स्टार्टअप्स: एक विश्लेषण
लेखक: डॉ. मोनी थॉमस, निदेशक एवं दीपांशु पटेल, बिजनेस एग्जीक्यूटिव, कृषि व्यवसाय प्रबंधन संस्थान, जनेकृविवि, जबलपुर
25 जुलाई 2024, भोपाल: स्टार्टअप्स: एक विश्लेषण – समस्याओं से घिरे संसार में समस्या के समाधान से व्यवसाय की असीम संभावनायें भी हैं। राष्ट्रीय-बहुराष्ट्रीय कंपनियां समस्याओं पर शोध कर अपने अवसर और आकार की विस्तार करती हैं अर्थात व्यवहारिक दृष्टि में व्यवसाय हैं। भारतीय ग्रामीण अंचल में कृषि से संबंधित क्षेत्र में ढेरों समस्या का दिखना और अनुभव करना समान्य हैं जैसे- समय पर वित्तीय आभाव, कार्य का समय पर पूर्ण न कर पाने इत्यादि। समस्या का कारक को पहचान न करने जैसे अनेक उदाहरण हैं।
कृषि आधारित स्टार्टअप्स को अधिकांश जनमानस अच्छे से समझ नहीं रहे हैं। स्टार्टअप्स को ऐसा समझ सकते है, जैसे एक व्यक्ति या कुछ लोग एक जटिल समस्या का आसान सा समाधान निकालना और उस समाधान को व्यवसाय में परिवर्तित करना। स्थानीय बोल-चाल में ऐसे समाधान को ‘जुगाड’ से भी संबोधित करते हैं। हम अपने आसपास भिन्न प्रकार के जुगाड को व्यवसाय में परिवर्तित होते देखे हैं जैसे-पूर्व में गृहणियों को अदरक को बिना उगंली छिले बरीक कीसना एक समस्या रही होगी पंरतु एक सस्ती टिकाऊ साधारण सी अदरक कीसने वाली छिद्रित पट्टी, इस जटिल समस्या का आसान समाधान हो पाया है। यह जुगाड का व्यवसायीकरण एक उत्तम उदाहरण है। इस अविष्कार या जुगाड आज वृहत रूप से व्यवसाय उत्पाद बन चुका हैं। मुख्यत: समस्या का व्यवहारिक समाधान और उस समाधान से व्यवसाय और रोजगार से प्राप्ति को स्टार्टअप्स कह सकते हैं।
कृषि आधारित स्टार्टअप्स या समान्य स्टार्टअप्स की पहचान या चिन्हित करने हेतु कुछ पायदान होते हैं। प्रथम या महत्वपूर्ण पायदान-समस्या की पहचान इसकी विस्तृत विश्लेषण करना हैं। इसके उपरांत एक उचित करगाार समाधान का खोज करना अगला प्रयास। इस समाधान परीक्षण कर, व्यवहारिक एवं व्यापारिक मान्यता हैं। इस प्रयास के फलस्वरूप उत्पन्न उत्पाद, सेवा या तकनीक को समस्या से प्रभावित व्यक्ति या समूह अपनाने योग्य एवं मूल्य निर्धारित करना।
प्रथम चरण को प्राप्त करने के उपरांत, अन्वेषक या संबंधित उद्यमी अपने उत्पाद, तकनीक या सेवा को लक्षित ग्राहक समूह की दृष्टि से विक्रय की रूपरेखा बनाना चाहिए। यह चरण अत्यंत महत्वपूर्ण कड़ी है, क्योंकि यदि अन्वेषक या उद्यमी ने अपने ग्राहक को लुभाने में होंगे तभी व्यवसाय आगे बढ़ेगा।
व्यवसाय को निगरानी एवं मूल्यांकन से ही प्रगति मार्ग तय होता है। इस विकास को मापने के लिए उद्यमी को स्वयं अपनी मापदंड का निर्धारण और समय-समय पर पुनरीक्षण करना अत्यंत आवश्यक व्यवसायी कदम है। इस स्तर पर पहुंचने से पूर्व विकसित उत्पाद, सेवा या तकनीक का मूल्यांकन करना जरूरी है। इससे उस वस्तु का मूल निर्धारण किया जा सकता है। मूल निर्धारण से राजस्व का आवक एवं लाभ निर्भर होता है अर्थात स्टार्टअप्स का आर्थिक प्रगति एवं प्रतिस्पर्धा से ऊपर उठकर व्यावसायिक परिस्थिति में अपने स्थान को परिपक्व रूप से स्थापित कर सकता है। स्टार्टअप्स की आईडिया उत्पत्ति से लेकर इसका व्यावसायिक स्थिति में सफल स्थापना एक जटिल एवं संघर्षपूर्ण पथ है। जवाहर राबी एग्री बिजनेस इनक्यूबेटर गत पांच वर्षों से सर्व साधारण एवं स्थानीय को स्टार्टअप्स के रूप में स्थापित करने हेतु कृत-संकल्पित है।
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