कृषि में सौर ऊर्जा: किसानों की नई रोशनी
लेखक: श्री हरीश बाथम (एम.एस.सी. (कृषि) एग्रोनॉमी स्कॉलर), कृषि विद्यालय, विक्रांत विश्वविद्यालय, ग्वालियर, (म.प्र.), श्री अभय प्रताप सिंह तोमर (एम.एस.सी. (कृषि) एग्रोनॉमी स्कॉलर), डॉ.सचिन कुमार सिंह (विभाग प्रमुख), डॉ. हिरदेश कुमार (सहायक प्रोफेसर), Email- Jiharish093@gmail.com
23 अगस्त 2025, भोपाल: कृषि में सौर ऊर्जा: किसानों की नई रोशनी – भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहाँ लगभग 60% आबादी खेती पर निर्भर है। खेती में सिंचाई, भंडारण, रोशनी, और मशीनों को चलाने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है। पारंपरिक ऊर्जा स्रोत जैसे डीजल और बिजली महंगे होते जा रहे हैं और प्रदूषण भी बढ़ाते हैं। ऐसे में सौर ऊर्जा एक सस्ता, स्वच्छ और टिकाऊ विकल्प बनकर उभर रही है।
सौर ऊर्जा क्या है:- सौर ऊर्जा, सूर्य की किरणों से प्राप्त ऊर्जा है, जिसे सोलर पैनलों द्वारा बिजली में बदला जाता है। यह अक्षय ऊर्जा का सबसे प्रमुख स्रोत है जो कभी समाप्त नहीं होता और पर्यावरण के लिए हानिकारक भी नहीं है।

कृषि में सौर ऊर्जा का उपयोग:- खेती में सौर ऊर्जा के कई फायदे हो सकते हैं सौर ऊर्जा का उपयोग आज की आधुनिक और टिकाऊ खेती में बहुत तेजी से बढ़ रहा है। यह किसानों के लिए लागत कम करने, बिजली की सुविधा बढ़ाने और पर्यावरण की रक्षा करने का एक प्रभावी साधन बन चुका है।
- सोलर वाटर पंप (Solar Water Pumps):-
सोलर वाटर पंप (Solar Water Pump) एक ऐसा पंप है जो सोलर पैनलों से बनने वाली बिजली पर चलता है और इसका उपयोग खेतों की सिंचाई, पेयजल आपूर्ति तथा पशुओं के लिए पानी उपलब्ध कराने में किया जाता है। इसमें सोलर पैनल सूरज की रोशनी को विद्युत ऊर्जा में बदलते हैं, फिर यह ऊर्जा मोटर को चलाती है जिससे पंप पानी खींचकर खेत या टंकी तक पहुँचाता है। यह पंप डीजल या ग्रिड बिजली पर निर्भर नहीं रहता, इसलिए किसानों को ईंधन और बिजली का खर्च नहीं उठाना पड़ता। इसके दो प्रमुख प्रकार हैं – DC पंप (सीधे सोलर से चलता है) और AC पंप (इन्वर्टर की मदद से चलता है)। यह प्रदूषण रहित, टिकाऊ और किसानों के लिए सस्ता समाधान है, साथ ही सरकार (PM-KUSUM जैसी योजनाओं) के तहत इन पर सब्सिडी भी उपलब्ध है सिंचाई के लिए डीज़ल या बिजली पर निर्भरता को खत्म करता है।
- सोलर पंप से दिनभर मुफ्त में खेतों में पानी पहुंचाया जा सकता है।
- विशेषकर बिजली से वंचित ग्रामीण इलाकों में बेहद उपयोगी।
मोटर (HP) चलाने के लिए कितनी जरूरत?:-
साधारण नियम:
1 HP मोटर को चलाने के लिए लगभग 750 Watt से 1000 Watt सोलर पावर (पैनल) चाहिए।
मोटर की क्षमता (HP) | ज़रूरी सोलर पावर (Watt) | कितने पैनल (330W वाले) |
1 HP | 750W – 1000W | 3 पैनल (330W × 3 = 990W) |
2 HP | 1500W – 2000W | 6 पैनल |
3 HP | 2250W – 3000W | 9 पैनल |
5 HP | 3750W – 5000W | 12–15 पैनल |
7.5 HP | 5600W – 7500W | 18–22 पैनल |
10 HP | 7500W – 10,000W | 24–30 पैनल |
