किसानों की पीड़ा- घाटे का सौदा हो गया है अब सोयाबीन की खेती
20 फ़रवरी 2025, भोपाल: किसानों की पीड़ा- घाटे का सौदा हो गया है अब सोयाबीन की खेती – मध्यप्रदेश के किसानों द्वारा भले ही सोयाबीन की खेती की जाती हो और सोयाबीन को सरकार द्वारा भी समर्थन मूल्य पर खरीदा जाता हो लेकिन किसानों का कहना है कि अब सोयाबीन की खेती घाटे का सौदा हो गया है। दरअसल किसानों की पीड़ा यह है कि जिस तरह से सोयाबीन के भाव मिलना चाहिए नहीं मिल रहे है जबकि खेती या उत्पादन के लिए उन्हें अच्छा खासा खर्च करना पड़ता है।
सोयाबीन के सीजन के दौरान विशेषज्ञ बता रहे थे की सोयाबीन के भाव जनवरी 2025 से बढ़ना शुरू होंगे, लेकिन पूरा महीना बीतने के पश्चात भी सोयाबीन के भाव में तेजी नहीं आई। इतना ही नहीं सोयाबीन के भाव में 200 रुपए प्रति क्विंटल की गिरावट हो गई। सोयाबीन का भाव को देखते हुए सोयाबीन की खेती अब धीरे-धीरे पूरी तरह घाटे की खेती में बदल गई है, क्योंकि लागत के हिसाब से देखा जाए तो सोयाबीन के भाव 6000 रुपए प्रति क्विंटल होना चाहिए, लेकिन वर्तमान में सोयाबीन के औसत भाव 4200 रुपए प्रति क्विंटल है। सोयाबीन के भाव बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम भी अब भी बेअसर दिखाई देने लगे हैं। पिछले सप्ताह के दौरान सोयाबीन में लगातार कमजोर रहने के बाद इस सप्ताह की शुरुआत भी मंदी के साथ सोयाबीन की आवक मंडियों में अच्छी देखी गई, लेकिन तेलों के घटते दामों के कारण प्लांटों की सोयाबीन खरीद में रुचि कम है। बीते दो दिनों की यदि बात करें तो सोयाबीन की कीमतों में नरमी देखने को मिली। प्लांट खरीदी भाव 25-50 रुपये तक कम बोले गए।ज्यादातर प्लांटों में सोयाबीन के दाम 4300 रुपये से नीचे पहुंच गए हैं। इधर, सोया तेल में भी उपभोक्ता पूछताछ कमजोर रहने और आयातित तेलों की बढ़ती आवक के कारण कीमतों में नरमी जारी रही। बाजारों में डर यह भी बना हुआ कि अगर भारत सरकार खरीदा हुआ माल बाजार में बेचती है तो इसका असर सोयाबीन के भाव पर पड़ सकता है। परंतु अभी भारत सरकार अपने खरीदे हुए सोयाबीन का क्या करेगी इसके लिए अभी कुछ भी साफ नहीं हो रहा।
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