जैसलमेर के धोरो में तलाश रहे गन्ने के मिठास की संभावना
28 मई 2024, जैसलमेर: जैसलमेर के धोरो में तलाश रहे गन्ने के मिठास की संभावना – वैसे तो जैसलमेर क्षेत्र में गन्ने की खेती नाम मात्र के लिए की जाती है, लेकिन कुछ किसान जिनके पास नहरी पानी की मात्रा अधिक हो वो महज 1 से 2 एकड़ के रकबे में गन्ने की खेती कर मोटी कमाई कर सकते है l खास बात यह कि इसमें लागत भी कम आती है l उन्हीं उन्नत किसानों में से एक किसान गुलाब सिंह खीची हैं, जो नाचना ब्लॉक के अवाय गांव के रहने वाले हैं l
उपज के साथ गुणवत्ता से भरपूर
गन्ना ऐसी फसल है, जिस पर मौसम की खराबी का कम प्रभाव पड़ता l खास बात यह कि गुलाब सिंह पारंपरिक तरीके से जैविक खेती करते हैं l इसे देख ग्रामीण इलाकों के दूसरे किसान भी प्रेरित हो रहे हैं l किसान यदि यह तरीका अपनाते हैं तो अच्छा खासा मुनाफा अर्जित कर सकते हैं l उन्होंने आधा एकड़ के खेत में गन्ने की खेती परिक्षण के तौर पर लगाया, जिसका परिणाम, उपज, गुणवत्ता अच्छी रही l एक सीधा सा फार्मूला पारंपरिक खेती करने वालों में कोई किसान बड़े रकबे का है तो उसे जरूर 2 से 4 बीघा के खेत में गन्ने की फसल लगानी चाहिए l
दो बीघा से तीन लाख तक की कमाई
गेहूं, चना, सरसों, कपास, चना या कोई भी फसल की खेती तो हम करते ही हैं जिसमें लागत अधिक होती है, लेकिन मुनाफा थोड़ा होता है यदि बड़े रकबे का किसान गन्ने की खेती कम से कम 2 से 4 बीघा में करता है तो वह पहली ही बार की फसल में मालामाल हो जाएगा l साथ ही यदि प्राकृतिक आपदा से आपकी अन्य फसल के बर्बाद होने का भय है तो एक बार गन्ने की खेती से उसकी भरपाई की जा सकती है, क्योंकि 2 बीघा में गन्ने की फसल से 3 लाख रुपए तक की उपज पैदा की जा सकती है l वहीं गन्ने की खेती बड़े रकबे में की जाए तो किसान ज्यादा मुनाफा कमा पाएगा l
दो सीजन होते है फसल लगाने के
खेत में 75 सेमी कतार से कतार की दूरी पर फरो या नालिया बनाये, उसमें गन्ना का बीज अर्थात सेट (गन्ने की आँख) का बीजोपचार करते हुए संस्तुति के आधार पर गोबर और अन्य खाद डाल दीजिए l इसको लगाने के 2 सीजन होते हैं l बसंत में 15 फरवरी से 15 मार्च एवं शीतकालीन गन्ने की बिजाई अक्टूम्बर माह में की जाती है l यह फसल 12 महीने की होती है l
किस्मो का करे चयन एवं उपज
प्रति बीघा में 100 से 150 किवंटल तक गन्ना लिया जा सकता है l गन्ने से शक्कर बनाने हेतु मुख्य किस्मे जैसे करण-10, सीओएस 767, सीओ 1253 लगानी चाहिए l
सुखी पत्तिया ऐसे है लाभकारी है
इसका उपयोग खेत में मल्चिंग एवं जैविक कार्बन बढ़ाने में किया जा सकता है l इसका भूसा एवं पशुधन हेतु पोषक तत्वों से भरपूर एवं मिठास होने के कारण पशु चाव से खाते है l जिससे जिले में चारे के विकल्प के तौर पर लाभकारी सिद्ध हो सकता है l फसलो में मल्चिंग के तौर पर प्रयोग करने से कम खरपतवार एवं पानी की उपयोग दक्षता में इजाफा किया जा सकता है l
तीन साल तक देता है उपज एक बार बीज लगाने से
बता दें कि यदि कोई किसान एक साल गन्ने की खेती के लिए बीज लगता है तो वहीं दूसरे साल में इसकी लागत आधी हो जाती है, क्योंकि इसमें बीज नहीं लगाना पड़ता है l रेटूनिंग प्रक्रिया द्वारा एक बार में गन्ने का लगाया बीज से 2-3 साल तक फसल ली जा सकती है l वर्तमान में गन्ना 20 रुपये प्रति किलो तक बिक रहा है l एक गन्ने का वजन 2 से 3 किलो तक होता है l इसे गन्ने का रस बेचने वाले खरीद लेते हैं साथ ही गन्ने के रस से गुड़ तैयार करने वाले व्यापारी भी इसके अच्छे दाम देकर किसानों के खेत से ही खरीदकर ले जाते हैं, इसके अलावा मंडी में भी ठीक ठाक दाम मिल जाता हैं l
मैंने अपने खेत पर जूस वाली गन्ने की किस्म लगाई जिसको मैंने नाचना में आसानी से विक्रय करके अच्छा मुनाफा अर्जित किया इसके साथ ही जैविक खेती करता हूँ l – गुलाब सिंह खीची, प्रगतिशील कृषक, अवाय
फसल विविधिकरण अपनाने से किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी इसमें गन्ने की खेती अहम भूमिका अदा कर सकती है l रेगिस्तान में गन्ने की खेती करने से जिले के आमजनों को गुणवत्ता युक्त ताजा गन्ने का जूस प्राप्त होगा l – डॉ दशरथ प्रसाद, अध्यक्ष, कृषि विज्ञान केन्द्र पोकरण
रेतीले धोरो में जहा पानी की उपलब्धता भरपुर हो वहा जैविक गन्ने का उत्पादन नवाचार के तौर पर प्रयोग करने से किसानों को आय का जरिया बनाने में सहायक होने के साथ साथ क्षेत्र के विकास में नये रास्ते खुलेंगे l – डॉ के जी व्यास, शस्य वैज्ञानिक
पशुधन बाहुल्य क्षेत्र में चारे की कमी से जूझ रहे पशुपालको को एक विकल्प के तौर पर पशुओ हेतु गन्ने की पत्तिया एवं इसके फसल अवशेष दुग्ध उत्पादन बढ़ाने में उपयोगी रहेंगे l – डॉ राम निवास पशुपालन वैज्ञानिक