राजस्थान में बैल पर सब्सिडी, ट्रैक्टर कब मिलेगा किसान को?
14 अप्रैल 2025, जयपुर: राजस्थान में बैल पर सब्सिडी, ट्रैक्टर कब मिलेगा किसान को? – राजस्थान सरकार ने पारंपरिक खेती को प्रोत्साहन देने के लिए एक नई योजना शुरू की है, जिसके तहत बैल जोड़ी से खेती करने वाले किसानों को 30 हजार रुपए का अनुदान दिया जाएगा। यह कदम मुख्यमंत्री बजट घोषणा 2025-26 का हिस्सा है, जिसका मकसद लघु एवं सीमांत किसानों को आर्थिक सहायता प्रदान करना बताया गया है। हालांकि, इस योजना ने कई सवाल भी खड़े किए हैं। आधुनिक कृषि यंत्रों को अपनाने के बजाय क्या बैल आधारित खेती को बढ़ावा देना किसानों के लिए फायदेमंद होगा?
योजना का विवरण
कृषि विभाग के अनुसार, यह अनुदान केवल उन लघु और सीमांत किसानों को मिलेगा, जिनके पास कम से कम दो बैल हैं और वे इनका उपयोग खेतों की जुताई में करते हैं। आवेदन के लिए किसानों को तहसीलदार से प्रमाणित लघु या सीमांत किसान प्रमाण पत्र, बैल जोड़ी के साथ फोटो, पशु बीमा पॉलिसी, बैलों का स्वास्थ्य प्रमाण पत्र और शपथ पत्र जैसे दस्तावेज जमा करने होंगे।
आवेदन प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए सरकार ने इसे पूरी तरह ऑनलाइन रखा है। किसान राज किसान साथी पोर्टल पर जनआधार नंबर के जरिए आवेदन कर सकेंगे। विभाग का दावा है कि आवेदनों की जांच 30 दिनों में पूरी हो जाएगी, और स्वीकृति की सूचना एसएमएस और पोर्टल के माध्यम से दी जाएगी। स्वीकृत किसान अनुदान प्रमाण पत्र को पोर्टल से डाउनलोड भी कर सकेंगे।
योजना पर सवाल
हालांकि सरकार का कहना है कि यह योजना ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगी और पारंपरिक खेती को बढ़ावा देगी, लेकिन कई विशेषज्ञ और किसान इसकी उपयोगिता पर सवाल उठा रहे हैं। आधुनिक कृषि यंत्रों की मदद से खेती को तेज और कम मेहनत वाला बनाया जा सकता है, लेकिन इस योजना में बैल आधारित खेती को प्राथमिकता दी गई है। एक किसान, रामलाल (बदला हुआ नाम), ने बताया, “ट्रैक्टर और अन्य मशीनें समय और मेहनत बचाती हैं। बैलों की देखभाल और खेती में उनका उपयोग अब पुराना तरीका है। अनुदान अच्छा है, लेकिन क्या यह हमें आधुनिकता की ओर ले जाएगा?”
कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि आधुनिक उपकरणों पर अनुदान देने से न केवल उत्पादकता बढ़ेगी, बल्कि किसानों का जीवन भी आसान होगा। उनके मुताबिक, पारंपरिक खेती को सहेजने के लिए अलग-अलग उपाय हो सकते हैं, लेकिन अनुदान का मुख्य फोकस तकनीकी प्रगति पर होना चाहिए।
योजना की ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया को लेकर सरकार का दावा है कि यह पारदर्शी और सुगम होगी। लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट की पहुंच और डिजिटल साक्षरता की कमी को देखते हुए यह देखना बाकी है कि कितने किसान इसका लाभ उठा पाएंगे। ई-मित्र केंद्रों पर निर्भरता बढ़ने की संभावना है, जिससे अतिरिक्त खर्च का बोझ भी पड़ सकता है।
यह योजना उन किसानों के लिए राहत हो सकती है जो अभी भी बैलों पर निर्भर हैं, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या यह दीर्घकालिक रूप से टिकाऊ है? जब दुनिया डिजिटल और मशीनीकृत खेती की ओर बढ़ रही है, तब क्या बैल आधारित खेती को प्रोत्साहन देना सही दिशा में कदम है? सरकार का कहना है कि यह कदम ग्रामीण विकास में मील का पत्थर साबित होगा, लेकिन इसका असर कितना प्रभावी होगा, यह तो समय ही बताएगा।
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