानों के हित में छोटी-छोटी घोषणाएं की।वर्ष-2024 में खेती किसानी के संबंध में कुछ उल्लेखनीय उपलब्धियां भी रही। फरवरी 2024 में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को लेकर बड़ी बहस शुरू हुई। किसान आंदोलन अपने चरम पर पहुंचा। किसानों की मांग है कि सभी फसलों पर स्वामीनाथन आयोग के फार्मूले के अनुसार MSP लागू हो।सरकार स्वामीनाथन आयोग के फार्मूले के अनुसार एसपी देने पर विचार नहीं कर रही। इसके बाजार सरकार ने 18 जून 2024 को 14 फसलों का नया MSP तय कर दिया। फसलों का यह समर्थन मूल्य पिछले वर्ष की तुलना में 10% अधिक है। यही कारण है कि किसान आंदोलन अभी भी पंजाब और हरियाणा में चल रहा है। क्रिसिल मार्केट इंटेलिजेंस एंड एनालिटिक्स के रिसर्च के अनुसार यदि सरकार MSP वाली सभी 23 फसलों का पूरा उत्पादन खरीद लेती है तो सरकारी खजाने पर इसका गहरा प्रभाव होगा। ये बहुत ही भारी खर्च होगा। यदि ये भी मान लें कि सरकार केवल मंडियों से उन्हीं फसलों को खरीदेगी, जिनकी खरीदी MSP के नीचे होती है, तो भी सरकार को गंभीर वित्तीय भार पड़ेगा। एजेंसी के रिसर्च में MSP वाली 23 में से 16 फसलों को ही शामिल किया गया है। यह वो फसलें हैं, जिनकी कुल उत्पादन में 90% हिस्सेदारी है। अगर MSP की गारंटी को लागू किया जाता है, तो हो सकता है सरकार को डिफेंस बजट कम करना होगा अथवा सरकार को टैक्स बहुत ज्यादा बढ़ाना पड़ेगा। यही कारण है कि सरकार इसे लागू करने से बच रही है। पंजाब, हरियाणा और यूपी के किसानों द्वारा किए जा रहे आंदोलनों को मध्य प्रदेश के किसानों का अधिक समर्थन नहीं रहा, लेकिन 2024 में सितंबर माह के दौरान मध्य प्रदेश में भी सोयाबीन के भाव को लेकर किसान आंदोलन शुरू हुए। सोयाबीन का समर्थन मूल्य 6000 रुपए प्रति क्विंटल किए जाने को लेकर किसानों ने बड़े स्तर पर आंदोलन किए। नतीजतन सरकार ने सोयाबीन को समर्थन मूल्य पर खरीदने की घोषणा की।
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