धान फसलों में तना छेदक-झुलसा रोग का बढ़ा खतरा, कृषि विभाग ने किसानों को दी अहम सलाह
01 अक्टूबर 2025, भोपाल: धान फसलों में तना छेदक-झुलसा रोग का बढ़ा खतरा, कृषि विभाग ने किसानों को दी अहम सलाह – छत्तीसगढ़ राज्य में खरीफ मौसम के दौरान धान की फसलें अच्छी स्थिति में हैं, लेकिन इस समय मौसम की उमस और आर्द्रता बढ़ने से कीट और रोग तेजी से फैल रहे हैं। कृषि विभाग ने किसानों से अपील की है कि वे लगातार अपनी फसलों की निगरानी करें और जरूरत पड़ने पर ही वैज्ञानिक परामर्श लेकर कीटनाशकों का सावधानी से उपयोग करें।
धान में प्रमुख कीट और रोग
कृषि विशेषज्ञों ने बताया कि विभिन्न विकासखंडों में धान की फसलों पर तना छेदक, पत्ती लपेटक, गंधी बग, पेनिकल माइट, भूरा माहू, झुलसा रोग (ब्लास्ट) और शीथ ब्लाइट जैसी समस्याओं के लक्षण दिख रहे हैं। इन कीट-व्याधियों की पहचान करना और सही समय पर उनका नियंत्रण करना जरूरी है।
नियंत्रण के लिए जरूरी सुझाव
– पेनिकल माइट की रोकथाम के लिए हेक्सीथायाजोक्स, प्रोपिकोनाजोल या प्रोपर्राजाईट का छिड़काव करें।
– भूरा माहू रोग के नियंत्रण के लिए पाईमेट्रोजिन या डाइनेट्रफ्युरान का प्रयोग करें।
– झुलसा रोग (ब्लास्ट) से बचाव के लिए टेबुकोनाजोल, ट्राइफॉक्सीस्ट्रोबीन या ट्राइसाइक्लाजोल का छिड़काव जरूरी है।
– पत्तीमोड़क (चितरी) रोग से बचाव हेतु फिपरोनिल का उपयोग करें।
– गंधी बग रोग की रोकथाम के लिए इमिडाक्लोप्रिड या थायामेथोक्साम का छिड़काव करें।
– तना छेदक के नियंत्रण के लिए कर्टाप हाइड्रोक्लोराइड या क्लोरेन्ट्रानिलीप्रोल का छिड़काव और फिरोमोन ट्रैप का उपयोग करें।
– शीथ ब्लाइट से बचाव के लिए हेक्साकोनाजोल का छिड़काव लाभप्रद होगा।
कृषि विभाग ने किसानों को दी सलाह
कृषि विभाग ने किसानों को सलाह दी है कि कीटनाशकों का उपयोग करने से पहले स्प्रेयर की अच्छी तरह सफाई करें। छिड़काव करते समय दस्ताने पहनें, मुंह पर मास्क या स्कार्फ लगाएं और सुरक्षा नियमों का पालन करें। विभाग जैविक कीटनाशकों और पर्यावरण के अनुकूल उपायों को अपनाने के लिए भी किसानों को प्रेरित कर रहा है, जिससे विषमुक्त खेती बढ़ेगी और सभी के लिए स्वस्थ भोजन सुनिश्चित होगा।
किसानों को सुझाव दिया गया है कि किसी भी कीट-व्याधि की समस्या होने पर वे तुरंत नजदीकी ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी या कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क करें और वैज्ञानिक सलाह लें।
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