गुणकारी जामुन की खेती के प्रति जागृति लाने की ज़रूरत
22 जून 2024, (दिलीप दसौंधी), मंडलेश्वर: गुणकारी जामुन की खेती के प्रति जागृति लाने की ज़रूरत – वर्षा काल आरम्भ हो रहा है और इन दिनों बाज़ार में जामुन की आवक बढ़ गई है। विभिन्न किस्मों के खट्टे – मीठे जामुन लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं। वर्तमान में जामुन गांव /कस्बों में 100 रु और शहरों में 200 रु किलो की दर से बिक रहा है। दरअसल जो भी जामुन इन दिनों बाज़ार में आ रहे हैं , वे पूर्वजों के द्वारा लगाए गए जामुन के पेड़ों के फल हैं। व्यावसायिक रूप से जामुन की खेती करने के मामले कम सामने आए हैं। यही कारण है कि जामुन की मांग की तुलना में आपूर्ति कम होने से भाव में उछाल है। ऐसे में गुणकारी जामुन की खेती के प्रति जागृति लाने की ज़रूरत महसूस की जा रही है। इसके लिए उद्यानिकी विशेषज्ञों को जामुन की कम समय में फल देने वाली किस्में तैयार करनी होगी। जामुन की व्यावसायिक खेती से कृषक और उपभोक्ता दोनों लाभान्वित होंगे।
इस संबंध में वन अनुसंधान विस्तार केंद्र , इंदौर के सेवा निवृत्त रेंज अफसर श्री साहब शरण कश्यप ने कृषक जगत को बताया कि अपने कार्यकाल में बड़गोंदा ( महू ) की 100 हेक्टर की नर्सरी में कई पौधे तैयार किए थे। जामुन एक गुणकारी फल है। इसका गुदा और गुठली दोनों ही स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद है। 20 -25 साल पहले गांव में लोग खेत में या जल स्रोत के पास जामुन के पेड़ लगा देते थे। उन्हीं पेड़ों के जामुन हमें दिखाई दे रहे हैं। नई पीढ़ी में जामुन के प्रति रुझान कम है। जामुन की व्यावसायिक खेती नहीं करने के सवाल पर श्री कश्यप ने बताया कि जामुन का पेड़ 8 -10 साल बाद फल देता है, जबकि किसानों को कम समय में फल देने वाले पेड़ चाहिए। अमरुद – सीताफल में नई तकनीक के प्रयोग से अब कम समय में फल देने वाली किस्में आने से सुधार हुआ है। जामुन का एक पेड़ 25 – 30 साल तक फल देता है। जामुन की गुठली का पाउडर मधुमेह के रोगियों के लिए लाभप्रद है। सीताफल के पत्ते भी औषधि के रूप में उपयोग में लाए जाते हैं । इसके पत्तों को मवेशी नहीं खाते हैं, इसलिए सुरक्षित है। इसे कम पानी लगता है। अमरुद के भी आयुर्वेद में कई उपयोग बताए गए हैं। श्री कश्यप आयुर्वेदिक औषधियां तैयार कर पीलिया / रक्तचाप आदि की दवाई का निशुल्क वितरण भी करते हैं।
जामुन में नई तकनीक की दरकार – अभी तक व्यावसायिक तौर पर योजनाबद्ध तरीके से जामुन की खेती बहुत कम देखने को मिलती हैं। देश के अधिकांश हिस्से में इसकी अनियोजित तरीके से खेती की जाती है ।अधिकतर किसान जामुन के लाभदायक फल और बाजार के बारे में बहुत कम जानकारी रखते हैं, शायद इसी कारण वो जामुन की व्यवसायिक खेती से दूर हैं। जबकि इसके फल को अच्छी कीमत में बेचा जाता है।इसका प्रयोग दवाओं को तैयार करने में किया जाता है, साथ ही जामुन से जेली, मुरब्बा जैसी खाद्य सामग्री तैयार की जाती है। जामुन की खेती में लाभ की असीमित संभावनाएं हैं।
