राज्य कृषि समाचार (State News)

बीहड़ में बीज उत्पादन से भूमि में सुधार होगा, उपजाऊ बनेगी

केंद्रीय कृषि मंत्री श्री तोमर ने एनएससी के जैविक बीज फार्म का किया शिलान्यास

26 सितम्बर 2022, मुरैना: बीहड़ में बीज उत्पादन से भूमि में सुधार होगा, उपजाऊ बनेगी – केंद्रीय कृषि मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने रविवार को मुरैना में राष्ट्रीय बीज निगम (एनएससी) के जैविक बीज फार्म का शिलान्यास किया। इसके प्रारंभ होने पर मध्यप्रदेश के किसानों को तिलहन के नए जैविक बीज उपलब्ध होंगे। इस फार्म से किसान आधुनिक पद्धतियों से अवगत होंगे। उन्हें उच्च गुणवत्ता वाले बीज मिलेंगे। केंद्रीय मंत्री श्री तोमर ने बताया कि केंद्र सरकार ने मुरैना में जैविक बीजों के उत्पादन के लिए बीहड़ क्षेत्र में भूमि सुधार कर फार्म स्थापित करने का निर्णय लिया है। इसके लिए म.प्र. सरकार द्वारा केंद्रीय कृषि मंत्रालय को मुरैना के 4 गाँवों गडोरा, जाखौना, रिठौरा खुर्द, गोरखा में 885.34 हेक्टे. जमीन आवंटित की गई है। चंबल क्षेत्र का बीहड़ होने से कृषि कार्य नहीं हो पा रहा था।

केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने मुरैना में जैविक बीजों के उत्पादन के लिए फार्म विकसित करने की जिम्मेदारी एनएसपी को सौंपी है। मुरैना में रेवाइंस क्षेत्र में बीज उत्पादन से भूमि में सुधार होगा व भूमि उपजाऊ होगी। स्थानीय किसान भूमि सुधार से प्रेरित होकर अपने खेतों में भी भूमि सुधार कर नवीनतम वैज्ञानिक पद्धति से बीज उत्पादन कर खेती में कम लागत से उच्च आर्थिक लाभ प्राप्त कर सकेंगे। कृषकों को यहाँ बीज उत्पादन की नवीनतम तकनीक सीखने को मिलेगी। एनएससी के विशेषज्ञों द्वारा स्थानीय और प्रदेश के किसानों को ट्रेनिंग के जरिये नवीनतम बीज उत्पादन तकनीक सिखाई जाएगी। मुरैना के स्थानीय श्रमिकों को फार्म में भूमि सुधार एवं बीज उत्पादन से रोजगार प्राप्त होगा। मुरैना फार्म से किसानों को नवीनतम एवं आनुवंशिक व भौतिक रूप से शुद्ध जैविक तिलहन बीज प्राप्त होने से अच्छा उत्पादन प्राप्त होगा।

केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री तोमर ने कहा कि बीज कृषि का आधार व प्रमुख आदान है। उन्होंने कहा कि खेती के लिए अच्छे बीजों की उपलब्धता से उत्पादकता में वृद्धि और किसानों के लिए उच्च आय के अलावा एग्री इको-सिस्टम व अर्थ-व्यवस्था को समग्र रूप से लाभ होता है। केंद्र सरकार, राज्यों में बीज उपलब्धता सुनिश्चित करने के साथ ही विविध योजनाओं द्वारा बीज वितरण में सहायता करती है .बीते 8 साल में व्यावसायिक खेती के लिए 304 किस्में अधिसूचित की गई हैं।

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