फसल को ब्राड बेड पद्धति से बोवाई करने पर नहीं होता नुकसान
29 जुलाई 2024, शहडोल: फसल को ब्राड बेड पद्धति से बोवाई करने पर नहीं होता नुकसान – कृषि विज्ञान केन्द्र शहडोल के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. मृगेन्द्र सिंह एवं वैज्ञानिक श्री दीपक चौहान द्वारा ग्राम चटहा, पठरा एवं अमरहा में सोयाबीन के ब्रॉड बेड पद्धति एवं रिज बेड पद्धति से बुवाई के खेतों का अवलोकन किया। डॉ. मृगेन्द्र सिंह द्वारा कृषकों को बताया कि सोयाबीन की खेती वाले क्षेत्रों में बोवनी की तारीख में अलग-अलग होने से सोयाबीन 25 से 35 दिन की अलग-अलग स्थानों पर है, कुछ क्षेत्रों में वर्षा हो रही है जबकि कुछ क्षेत्रों में पर्याप्त वर्षा नहीं होने से फसल की बढ़वार अपेक्षाकृत नहीं है। किसान अपने खेतों की निगरानी नियमित करते रहें खेतों में जाकर 3-4 स्थानों पर पौधों का निरीक्षण करें एवं देखें कि खेत में कीट या इल्ली का प्रकोप हुआ है के नहीं और यदि हुआ है तो कीट की कौन सी अवस्था है उसके अनुसार नियंत्रण किया जाना सुनिश्चित करें।
श्री चौहान ने बताया कि सोयाबीन फसल को 50-60 दिनों तक खरपतवार मुक्त रखना अति आवश्यक है, इसके लिए सुविधानुसार विभिन्न पद्धतियों जैसे हाथ से निंदाई या खरपतवारनाशी का छिड़काव का चयन कर सकते हैं। इसके लिए 2 बार हाथ से निंदाई बुवाई के 20 एवं 40 दिन में करें या अनुशंसित खरपतवार जो कि बुवाई के 20-25 दिन बाद के जैसे इमेजेथायपर 10 एस. एल. 1 लीटर प्रति हेक्टर सकरी एवं चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार के नियंत्रण के लिए उपुक्त है, साथ ही जहाँ किसान छिड़का बोनी करता है तो घनी फसल हो जाती है यहीं ब्रॉड बेड पद्धति एवं रेज्ड बेड पद्धति से बुवाई वाले खेतों में पौध संख्या अनुशंसा के अनुसार होती है एवं फसलों का निरीक्षण, कीट नियंत्रण एवं अन्य सस्य क्रियाएं आसानी से पूर्ण की जा सकती हैं इन दोनों पद्धतियों से बोनी करने पर विपरीत परिस्थियों में भी फसल को नुकसान नहीं होता है। इस फसल अवलोकन के दौरान कृषक संदीप सिंह, अनिल सिंह, अजय सिंह, एवं अन्य मौजूद रहे।
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