वर्तमान में जामुन में ऐसी कोई ग्राफ्टिंग देखने को नहीं मिली है,जो कम समय में फल देने लगे । ऐसे में उद्यानिकी विशेषज्ञों से अपेक्षा है कि वे जामुन की ऐसी किस्में तैयार करें, जो कम अवधि (1 या 2 साल में ) में फल देने लग जाए। ऐसा होने पर किसानों का जामुन की खेती की ओर भी रुझान बढ़ेगा। जामुन के औषधीय गुणों के कारण इसकी व्यावसायिक खेती किसानों के लिए लाभप्रद साबित होगी।
गुणकारी जामुन – भारत को जम्बूद्वीप के नाम से भी जाना जाता है। जम्बू भी जामुन का ही एक नाम है। किसी फल के नाम पर देश का नामकरण का यह बिरला उदाहरण है। जामुन एक मौसमी फल है। खाने में स्वादिष्ट होने के साथ ही इसके कई औषधीय गुण भी हैं। जामुन अम्लीय प्रकृति का फल है पर यह स्वाद में मीठा होता है। जामुन में भरपूर मात्रा में ग्लूकोज और फ्रुक्टोज पाया जाता है । जामुन में लगभग वे सभी जरूरी लवण पाए जाते हैं, जिनकी शरीर को ज़रूरत होती है। जामुन में कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, कैल्शियम, आयरन और पोटेशियम होता है। आयुर्वेद में जामुन को भोजन के बाद खाने की सलाह दी जाती है।
जामुन खाने के फायदे – पाचन क्रिया के लिए जामुन बहुत फायदेमंद होता है। जामुन खाने से पेट से जुड़ी कई तरह की समस्याएं दूर हो जाती हैं। मधुमेह के रोगियों के लिए जामुन एक रामबाण उपाय है. जामुन के बीज सुखाकर पीस लें. इस पाउडर को खाने से मधुमेह में काफी फायदा होता है। मधुमेह के अलावा इसमें कई ऐसे तत्व पाए जाते हैं, जो कैंसर से बचाव में कारगर होते हैं। इसके अलावा पथरी की रोकथाम में भी जामुन खाना फायदेमंद होता ह। इसके बीज को बारीक पीसकर पानी या दही के साथ लेना चाहिए। अगर किसी को दस्त हो रहे हों तो जामुन को सेंधा नमक के साथ खाना फायदेमंद रहता है। खूनी दस्त होने पर भी जामुन के बीज बहुत फायदेमंद साबित होते हैं। दांत और मसूड़ों से जुड़ी कई समस्याओं के समाधान में जामुन विशेषतौर पर फायदेमंद होता है। इसके बीज को पीस लीजिए। इससे मंजन करने से दांत और मसूड़े स्वस्थ रहते हैं। जामुन में कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, कैल्शियम, आयरन और पोटेशियम होता है। आयुर्वेद में जामुन को भोजन के बाद खाने की सलाह दी जाती है। यही नहीं जामुन की लकड़ी के भी फायदे हैं। यह इमारती लकड़ी होने के साथ ही इसके पानी में टिके रहने की अद्भुत शक्ति है। जामुन की इस खूबी के कारण इसका इस्तेमाल नाव बनाने में बड़े पैमाने पर होता है। अगर जामुन की मोटी लकड़ी का टुकड़ा पानी की टंकी में रख दे तो टंकी में शैवाल या हरी काई नहीं जमती सो टंकी को लम्बे समय तक साफ़ नहीं करना पड़ता |नदियों और नहरों के किनारे मिट्टी के क्षरण को रोकने के लिए जामुन का पेड़ काफी उपयोगी है। इसीलिए जल स्रोतों के किनारे जामुन की बहुतायत देखी जाती है।
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