MSP में बड़ी बढ़ोतरी: सरकार का दावा, किसानों की आय में आया सुधार
12 दिसंबर 2025, नई दिल्ली: MSP में बड़ी बढ़ोतरी: सरकार का दावा, किसानों की आय में आया सुधार – देश में न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर जारी बहस के बीच केंद्र सरकार ने आगामी विपणन सीजनों में 22 अधिदेशित फसलों के लिए बढ़े हुए एमएसपी का विस्तृत ब्यौरा सामने रखा है। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अनुसार, एमएसपी तय करने की प्रक्रिया हर वर्ष राज्यों के अभिमत, संबंधित केंद्रीय मंत्रालयों और कृषि लागत एवं मूल्य आयोग की सिफारिशों के आधार पर पूरी की जाती है।
सरकार का कहना है कि 2018-19 से एमएसपी निर्धारण में उत्पादन लागत पर न्यूनतम 50 प्रतिशत लाभ सुनिश्चित करने का सिद्धांत लगातार लागू किया जा रहा है और इसी वजह से 2015-16 की तुलना में 2025-26 के लिए घोषित एमएसपी में उल्लेखनीय वृद्धि देखने को मिलती है।
एमएसपी बढ़ाने के पीछे सरकार का तर्क
सरकार का दावा है कि 2018-19 के केंद्रीय बजट में किए गए वादे के तहत सभी अधिदेशित खरीफ, रबी और वाणिज्यिक फसलों के लिए उत्पादन लागत पर कम से कम डेढ़ गुना MSP देने का सिद्धांत लागू किया गया। मंत्रालय का कहना है कि इस नीति से किसानों को वास्तविक लाभ मिला है, जो खरीद के आंकड़ों और किसानों के खातों में गई MSP राशि से स्पष्ट होता है। उपलब्ध आंकड़ों के
अनुसार, फसल वर्ष 2024-25 के दौरान कुल 1,223 लाख मीट्रिक टन फसलों की खरीद हुई और किसानों को लगभग 3.47 लाख करोड़ रुपये सीधे एमएसपी के रूप में दिए गए।
2015-16 से 2025-26 तक MSP में आया बदलाव
सरकार ने लोकसभा में पेश किए गए उत्तर में विभिन्न फसलों के पुराने और नए एमएसपी का तुलनात्मक विवरण दिया है। आंकड़ों पर नज़र डालें तो धान, ज्वार, बाजरा, रागी, मक्का, दालों और तिलहनों—सभी श्रेणियों में उल्लेखनीय वृद्धि दिखाई देती है। उदाहरण के तौर पर, सामान्य धान का एमएसपी वर्ष 2015-16 के 1410 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़कर 2025-26 में 2369 रुपये हो गया है। इसी तरह ज्वार (हाइब्रिड) का एमएसपी 1570 रुपये से बढ़कर 3699 रुपये, बाजरे का 1275 से 2775 रुपये और रागी का 1650 से बढ़कर 4886 रुपये हो गया है। दालों में भी भारी वृद्धि दर्ज की गई है, जहां अरहर का एमएसपी 4625 रुपये से बढ़कर 8000 रुपये तक पहुंच गया है।
रबी फसलों में भी यही रुझान जारी है। गेहूं का एमएसपी 1525 रुपये से बढ़कर 2585 रुपये, चने का 3500 से 5875 रुपये और मसूर का 3400 से 7000 रुपये हो चुका है। तिलहन और अन्य वाणिज्यिक फसलों जैसे सरसों, कुसुम और नाइजर बीजों के एमएसपी में भी बड़ी बढ़ोतरी दर्ज है।
कृषि राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने लोकसभा में दिए अपने लिखित जवाब में कहा कि बढ़े हुए MSP के चलते किसानों को प्रत्यक्ष लाभ मिला है और खरीद व्यवस्था के आंकड़े इसका प्रमाण हैं। मंत्रालय का कहना है कि निर्धारित सिद्धांतों के तहत एमएसपी में की गई बढ़ोतरी किसानों की आय और सुरक्षा दोनों को मजबूत करती है।
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