2. सोलर ड्रायर (Solar Dryer):-
सोलर ड्रायर एक ऐसा उपकरण है जो सूरज की ऊर्जा का उपयोग करके अनाज, फल, सब्ज़ियां, मसाले और औषधीय पौधों को सुरक्षित और तेज़ी से सुखाने का काम करता है। इसमें पारदर्शी शीट या सोलर कलेक्टर से गर्म हवा बनाई जाती है, जो फसल की नमी निकाल देती है। यह तरीका पारंपरिक खुले सुखाने की तुलना में 2–3 गुना तेज़ होता है, साथ ही उपज को धूल, बारिश, कीट और पक्षियों से बचाता है। इससे फसल का रंग, स्वाद और पोषण मूल्य सुरक्षित रहता है और बाज़ार में अधिक दाम मिलता है। यह किसानों के लिए कम लागत और टिकाऊ (सस्टेनेबल) समाधान है।
- अनाज, फल और सब्जियों को सुखाने के लिए उपयोग किया जाता है।
- इससे फसलों की गुणवत्ता बनी रहती है और भंडारण के समय खराब नहीं होतीं।
सोलर कोल्ड स्टोरेज (Solar Cold Storage):-
सोलर कोल्ड स्टोरेज एक ऐसी मशीन या कमरा होता है जिसमें सूरज की रोशनी से बनी बिजली का उपयोग करके फल, सब्ज़ियां, फूल, दूध और दूसरी जल्दी खराब होने वाली चीज़ों को ठंडा रखकर लंबे समय तक सुरक्षित किया जाता है। इसमें लगे सोलर पैनल धूप से बिजली बनाते हैं और वही बिजली कोल्ड स्टोरेज को चलाती है। इससे किसानों को महंगी बिजली या डीज़ल पर खर्च नहीं करना पड़ता, फसल खराब नहीं होती और उन्हें बाज़ार में अच्छे दाम मिलते हैं। यह तरीका खासकर गांवों और उन जगहों के लिए बहुत काम का है जहाँ बिजली की सुविधा कम मिलती है।
- गर्म इलाकों में फसलें जल्दी खराब हो जाती हैं।
- सौर ऊर्जा से चलने वाले कोल्ड स्टोरेज से फल, सब्ज़ियाँ और फूल लंबे समय तक ताजे रहते हैं।
3. सोलर फेंसिंग (Solar Fencing:-
खेत या बगीचे को जानवरों और चोरी से बचाने का एक आधुनिक तरीका है। इसमें चारों तरफ़ तार का घेरा बनाया जाता है और इसे सोलर पैनल से मिलने वाली बिजली से जोड़ा जाता है। जब कोई जानवर या व्यक्ति तार को छूता है तो हल्का झटका (shock) लगता है, जिससे वह वापस चला जाता है। यह झटका खतरनाक नहीं होता, बस डराने के लिए होता है। इसका फायदा यह है कि खेत की फसल सुरक्षित रहती है, बिजली का बिल नहीं आता और यह ग्रामीण इलाकों में भी आसानी से काम करता है।
आसान शब्दों में – सोलर फेंसिंग = खेत की रखवाली करने वाली “सौर ऊर्जा से चलने वाली बिजली की बाड़”।
- खेतों की सीमा पर सोलर ऊर्जा से चालित बिजली की बाड़ लगाई जाती है।
- जानवरों और अजनबी लोगों से फसलों की रक्षा होती है।
4. ग्रीनहाउस में सौर ऊर्जा (Solar-powered Greenhouse):-
एक ऐसी तकनीक है जिसमें ग्रीनहाउस के अंदर पौधों की खेती के लिए सूरज की रोशनी से बनी बिजली का उपयोग किया जाता है। इसमें लगे सोलर पैनल बिजली पैदा करते हैं, जिससे पंखे, लाइट, वॉटर पंप और तापमान नियंत्रित करने वाली मशीनें चलती हैं। इससे पौधों को सही तापमान, नमी और रोशनी मिलती है, जिससे उनकी उत्पादकता और गुणवत्ता बढ़ती है। इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि ग्रीनहाउस चलाने के लिए बाहर से बिजली या डीज़ल की ज़रूरत नहीं होती, खर्च कम होता है और पर्यावरण को नुकसान भी नहीं पहुंचता।
