राज्य कृषि समाचार (State News)

युवा ने तकनीक तैयार की जिससे फसलों की पूरी हेल्थ रिपोर्ट मिल जाएगी

21 अक्टूबर 2024, भोपाल: युवा ने तकनीक तैयार की जिससे फसलों की पूरी हेल्थ रिपोर्ट मिल जाएगी – तमिलनाडु के वेल्लोर तकनीकी संस्थान में अध्ययनरत एक युवा ने ऐसा तकनीक तैयार की है, जिससे किसानों को फसलों की पूरी हेल्थ रिपोर्ट मिल जाएगी ।

इंसानों की बीमारी की तरह फसलों की बीमारी के बारे में भी यही सिद्धांत है कि समय रहते रोग पकड़ लिया जाए तो इलाज बहुत आसान हो जाता है। भारत का कृषि क्षेत्र जितना विशाल है उतनी ही विशाल इसकी दिक्कतें भी हैं। सूखा, बाढ़ व जलवायु संकट से पैदा अन्य समस्याओं के साथ कृषि क्षेत्र की सबसे बड़ी दिक्कत है कीटों से फसलों का नुकसान होना। यह किसानों की बदहाली का बड़ा कारण बनता है। ऐसे में तमिलनाडु के वेल्लूर तकनीकी संस्थान में अध्ययनरत एक युवा ने इस बारे में न केवल सोचा बल्कि इसका समाधान भी खोज निकाला। सबसे अच्छी बात यह है कि इस तकनीक की कीमत किसानों के लिए बोझ नहीं बनेगी। इससे किसानों को अपनी फसलों की पूरी हेल्थ रिपोर्ट मिल जाएगी। अगर फसल पर किसी कीट का संक्रमण होने वाला है तो उसकी जानकरी भी पहले मिल जाएगी और उसका उपचार कर किसान अपनी फसल बचा लेंगे। कृत्रिम बौद्धिकता (एआई) से हासिल यह तकनीक एक बार फिर साबित करती है कि उद्देश्य बड़े तबके का फायदा करना हो तो एआई जैसा विज्ञान वरदान है। युवा विज्ञानी ऋषिकेश अमित नायक ने बताया कि  मैं एक किसान परिवार से संबंध रखता हूं। किसानों की फसल के साथ हर साल कोई न कोई हादसा हो ही जाता है। यह साल 2017 की बात है। भारत में किसानों की फसलों पर कीट संक्रमण हुआ था। कीट संक्रमण के बाद बड़े पैमाने पर किसानों को लागत तक वसूल नहीं हुई और उन्हें खेती छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा। सिर्फ ओडिशा की ही बात करें तो वहां एक लाख हेक्टेयर से अधिक कृषि भूमि कीटों की चपेट में आ गई थी। फसलें पूरी तरह से नष्ट हो गईं और किसान आत्महत्या कर रहे थे। मेरा परिवार भी इस विपदा के दंश से अछूता नहीं रहा। इस घटना ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया कि कुछ ऐसा किया जाए जिससे कि खेती-किसानी और फसल संबंधित समस्या को पहले से ही पहचान कर उसका निवारण किया जा सके। वैज्ञानिक समझ इतना तो कह ही रही थी कि खोजने निकलेंगे तो इसका हल जरूर मिलेगा। इसके बाद मैंने इस तकनीक के पीछे काम करना शुरू किया।

भारतीय कृषि को समृद्ध करने के लिए 2018 में मैंने इस तकनीक पर काम करना शुरू किया। यह ऐसी तकनीक है जिससे फसल में लगने वाले कीड़े या होने वाले नुकसान को पहले से ही पहचान कर फसल को बचाया जा सकता है। कृत्रिम बौद्धिकता (एआई) तकनीक का प्रयोग करते हुए थर्मल इमेजिंग के माध्यम से फसल के कीटों का पता लगाने की एक विधि हमने विकसित की है। किसानों के लिए यह तकनीक प्रभावी साबित हुई है और यह 80 रुपए से भी कम कीमत पर उपलब्ध है। तकनीक के साथ अहम यह भी है कि वह सस्ती और सुलभ दोनों होनी चाहिए, खासकर जब बात भारतीय कृषि क्षेत्र की हो। इसलिए हमने इसकी कीमत को खास तवज्जो दी।

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