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राज्य कृषि समाचार (State News)फसल की खेती (Crop Cultivation)

सितंबर-अक्टूबर में करें तोरिया व सरसों की इन टॉप अगेती किस्मों की बुवाई, बेहतर होगी पैदावार

01 अक्टूबर 2025, भोपाल: सितंबर-अक्टूबर में करें तोरिया व सरसों की इन टॉप अगेती किस्मों की बुवाई, बेहतर होगी पैदावार – बरसात वाले क्षेत्रों में खरीफ फसल जैसे मक्का, मूंग, उड़द और सोयाबीन की कटाई के बाद खेत खाली हो जाते हैं। ऐसे खेतों में अगर दो से तीन बार जुताई करके पाटा चला दिया जाए, तो नमी को लंबे समय तक खेत में बनाए रखा जा सकता है। यही समय होता है जब तोरिया और असिंचित सरसों की बुवाई की जा सकती है।

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार सितंबर का दूसरा और तीसरा सप्ताह तोरिया की बुवाई के लिए सही समय है, जबकि सरसों की असिंचित खेती के लिए 15 सितंबर से अक्टूबर के पहले सप्ताह तक का समय सबसे उपयुक्त है।

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उन्नत किस्मों का चयन करें

तोरिया की उन्नत किस्मों में जवाहर तोरिया-1, राज विजय तोरिया-1, राज विजय तोरिया-2 और राज विजय तोरिया-3 शामिल हैं। वहीं सरसों की उन्नत किस्मों में जवाहर स्वप्निल दुबे सरसों-3, राज विजय सरसों-2, पूसा जप किसान, गिरिराज और आरएच-725, आरएच-749 प्रमुख हैं।

खेत की तैयारी और मिट्टी का चुनाव

तोरिया और सरसों के लिए दोमट या मटियार दोमट मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है, जिसमें अच्छा जल निकास हो। अधिक अम्लीय (खारी) या क्षारीय (खारील) मिट्टी इन फसलों के लिए उपयुक्त नहीं होती। फसल की कटाई के बाद खेत की 2 से 3 बार जुताई करें, पाटा चलाएं और यह सुनिश्चित करें कि खेत में ढेले न रहें और नमी सुरक्षित रहे।

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 बीज की मात्रा व बीज उपचार

– तोरिया के लिए 4–5 किलो बीज प्रति हेक्टेयर चाहिए
– सरसों के लिए 5–6 किलो बीज प्रति हेक्टेयर
बुवाई से पहले बीजों को फफूंदनाशक दवा जैसे कार्बेन्डाजिम या मैंकोजेब से 2 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से जरूर उपचारित करें, ताकि बीज जनित रोगों से बचाव हो।

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 बुवाई की विधि और दूरी

– तोरिया और सरसों की बुवाई देशी हल, सीडड्रिल या सरिता मशीन से कतारों में करें।
– कतार से कतार की दूरी: 30 से 40 सेंटीमीटर
– पौधे से पौधे की दूरी: 10 से 12 सेंटीमीटर
– बुवाई की गहराई: 2 से 3 सेंटीमीटर

 खाद और उर्वरक प्रबंधन

तोरिया के लिए:

– 10 से 12 टन गोबर की खाद
– 60 किलो नाइट्रोजन
– 30 किलो फास्फोरस
– 20 किलो पोटाश
– 20 किलो सल्फर प्रति हेक्टेयर

असिंचित सरसों के लिए:

– 40 किलो नाइट्रोजन
– 20 किलो फास्फोरस
– 10 किलो पोटाश
– 15 किलो सल्फर प्रति हेक्टेयर
– सारी खादें बुवाई के समय ही डाल दें, खासकर असिंचित क्षेत्रों में।

खरपतवार नियंत्रण

बुवाई के तुरंत बाद (अंकुरण से पहले) पेंडा मिथलीन 30 EC की 3.33 लीटर मात्रा को 500 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। सकरी पत्ती वाले खरपतवारों के लिए क्विजालोफॉप इथाइल 800 से 1000 मिलीलीटर की मात्रा का छिड़काव 15 से 20 दिन की फसल पर करें। धान की फसल में यदि जीवाणु पत्ती झुलसा या शीथ ब्लाइट जैसे रोग दिखें तो खेत में पानी का उचित निकास करें और कॉपर युक्त फफूंदनाशी या पीपीकोनाजोल / डिफेनोकोनाजोल (500 मि.ली.) या एपॉक्सीकोनाजोल (750 मि.ली.) का छिड़काव करें।

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