- तापमान और रोशनी को नियंत्रित करके उच्च गुणवत्ता वाली फसलें उगाई जाती हैं।
- सौर ऊर्जा से चलने वाली पंखे, हीटर और लाइट्स इस्तेमाल की जाती हैं।
5. पशुपालन एवं दुग्ध उद्योग में उपयोग
- दूध ठंडा रखने के लिए सोलर चिलर
- बायोगैस प्लांट में सौर ऊर्जा की सहायता
- सौर ऊर्जा से एलईडी लाइट्स और पंखे चलाए जा सकते हैं।
- इससे पशुओं को आरामदायक वातावरण मिलता है, जिससे वे बीमार नहीं पड़ते
6. मोबाइल चार्जिंग और लाइटिंग
- किसान मोबाइल, बैटरी और खेती से जुड़ी मशीनें सोलर ऊर्जा से चार्ज कर सकते हैं।
- खेतों और फार्म हाउस में सोलर लाइट्स से रात में भी काम संभव है।
कृषि में सौर ऊर्जा के लाभ (Benefits of Solar Energy in Agriculture):-
कृषि में सौर ऊर्जा का उपयोग किसानों के लिए कई तरह से फायदेमंद है। सबसे बड़ा लाभ यह है कि सिंचाई के लिए डीज़ल या बिजली पर निर्भर रहने की ज़रूरत नहीं पड़ती। सोलर पंप लगाकर किसान अपने खेतों में दिनभर मुफ्त पानी प्राप्त कर सकते हैं, जिससे फसल की पैदावार बढ़ती है और खर्च कम होता है। इसके अलावा, सोलर फेंसिंग खेत की रखवाली करती है और जंगली जानवरों या चोरी से फसल को बचाती है।
फसल की सुरक्षा और मूल्य बढ़ाने में भी सौर ऊर्जा मददगार है। सोलर ड्रायर से सब्ज़ियां, फल और मसाले जल्दी और स्वच्छ तरीके से सूख जाते हैं, जिससे उनका रंग और स्वाद बना रहता है और बाज़ार में अच्छे दाम मिलते हैं। वहीं, सोलर कोल्ड स्टोरेज में नाशवंत उपज जैसे दूध, फल और फूल लंबे समय तक सुरक्षित रखे जा सकते हैं, जिससे किसानों को नुकसान कम होता है।
आजकल सोलर ग्रीनहाउस भी काफी लोकप्रिय हो रहे हैं, जिनमें सूरज की रोशनी से बिजली बनाकर पौधों के लिए सही तापमान, नमी और रोशनी उपलब्ध कराई जाती है। इससे सालभर बेहतर उत्पादन संभव हो जाता है।
एक और खास बात यह है कि सोलर सिस्टम एक बार लगाने पर लंबे समय तक चलता है और बार-बार खर्च करने की ज़रूरत नहीं होती। सरकार भी किसानों को इस दिशा में प्रोत्साहित करने के लिए योजनाओं के तहत सब्सिडी देती है। सबसे बड़ी बात यह है कि सौर ऊर्जा पर्यावरण के अनुकूल है और इससे प्रदूषण नहीं होता।
- सिंचाई में मदद – सोलर पंप से किसान बिना डीज़ल और बिजली खर्च किए खेतों की सिंचाई कर सकते हैं। इससे उत्पादन बढ़ता है और लागत घटती है।
- फसल की सुरक्षा – सोलर फेंसिंग खेतों को जंगली जानवरों और चोरी से बचाती है, जिससे नुकसान कम होता है।
- भंडारण की सुविधा – सोलर कोल्ड स्टोरेज में दूध, फल और सब्ज़ियां लंबे समय तक सुरक्षित रहती हैं और खराब होने से बचती हैं।
- प्रोसेसिंग और क्वालिटी – सोलर ड्रायर से फल, सब्ज़ियां और मसाले जल्दी और साफ़ तरीके से सूख जाते हैं, जिससे उनका स्वाद, रंग और पोषण बना रहता है।
- ग्रीनहाउस खेती – सोलर ग्रीनहाउस से पौधों को सही तापमान और नमी मिलती है, जिससे सालभर खेती करना आसान होता है।
सौर ऊर्जा सिस्टम लगाने में मुख्य चुनौतियाँ व समाधान:-
मुख्य चुनौतियाँ
- उच्च लागत (High Cost) – सौर पैनल, इन्वर्टर और बैटरी लगाने में शुरुआती खर्च बहुत ज्यादा आता है। छोटे और सीमांत किसान इतने पैसे एक साथ खर्च नहीं कर पाते।
- तकनीकी जानकारी की कमी (Lack of Technical Knowledge) – ज़्यादातर किसानों को सोलर सिस्टम चलाना, उसकी देखभाल करना और खराबी ठीक करना नहीं आता। इससे सिस्टम खराब होने पर लंबे समय तक बंद रहता है।
- मौसम पर निर्भरता (Weather Dependence) – धूप कम होने पर, जैसे बरसात या कोहरे के दिनों में, सौर ऊर्जा उत्पादन घट जाता है। ऐसे समय में सिंचाई और स्टोरेज जैसी ज़रूरी जरूरतें प्रभावित होती हैं।
- भंडारण और रखरखाव की समस्या (Storage & Maintenance Issue) – बिजली को स्टोर करने के लिए बैटरी की ज़रूरत होती है जो महंगी होती है और हर कुछ सालों बाद बदलनी पड़ती है। साथ ही ग्रामीण इलाकों में सर्विस सेंटर और स्पेयर पार्ट्स आसानी से उपलब्ध नहीं होते।
- जागरूकता और नीतिगत कमी (Awareness & Policy Gaps) – किसानों तक सरकारी योजनाओं, सब्सिडी और सौर ऊर्जा के फायदों की जानकारी पूरी तरह नहीं पहुँचती। नतीजतन बहुत कम किसान इसका लाभ उठा पाते हैं।
संभावित समाधान
- सरकारी सहायता और सब्सिडी –
सरकार को और अधिक सब्सिडी, आसान लोन और PM-KUSUM जैसी योजनाओं का विस्तार करना चाहिए ताकि छोटे किसान भी सौर पैनल आसानी से लगा सकें। - तकनीकी प्रशिक्षण और जागरूकता –
किसानों और ग्रामीण युवाओं को सौर सिस्टम चलाने, मरम्मत करने और रखरखाव का प्रशिक्षण दिया जाए। इससे गाँव में ही तकनीकी मदद उपलब्ध होगी। - हाइब्रिड सिस्टम का उपयोग –
सोलर + ग्रिड + बैटरी मिलाकर सिस्टम बनाया जाए ताकि धूप कम होने पर भी बिजली की आपूर्ति बनी रहे। - गाँव स्तर पर सर्विस सेंटर –
ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय स्तर पर रिपेयरिंग और सर्विस सेंटर स्थापित किए जाएं ताकि किसान तुरंत मदद पा सकें। - सही जानकारी का प्रसार –
कृषि मेलों, पंचायत स्तर की बैठकों और मीडिया के जरिए किसानों को योजनाओं और सौर ऊर्जा के फायदों की जानकारी दी जाए।
1. मध्य प्रदेश में किसानों के लिए सौर ऊर्जा योजनाएं:-
प्रधानमंत्री कुसुम योजना (PM-KUSUM Yojana):- जिसका पूरा नाम प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान है, मध्य प्रदेश में इसे मुख्यमंत्री सौर पंप योजना के रूप में लागू किया गया है। इस योजना का उद्देश्य किसानों को सोलर पंप उपलब्ध कराना, डीजल और ग्रिड बिजली पर निर्भरता कम करना तथा दिन के समय सिंचाई की सुविधा देना है। योजना के अंतर्गत किसानों को 3 HP से 7.5 HP तक के सोलर पंप उपलब्ध कराए जाते हैं, जिसमें 90% तक सब्सिडी मिलती है (60% सरकार, 30% बैंक लोन और 10% किसान का योगदान होता है), जिसके तहत किसान को केवल ₹5,000 से ₹38,000 तक का भुगतान करना पड़ता है।
2. मुख्यमंत्री सोलर पंप योजना (CM Solar Pump Yojana – MP):-
यह योजना खासतौर पर उन किसानों के लिए बनाई गई है, जो अभी तक अस्थायी बिजली कनेक्शन या डीजल पंप से सिंचाई करते हैं। डीजल पंप से सिंचाई करना महंगा पड़ता है और अस्थायी कनेक्शन में बिजली हर समय उपलब्ध नहीं रहती। इस समस्या को देखते हुए सरकार किसानों को 3 HP से 5 HP क्षमता तक के सोलर पंप उपलब्ध कराती है। इसमें किसानों को भारी छूट दी जाती है, जिससे उनका खर्च बहुत कम हो जाता है। हर साल लाखों किसानों को इसका लाभ मिल रहा है। सबसे बड़ा फायदा यह है कि किसानों की सिंचाई की लागत कम हो जाती है और उन्हें दिन में जब चाहें पानी मिल सकता है।
3. सौर फेंसिंग योजना (Solar Fencing Scheme):-
मध्य प्रदेश में कई जगह किसान अपनी फसलों को जंगली जानवरों जैसे नीलगाय, सूअर आदि से बचाने के लिए खेतों में तारबंदी करते हैं। सामान्य बिजली से फेंसिंग करने में खर्च ज्यादा आता है और बिजली की कमी भी रहती है। इस योजना के अंतर्गत सौर ऊर्जा से चलने वाली बिजली बाड़ (फेंसिंग) लगाई जाती है। इसमें बिजली का खर्च नहीं होता क्योंकि यह पूरी तरह सूरज की रोशनी से चलती है। खेतों की फसल सुरक्षित रहती है और किसानों की मेहनत बचती है। फिलहाल यह योजना कुछ जिलों में पंचायतों या आत्मनिर्भर समूहों द्वारा लागू की जा रही है।
4. सोलर कोल्ड स्टोरेज और ड्रायर योजना:-
खेती के बाद किसानों को सबसे बड़ी समस्या होती है फसल को लंबे समय तक सुरक्षित रखने की। फल और सब्जियां जल्दी खराब हो जाती हैं और अनाज में नमी बनी रहती है। इन समस्याओं से बचने के लिए सरकार और कुछ CSR कंपनियां मिलकर सौर ऊर्जा आधारित कोल्ड स्टोरेज और ड्रायर लगाने की पहल कर रही हैं। किसान अपनी फसल, फल और सब्जियों को इसमें रखकर उनकी गुणवत्ता लंबे समय तक बनाए रख सकते हैं। सोलर ड्रायर से किसान अदरक, मिर्च, हल्दी, सब्जियां आदि सुखा सकते हैं और अच्छे दाम पर बेच सकते हैं। छोटे किसान समूहों को इसमें खास मदद दी जाती है, ताकि वे मिलकर इसका उपयोग कर सकें।
5. ग्रामीण सौर फीडर योजना (Solarization of Agricultural Feeders):-
किसानों के लिए सबसे बड़ी दिक्कत है रात में बिजली मिलना। कई बार किसानों को आधी रात को भी सिंचाई करनी पड़ती है। इस समस्या को दूर करने के लिए राज्य सरकार ने ग्रामीण सौर फीडर योजना शुरू की है। इसमें खेतों तक दिन के समय सौर ऊर्जा से बिजली पहुँचाई जाती है। इससे किसानों को 24 घंटे सस्ती और नियमित बिजली मिल सकती है। इस योजना से राज्य सरकार पर बिजली सब्सिडी का बोझ भी कम होगा। भविष्य में किसानों को डीजल और महंगी बिजली पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।
(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़, टेलीग्राम, व्हाट्सएप्प)
(कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें)
कृषक जगत ई-पेपर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:
www.krishakjagat.org/kj_epaper/
कृषक जगत की अंग्रेजी वेबसाइट पर जाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें: